आदर्श उदाहरण पेश कर मोहन ने दिया पूरे देश को संदेश…

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आदर्श उदाहरण पेश कर मोहन ने दिया पूरे देश को संदेश…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद डॉ. मोहन यादव ने अपने बड़े बेटे वैभव की शादी पुष्कर में एक रिसॉर्ट से सादगी के साथ की थी। और उसके बाद उन्होंने हमेशा ही मध्य प्रदेश के नागरिकों से शादी पर फिजूलखर्ची न करने का आह्वान किया था। सामान्यतः यह देखा जाता है कि नेताओं की कथनी और करनी में बहुत सारा अन्तर हो जाता है। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के करीब दो साल बाद डॉ. मोहन यादव ने अपने छोटे बेटे अभिमन्यु की शादी सामूहिक विवाह सम्मेलन से आयोजित कर यह साबित कर दिया कि उनकी कथनी और करनी एक है। इसके साथ ही उन्होंने यह आदर्श उदाहरण पेश कर पूरे देश को यह संदेश दिया है कि शादी में फिजूलखर्ची बंद करना चाहिए। 21 जोड़ों के साथ मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव के पुत्र डॉ.अभिमन्यु सामूहिक विवाह सम्मेलन में 30 नवंबर 2025 को विवाह बंधन में बंध गए। और अब यह सादगी भरा सामूहिक विवाह का आयोजन मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज हो गया है। अगर अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार हर सक्षम व्यक्ति अपने बेटे-बेटियों की शादी सादगी पूर्ण तरीके से करते हैं तो एक बेहतर कल की कल्पना की जा सकती है।मुख्यमंत्री बनने के बाद बेटे डॉ. अभिमन्यु का विवाह कई अन्य जोडों के साथ सामूहिक विवाह सम्मेलन में कराकर डॉ. मोहन यादव ने एक आदर्श उदाहरण पेश कर एक अनुसरण योग्य संदेश सफलतापूर्वक दिया है।

वैसे शादी का पूरा आयोजन ही सादगी का प्रतीक बन गया। साधारण निमंत्रण पत्र और सादगीपूर्ण आयोजन की सोशल मीडिया पर सराहना हो रही है। दूल्हा-दुल्हन दोनों डॉक्टर हैं और इनकी सगाई भी सादे समारोह में हुई थी। उन्होंने बड़े बेटे वैभव की शादी भी सादे समारोह में की थी और अब छोटे बेटे डॉ. अभिमन्यु की शादी सामूहिक विवाह सम्मेलन में की है। शादी के निमंत्रण में सबसे पहले पेज पर भगवान श्री कृष्ण की फोटो है। जबकि दूसरे पेज पर जय श्री कृष्णा के उद्घोष के साथ माता-पिता स्व. पूनमचंद यादव और स्व. श्रीमती लीलाबाई यादव को इस आयोजन का प्रेरणास्रोत बताया गया। पत्रिका के अन्य पृष्ठ पर दूल्हा-दुल्हन के नाम के साथ ही एक अन्य पृष्ठ पर विनयवत के रूप में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के द्वारा सभी को आमंत्रण देते हुए जय श्री महाकाल अभिवादन के साथ इस आयोजन में पधारने का आमंत्रण दिया गया। शादी का यह कार्ड काफी सादा है। साधारण कार्ड पर दूल्हा-दुल्हन के नाम हैं। साथ ही अंदर के पेज पर मांगलिक कार्यों के बारे में जानकारी है। सोशल मीडिया पर सीएम मोहन यादव की इस पहल की भी खूब तारीफ हुई है। यहां फिर वही बात की करीब 12 रुपए के आमंत्रण पत्र के जरिए यही संदेश देने की कोशिश की गई कि शादी के कार्ड पर भी फिजूलखर्ची न की जाए। सीएम मोहन यादव के बेटे अभिमन्यु डॉक्टर हैं। वे भोपाल में ही रहते हैं लेकिन सीएम हाउस में नहीं। वहीं, बहू ईशिता भी डॉक्टर है। वह खरगोन की रहने वाली हैं। दोनों की सगाई भी सादे समारोह में सीएम हाउस में आयोजित हुई थी जिसमें परिवार के नजदीकी लोग ही शामिल हुए थे।

और साधारण तौर पर लोग अपने बेटे बेटियों की शादी में व्यंजनों की बाढ़ लगा देते हैं। कई तरह की रोटियां, पूरी कचौरी, सब्जियां और मिष्ठान के साथ ही पकवानों की लंबी सूची अतिथियों को यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि क्या खाएं और क्या ना खाएं। पर सामूहिक विवाह सम्मेलन में सभी अतिविशिष्ट, विशिष्ट और सामान्य जन सादा भोजन करते नजर आए। इसमें पूड़ी और गिनी-चुनी सब्जी के साथ सादा चावल, दाल और एक मिष्ठान शामिल था। सादगी भरे इस आयोजन में सभी ने बड़े चाव के साथ सादा भोजन कर संतुष्टि का अनुभव किया। इसके जरिए भी सफलतापूर्वक यह संदेश दिया गया कि खाने के नाम पर भी भारी भरकम खर्च कर फिजूलखर्ची न की जाए। और सादा जीवन उच्च विचार के इस महामंत्र को हर व्यक्ति अपने जीवन में साकार कर एक आदर्श उदाहरण पेश करे।

सामाजिक सरोकार, समरसता और सादगी की मिसाल पेश करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन में सामूहिक विवाह समारोह में अपने छोटे बेटे का विवाह संस्कार संपन्न कराया तो योग गुरु स्वामी रामदेव ने 21 जोड़ों के सामूहिक विवाह संस्कार कार्यक्रम का संचालन किया। स्वामी रामदेव ने सही ही कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ऐसी मिसाल कायम करने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं। यह देश के प्रभावशाली, राजनीतिक और धनी व्यक्तियों के लिए एक अनुकरणीय पहल है। विवाह की इस प्रक्रिया का पालन करने से शादियों में होने वाली फिजूलखर्ची रुकेगी और मध्यम एवं निम्न-मध्यम वर्गीय परिवारों को प्रोत्साहन मिलेगा।मुख्यमंत्री डॉ. यादव की यह भावना “सबका साथ-सबका विकास” की भावना के अनुरूप है। बाबा रामदेव के मुताबिक यह डेस्टिनेशन नहीं डिवाइन वेडिंग है। राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सामाजिक समरसता का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। पं. धीरेन्द्र शास्त्री महाराज ने कहा कि इस तरह के सामूहिक और कम खर्च वाले विवाह समारोहों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। समाज का हर वर्ग इस व्यवस्था को स्वीकार कर आगे बढ़े। वर्तमान समय में देश को नए तरीके से सोचने की जरूरत है।

तो वास्तव में देश और समाज को नए तरीके से सोचने की जरूरत है। शादियों और दिखावे में फिजूलखर्ची रोकने की जरूरत है। फिजूलखर्ची और दिखावे का बहिष्कार कर सामाजिक सरोकार से भरी पहल को अंगीकार करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री के रूप में पहली बार डॉ. मोहन यादव ने आदर्श उदहारण पेश कर एक मन:स्पर्शी संदेश दिया है तो आओ हम सभी इस अच्छी पहल को आगे बढ़ाएं… और डेस्टिनेशन, दिखावे और फिजूलखर्ची वाली शादी की जगह डिवाइन वेडिंग की इस कड़ी में सहभागी बनें।