चिंतन :पूरा मध्यम वर्ग आज टाइम ब_म बना हुआ है। इस अंधी दौड़ को रोकने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए!

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चिंतन :पूरा मध्यम वर्ग आज टाइम ब_म बना हुआ है। इस अंधी दौड़ को रोकने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए!

श्रीकांत दुबे

कल शाम एक 35 वर्षीय युवक ने दसवीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। तस्वीर में नीचे जो चूने का घेरा बना है, वहीं पर गिरा था उसका शरीर। घेरे के अंदर दिखता निशान उसी के शरीर के फूटने-फटने से बहे रक्त का है। यह सब क्यों हुआ, किसकी वजह से हुआ, इसकी तह में जाने की हिम्मत नहीं हुई मेरी। क्योंकि मैं ऐसी तमाम वज़हों से हर रोज़, हर वक़्त दो चार होते रहने वाले दसियों युवकों से रोज मिलता हूँ, जिनमें से कोई भी, कभी भी ऐसे कदम उठा ले, तो मुझे हैरत नहीं होगी। सरल शब्दों में कहूँ, तो इनके पीछे मध्यम वर्ग के भीतर घर कर गई अतिशय महत्वाकांक्षाएँ और अपेक्षाएँ ही एक मात्र कारण हैं। यह अपेक्षाएँ और महत्वाकांक्षाएँ उस व्यक्ति की खुद की भी हो सकती हैं, और/या उसके साथ रहने वालों की, जिन्हें पूरा करने के प्रयास में पूरा जीवन खपा देने या फिर जिनके पूरी न होने की निराशा में इस गति तक पहुंच जाने के दो ही रास्ते ऐसे लोगों को दिखाई देते हैं।
पूरा मध्यम वर्ग आज टाइम ब_म बना हुआ है। इस अंधी दौड़ को रोकने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए। हमें खुद यह समझने और आस-पास सभी को समझाने की जरूरत है, कि अपनी बुनियादी जरूरतों के पूरा होने के बाद कुछ भी ऐसा नहीं हो सकता है, जिसके न मिलने पर हम जीवन ही समाप्त कर दें। महंगी गाड़ियां, बड़े घर, आभूषण, इनमें से कुछ भी जीवन से ज्यादा कीमती नहीं है। इन्हें पाने के आवेग में हम जिन्हें खो सकते हैं, वह उसके बाद कभी भी वापस नहीं लौट पाएंगे।
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श्रीकांत दुबे

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