
Kissa-A-IAS: IAS Vaishnavi Paul: असफलताओं से गुजरकर सफलता तक पहुंचने का अनुशासित सफर
सुरेश तिवारी
किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता केवल प्रतिभा का परिणाम नहीं होती, बल्कि निरंतरता, आत्ममंथन और धैर्य की परीक्षा होती है। भारतीय प्रशासनिक सेवा जैसी कठिन और बहुस्तरीय परीक्षा में यह बात और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से निकलकर चौथे प्रयास में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित हुईं वैष्णवी पॉल की कहानी इसी अनुशासित संघर्ष और परिपक्व तैयारी का उदाहरण है।

▪️पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक संस्कार
▫️वैष्णवी पॉल उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की रहने वाली हैं। उनका पारिवारिक वातावरण शिक्षा के प्रति जागरूक रहा है। उनकी माता शिक्षण क्षेत्र से जुड़ी हैं जबकि पिता व्यवसाय करते हैं। परिवार से मिले नैतिक समर्थन और स्थिर वातावरण ने उन्हें लंबे समय तक चलने वाली यूपीएससी तैयारी के दौरान मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद की। प्रारंभिक शिक्षा उन्होंने गोंडा स्थित फातिमा स्कूल से प्राप्त की। विद्यालयीन जीवन से ही प्रशासनिक सेवा में जाने की आकांक्षा उनके भीतर स्पष्ट रूप से विकसित होने लगी थी।

▪️उच्च शिक्षा और वैचारिक परिपक्वता
▫️स्नातक शिक्षा के लिए वैष्णवी दिल्ली गईं और लेडी श्रीराम कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। इन संस्थानों में अध्ययन के दौरान उन्होंने सामाजिक मुद्दों, आर्थिक नीतियों और प्रशासनिक संरचनाओं को समझने की क्षमता विकसित की। यह शैक्षणिक पृष्ठभूमि आगे चलकर यूपीएससी की तैयारी में उनके लिए मजबूत आधार बनी।

▪️तैयारी का कठिन दौर और असफलताओं से सीख
▫️वैष्णवी पॉल का यूपीएससी सफर सरल नहीं रहा। उन्होंने लगातार तीन प्रयासों में असफलता का सामना किया। हर प्रयास के बाद उन्हें अपनी तैयारी, उत्तर लेखन शैली, समय प्रबंधन और विषय चयन पर गंभीर आत्ममूल्यांकन करना पड़ा। उन्होंने असफलताओं को अंत नहीं बल्कि सुधार का अवसर माना। रणनीति में बदलाव किया, टेस्ट अभ्यास पर जोर बढ़ाया और कमजोर क्षेत्रों पर केंद्रित तैयारी की। यह अनुशासित और वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण ही चौथे प्रयास में उनकी सफलता का आधार बना।

▪️चौथा प्रयास और निर्णायक सफलता
▫️चौथे प्रयास में वैष्णवी पॉल ने अखिल भारतीय रैंक 62 प्राप्त कर भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन सुनिश्चित किया। यह सफलता अचानक नहीं आई, बल्कि वर्षों की निरंतर तैयारी और मानसिक दृढ़ता का परिणाम थी। उनका चयन इस बात का उदाहरण है कि सही समय पर सही रणनीति कितनी निर्णायक हो सकती है।

▪️साक्षात्कार और संतुलित प्रस्तुति
▫️यूपीएससी साक्षात्कार में वैष्णवी का प्रदर्शन संतुलित और व्यवहारिक रहा। उन्होंने प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रशासनिक दृष्टिकोण, सकारात्मक सोच और सामाजिक समझ का परिचय दिया। उनका मानना है कि साक्षात्कार केवल ज्ञान की परीक्षा नहीं, बल्कि व्यक्तित्व, निर्णय क्षमता और संवाद कौशल का मूल्यांकन होता है। इसी समझ ने उन्हें अंतिम चरण में बढ़त दिलाई।
▪️कैडर आवंटन और प्रशासनिक जिम्मेदारी
▫️वैष्णवी पॉल का चयन 2022 के परिणामों के आधार पर हुआ और उन्हें तमिलनाडु कैडर आवंटित किया गया। वे 2023 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं। वर्तमान में वे मदुरै में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं। प्रारंभिक प्रशासनिक कार्यकाल में ही उन्होंने स्थानीय प्रशासन, विकास योजनाओं और नागरिक समस्याओं के समाधान पर सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है।

▪️प्रारंभिक कार्य और कार्यशैली
▫️सहायक कलेक्टर के रूप में वैष्णवी का फोकस जमीनी स्तर पर प्रशासनिक प्रक्रियाओं को समझने और प्रभावी क्रियान्वयन पर रहा है। ग्रामीण विकास योजनाओं की निगरानी, जनसुनवाई और समयबद्ध समाधान उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहे हैं। उनका प्रयास रहा है कि प्रशासन और आम नागरिक के बीच संवाद मजबूत हो और योजनाओं का लाभ वास्तविक पात्रों तक पहुंचे।
▪️प्रेरणा का संदेश
▫️वैष्णवी पॉल की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो प्रारंभिक असफलताओं के बाद स्वयं को अयोग्य मानने लगते हैं। उनका सफर यह स्पष्ट करता है कि असफलता स्थायी नहीं होती, यदि उससे सीखने की क्षमता हो। निरंतर अभ्यास, आत्मविश्लेषण और धैर्य किसी भी लक्ष्य को संभव बना सकते हैं।
▫️आईएएस वैष्णवी पॉल की सफलता केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उस सोच का प्रतिनिधित्व करती है जिसमें मेहनत, अनुशासन और समय के साथ परिपक्व होती रणनीति निर्णायक भूमिका निभाती है। उनका प्रशासनिक सफर यह दर्शाता है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा केवल पद नहीं, बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी और सेवा का माध्यम है। ऐसे युवा अधिकारी ही प्रशासन में दीर्घकालिक सकारात्मक बदलाव की नींव रखते हैं।





