
Vinod Kumar Shukla has Passed Away:’नौकर की कमीज, दीवार में एक खिड़की रहती थी’ के लेखक विनोद कुमार शुक्ल नहीं रहे,PM नरेन्द्र मोदी ने जताया दुःख
रायपुर: ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित छत्तीसगढ़ के जाने-माने हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का 89 साल की उम्र में रायपुर एम्स में निधन हो गया। उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने के कारण दो दिसंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और वे वेंटिलेटर पर ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। मंगलवार को उन्होंने अंतिम सांस ली।

विनोद कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ में हुआ था। उन्होंने अध्यापन को अपना पेशा बनाया और साहित्य सृजन पर पूरा ध्यान केंद्रित किया। उनकी लेखन शैली सरल भाषा, गहरी संवेदनशीलता और विशिष्टता के लिए जानी जाती है। शुक्ल ने उपन्यास और कविता विधाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी पहली कविता ‘लगभग जयहिंद’ 1971 में प्रकाशित हुई थी। उनके प्रमुख उपन्यासों में ‘नौकर की कमीज’, ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ और ‘खिलेगा तो देखेंगे’ शामिल हैं। ‘नौकर की कमीज’ पर फिल्म भी बनी और ‘दीवार में एक खिड़की रहती थी’ को साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
PM नरेन्द्र मोदी ने जताया दुःख –
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।
— Narendra Modi (@narendramodi) December 23, 2025






