
Big Decision Of Indore Highcourt: जयस के खरगोन जिला अध्यक्ष सचिन सिसोदिया पर लगाया एक लाख का जुर्माना
खरगोन : कुत्ता गुमने पर कथित तौर पर पुलिस कांस्टेबल की पिटाई के बहुचर्चित मामले में हाई कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका को इंदौर उच्च न्यायालय ने विशेष एजेंडे के तहत दायर किए जाने की टिप्पणी करते हुए डिसमिस कर दिया है । इसके साथ ही याचिका कर्ता जयस के खरगोन जिला अध्यक्ष सचिन सिसोदिया पर एक लाख रु का जुर्माना लगाया है।
हाई कोर्ट खंडपीठ इंदौर के डबल बेंच के जज विजय कुमार शुक्ला और विनोद कुमार द्विवेदी ने 3 दिसंबर को दिए अपने निर्णय में सचिन कुमार सिसोदिया की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है । हाई कोर्ट ने जनहित याचिका को विशेष एजेंडे (गुप्त अभिप्राय) से दायर किए जाने और जेनुइन नहीं मानते हुए याचिका कर्ता जयस के जिलाध्यक्ष सचिन सिसोदिया पर 1 लाख रु का जुर्माना भी लगाया है।




कोर्ट ने आदेश में कहा,
“हमारा विचार है कि वर्तमान जनहित याचिका गलत मंशा से दायर की गई है और यह वास्तविक जनहित याचिका नहीं है। अतः इसे खारिज किया जाता है तथा याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है, जिसे याचिकाकर्ता को हाई कोर्ट लीगल एड सर्विसेज अथॉरिटी, इंदौर में जमा करना होगा। यह राशि एक अलग खाते में रखी जाएगी और हाई कोर्ट, इंदौर के डिस्पेंसरी को अपग्रेड करने के लिए उपयोग की जाएगी”।
कोर्ट ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता को यह राशि आदेश के एक माह के भीतर जमा करनी होगी। निर्धारित समयावधि में राशि जमा न करने पर इसे खरगोन जिले के कलेक्टर द्वारा भूमि राजस्व बकाया की तरह वसूल किया जाएगा। और इसकी अनुपालन रिपोर्ट हाई कोर्ट में दी जाएगी।
सचिन सिसोदिया ने पुलिस विभाग के आर आई सौरभ सिंह कुशवाहा के खरगोन स्थित सरकारी निवास से कुत्ता गुम जाने पर वहां ड्यूटी के लिए तैनात कांस्टेबल राहुल चौहान की बेल्ट से पिटाई करने के मामले में हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर केस दर्ज करने की मांग की थी।
कोर्ट ने यह भी बताया कि इसी तरह की एक और जनहित याचिका इसी विषय पर इसी एडवोकेट के माध्यम से दाखिल की गई थी, जो 4 सितंबर को डिसमिस कर दी गई थी।
इसके अलावा कांस्टेबल राहुल चौहान ने भी एक याचिका लगाई थी लेकिन उसने स्वयं उपस्थित कर होकर 14 अक्टूबर को कंप्रोमाइज करने की सूचना देते हुए इसे विद ड्रा कर लिया था, जिसके चलते वह भी जनहित याचिका डिसमिस हो गई थी।
कोर्ट ने कहा कि जब कथित पीड़ित स्वयं कोर्ट में याचिका दायर कर उसे वापिस ले चुका है, इसलिए उसके मामले में किसी अन्य को हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं थी।
यह बहुचर्चित कांड था, इसमें कई दिनों तक आदिवासी संगठन ने आर आई सौरभ सिंह कुशवाहा पर प्रकरण दर्ज किए जाने की मांग को लेकर आंदोलन किया था। इस मामले में जांच बिठाई गई थी, जांच को बुरहानपुर के एडिशनल एसपी ने कंप्लीट कर डीआईजी को सौंपा था।और आर आई सौरभ सिंह कुशवाहा को निलंबित कर दिया गया था।
सौरभ सिंह कुशवाहा पर आरोप था कि वह इंदौर प्रवास के दौरान अपना घर कांस्टेबल राहुल चौहान को देखरेख के लिए छोड़ गए थे।
इसी दौरान उनका पालतू कुत्ता घर से चले गया था। ऐसा माना जा रहा था कि कुत्ता राहुल चौहान द्वारा घर में तेज आवाज में म्यूजिक बजाये जाने से परेशान हो रहा था, इसलिए राहुल ने उसे भगा दिया था। बाद में नाले के पास पाए गए कुत्ते के शरीर पर चोटों के निशान भी थे।
सौरभ सिंह कुशवाहा पर आरोप लगा था कि इससे नाराज होकर उन्होंने पुलिस कांस्टेबल राहुल चौहान को बुरी तरह बेल्ट से पीटा था। घटना के बारे में पता चलने पर आदिवासी संगठन आक्रोशित हो गए थे और उन्होंने आंदोलन कर दिया था।
विभिन्न आदिवासी संगठनों ने राहुल चौहान द्वारा हाई कोर्ट से अपनी याचिका वापस लेने के बाद सोशल मीडिया पर उसकी काफी खिंचाई भी की थी। उनका मानना था कि राहुल चौहान के लिए लड़ाई लड़ने के बावजूद उसने कंप्रोमाइज कर लिया। इस मामले में हुई राजनीतिक उठापठक से पुलिस विभाग भी अछूता नहीं रह पाया था, और जिले में बढियां काम कर रहे और लोकप्रिय एसपी धर्मराज मीना को इस घटना के बाद स्थानांतरित कर दिया था।
मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर सौरभ सिंह कुशवाहा को बहाल कर फिलहाल भोपाल में पोस्टिंग दी गई है।
उधर जयस के खरगोन जिला अध्यक्ष सचिन सिसोदिया ने कहा कि वह अदालत के निर्णय का सम्मान करते हैं, लेकिन इसकी अपील सुप्रीम कोर्ट में करेंगे।





