
Jewellery Stolen from Dead Body:विधायक के अस्पताल में महिला के शव से ज्वेलरी चोरी का मामला,19 दिन बाद केस दर्ज, जानें क्या पूरा मामला!
कृष्णा नगर के विधायक के अस्पताल में महिला के शव से गहने चोरी होने का मामला सामने आया है। परिजनों की शिकायत के 19 दिन बाद पुलिस ने केस दर्ज किया है।
नई दिल्ली, कृष्णा नगर स्थित गोयल हॉस्पिटल में एक महिला की मौत के बाद उसके शरीर से ज्वेलरी गायब होने का गंभीर आरोप सामने आया है। पीड़ित परिवार ने इस मामले की लिखित शिकायत क्षेत्रीय विधायक और अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ दर्ज कराई है, जिसमें उन्हें बड़ी लापरवाही और संदिग्ध भूमिका का आरोप लगाया गया है।
शिकायत के अनुसार, 11 नवंबर की सुबह करीब 5 बजे बुजुर्ग महिला को गंभीर हालत में गोयल हॉस्पिटल लाया गया, जहां उन्हें इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया। परिजनों का कहना है कि प्रारंभिक इलाज के दौरान महिला के पास मौजूद सोने की ज्वेलरी सुरक्षित थी और अस्पताल स्टाफ ने इसे अटेंड किया था। लेकिन रात करीब 5:45 बजे महिला को “क्रिटिकल” बताकर जीटीबी अस्पताल रेफर कर दिया गया। जब तक महिला को वहां ले जाया गया, तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
परिजनों का आरोप है कि शव को ले जाते समय उन्होंने देखा कि महिला के कानों के टॉप्स और टॉप्स पर लगी चेन गायब थी। परिवार ने कहा कि अस्पताल के स्टाफ ने न तो ज्वेलरी का जिक्र किया और न ही कोई संतोषजनक जवाब दिया। पुलिस ने इस मामले में फिलहाल कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जबकि पुलिस का कहना है कि उनके पास और भी बहुत सारे काम हैं और ऐसे मामलों के लिए पर्याप्त समय नहीं है।
परिवार ने मांग की है कि अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की जाए ताकि यह स्पष्ट हो सके कि महिला की ज्वेलरी कहां और कैसे गायब हुई। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल के स्टाफ ने ही चोरी की। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने टॉप्स वापस कर दिए हैं, लेकिन उनके ऊपर लगी सोने की चेन अब तक नहीं मिली।
पीड़ित परिवार ने जब विधायक डॉ. अनिल गोयल से संपर्क किया तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह काम पुलिस का है और मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता। पत्रकारों से बात करते हुए भी डॉक्टर अनिल गोयल ने साफ मना कर दिया कि मैं ऐसे मामले में कोई टिप्पणी नहीं दूंगा और जो पुलिस का काम है वह पुलिस करेगी।
परिवार का कहना है कि जब जनप्रतिनिधि ही ऐसे मामलों में पल्ला झाड़ते हैं, तो लोगों का विश्वास ऐसे अस्पताल और जनप्रतिनिधियों से उठ जाता है। पीड़ित पक्ष ने न्याय की मांग की है और अस्पताल प्रबंधन की भूमिका की निष्पक्ष जांच की आवश्यकता जताई है।





