गांधीजी की हत्या या गाँधीजी का पुनर्जन्म… वीबी-‘जी राम जी’…

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गांधीजी की हत्या या गाँधीजी का पुनर्जन्म… वीबी-‘जी राम जी’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वीबी-‘जी राम जी’ बिल को दी मंजूरी दे दी है। पर विपक्ष और कांग्रेस मनरेगा का नाम बदलने और योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाने को लेकर लगातार विरोध कर रहा है। विकसित भारत-रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) गारंटी बिल, 2025 (वीबी-‘जी राम जी’) अब कानून बन गया है। नया कानून 20 साल पुराने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेगा। इस बीच, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाना उनकी दोबारा हत्या करने जैसा है। गांधी जी को एक बार 30 जनवरी 1948 को मारा गया था। अब उन्हें दोबारा मारा जा रहा है।

 

गांधीजी हमेशा ही राजनीति के मैदान में राजनैतिक दलों द्वारा अपनी-अपनी तरफ खींचे जाते रहे हैं। 21वीं सदी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर अपना-अपना दावा जताने का युद्ध बहुत ही तेजी से छिड़ा है। महात्मा गांधी और बाबा साहेब अंबेडकर दोनों नेताओं को सभी राजनैतिक दल अपने-अपने दिल के बहुत करीब साबित करने में लगे हैं। ऐसे में योजना से गांधी का नाम हटने पर विरोध का काम तो राजनैतिक दलों को करना ही था। और केंद्र सरकार के साथ ही मोदी-शाह को नाम बदलते समय भी इस बात का पूरा भान भी होगा। और सोच समझकर ठोस तरीके से ही केंद्र सरकार ने योजना का नाम बदलने के इस खतरे पर आगे बढ़ने का फैसला लिया होगा। विकसित भारत जोड़कर केन्द्र सरकार ने अपनी प्राथमिकता तो जता ही दी है कि योजना के तहत मजदूरी करने वाले मजदूर भी अब मानसिक रूप से यह धारणा बना लें कि अब हर काम विकसित भारत बनाने के लिए करना है। तो मनरेगा से महात्मा का नाम हटाकर और राम का नाम जोड़कर केंद्र सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि महात्मा गांधी भी अंतिम समय में ‘हे राम’ का संदेश देकर गए हैं और ऐसे में महात्मा गांधी की सोच के अनुरूप अब योजना को राम नाम के साथ आगे बढ़ाने में कोई हर्ज नहीं है। और विरोध चंद दिनों का है, बाद में सबकी जुबां पर नया नाम भी

आना ही है। राम के देश भारत को विकसित बनाना है, यह बात ही बाद में सबकी जुबां पर रहेगी। और इसीलिए अब ‘वीबी-जी राम जी’ विरोधों को दरकिनार कर कानून बनकर विरोधियों को मुंह चिड़ा रही है। और विरोध में इतना दम भी नहीं है कि कोई जन आंदोलन खड़ा होकर केन्द्र सरकार को मुसीबत में डाल सके। ऐसे में यह मानना ही बेहतर है कि महात्मा गांधी का नाम हटना उनकी दूसरी बार हत्या नहीं मानी जा सकती बल्कि यह माना जा सकता है कि योजना का नाम बदलने के साथ और नई योजना में राम का नाम जुड़ने पर गांधी का पुनर्जन्म ही हो गया है।

तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद ‘वीबी-जी राम जी’ बिल 2025 लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। इससे करीब दो दशक पुराना मनरेगा कानून नए ढांचे में बदल गया है। नए कानून में ग्रामीण परिवारों के लिए रोजगार गारंटी 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दी गई है। फंडिंग में केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 का बंटवारा तय किया गया है और बुआई-कटाई के दौरान 60 दिन तक काम रोकने का प्रावधान जोड़ा गया है ताकि खेती किसानी के काम में मजदूर मिलने में कोई समस्या न आ सके। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद करीब दो दशक पुराना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा अब नए कानूनी ढांचे से बदल दिया गया है, जिसे सरकार के विकसित भारत 2047 के विजन से जोड़ा गया है। अब केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझा फंडिंग का प्रावधान किया गया है। जबकि इससे पहले पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10 और अन्य राज्यों के लिए 75:25 का पैटर्न लागू था। सरकार का कहना है कि इससे सहकारी संघवाद को बढ़ावा मिलेगा और राज्यों की जिम्मेदारी बढ़ेगी। काम के दायरे को भी सीमित किया गया है। अब रोजगार मुख्य रूप से चार क्षेत्रों तक सीमित रहेगा। जल सुरक्षा, बुनियादी ग्रामीण ढांचा, आजीविका से जुड़े संसाधन और जलवायु अनुकूलन। सरकार का दावा है कि इससे बनने वाली परिसंपत्तियों की गुणवत्ता और टिकाऊपन बेहतर होगा।

 

पर विपक्ष ने इस कानून का कड़ा विरोध किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने कानून के नाम से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने 21 दिसंबर 2025 को चेन्नई में पत्रकारों से बातचीत में राहुल प्रियंका की भावनाओं को ही प्रकट किया है। वहीं कानून अब कहता है कि जब तक राज्य इस सटीक नाम का इस्तेमाल नहीं करेंगे, उन्हें फंड नहीं मिलेगा। एक दिन पहले कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने भी वीडियो जारी करके कहा था कि सरकार ने जरूरतमंदों को रोजगार देने वाले मनरेगा पर बुलडोजर चलाया है। अब किसको, कितना, कहां और किस तरह रोजगार मिलेगा, यह जमीनी हकीकत से दूर दिल्ली में बैठकर सरकार तय करेगी। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, मनरेगा का नाम पहले महात्मा गांधी के नाम पर नहीं रखा गया। वो तो पहले नरेगा थी। बाद में जब 2009 के चुनाव आए तब चुनाव और वोट के कारण महात्मा गांधी याद आए। इसके बाद उसमें जोड़ा गया महात्मा गांधी।

विपक्ष ने इस बिल के विरोध में संसद परिसर में मार्च भी निकाला था। पर अब यह बात साफ है कि विरोध को किनारे पर रखकर अब विपक्ष को भी यह मानना ही पड़ेगा कि गाँधी की हत्या नहीं बल्कि नई योजना गांधी का पुनर्जन्म ही है…।

 

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।