
ऐतिहासिक दिव्य सोमनाथ ज्योतिर्लिंग अंश और अष्टमुखी पशुपतिनाथ महादेव का दिव्य मिलन
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मन्दसौर। मंदसौर में आध्यात्मिक ऊर्जा और वैदिक परंपरा का अनुपम संगम उस समय देखने को मिला, जब वैदिक धर्म संस्थान एवं आर्ट ऑफ लिविंग परिवार के संयुक्त तत्वावधान में 1000 वर्ष प्राचीन सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के दिव्य एवं अलौकिक शिवलिंग अंश की पूजा-अभिषेक एवं महा रूद्र पूजा का भव्य आयोजन अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ महादेव मंदिर परिसर के सभागार में संपन्न हुआ। यह आयोजन श्रद्धा, भक्ति और सनातन संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का जीवंत उदाहरण बना।

इस पावन अवसर पर बेंगलुरु आश्रम से पधारे स्वामी दर्शक हाथी एवं स्वामी गुरु कृपानंद जी का दिव्य सानिध्य प्राप्त हुआ। स्वामी गुरु कृपानंद जी बीते कई दिनों से मंदसौर जिले के सुवासरा, शामगढ़ एवं सीतामऊ क्षेत्रों में इस दिव्य यात्रा के लिए जनजागरण करते हुए पदयात्राएं कर रहे थे। उनकी तपस्या और साधना ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया।
कार्यक्रम के दौरान स्वामी श्री दर्शक हाथी ने प्राचीन सोमनाथ के 1000 वर्ष पुराने ज्योतिर्लिंग के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भले ही विदेशी आक्रांताओं ने भारत की संस्कृति और विरासत को नष्ट करने के अनेक प्रयास किए, लेकिन सनातन परंपरा को कोई समाप्त नहीं कर सका। लगभग 1000 वर्ष पूर्व मोहम्मद गजनी सहित अन्य आक्रांताओं द्वारा सोमनाथ के दिव्य शिवलिंग को खंडित किया गया था, जिसके अवशेष तत्कालीन पुजारियों एवं आचार्यों ने श्रद्धापूर्वक सुरक्षित रखे।

उन्होंने बताया कि लगभग 100 वर्ष पूर्व कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य ने सोमनाथ मंदिर के पुजारी वंशजों को निर्देश दिया था कि भविष्य में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पश्चात यह दिव्य शिवलिंग दक्षिण भारत में रविशंकर जी नाम के संत होंगे, उन्हें सौंपा जाए। इसी निर्देश के अनुसार वर्ष 2024 में सोमनाथ मंदिर के पुजारी वंशज यह दिव्य शिवलिंग बेंगलुरु आश्रम लेकर श्री श्री रविशंकरजी को सौंपने हेतु पहुंचे। कुंभ मेले में संतों के साथ विचार-विमर्श के बाद इस ज्योतिर्लिंग की भारत यात्रा का निर्णय लिया गया, जिसके क्रम में मंदसौर इसका आगमन हुआ।

स्वामीजी ने सभी से आग्रह किया कि जीवन में ज्ञान, आध्यात्म एवं स्वच्छता को बना कर रखें ।
महारूद्र पूजा एवं अभिषेक के पश्चात पशुपतिनाथ मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन कर आध्यात्मिक लाभ प्राप्त किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ क्षेत्रीय सांसद श्री सुधीर गुप्ता द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इस अवसर पर सुमेरू संध्या के गायक योगेंद्र शर्मा एवं उनकी टीम ने भावपूर्ण शिव भजनों की प्रस्तुति देकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

महारुद्र पूजा अभिषेक में तीन छतरी बालाजी महंत श्री रामकिशोर दास जी महाराज संत श्री,आर्ट ऑफ लिविंग के वरिष्ठ शिक्षक सुरेंद्र संघवी, हरिशचंद्र रायवाल, रघुराज सिंह सिसोदिया, सुमेर सिंह देवड़ा, कमलेश कोठारी, शीनू शर्मा,दिलीप परमार, प्रतीक्षा सोमानी, शैलेंद्र माथुर, दिनेश जैन सीए, प्रीति जैन महेंद्र सिंह भटनागर, डॉ घनश्याम बटवाल, बालाराम गुप्ता, विनीता राव, नरेंद्र धनोतिया सोनाली गुर्जर, सीमा मोदी, किरण गरुड़, ऋतु कोठारी, मंगला धनोतिया प्रमिला संघवी, मधु राठौर, अनीता उपाध्याय, यतींद्र जोशी, दिनेश व्यास,सुशील तिवारी, इंद्र कुमार धाकड़, अदिति धनोतिया वासुदेव सोमानी, अनिल शर्मा, संदीप बलदेव सिंह सिकरवार अशोक त्रिवेदी बंसीलाल टांक सहित बड़ी संख्या में मंदसौर जिले के शामगढ़, सुवासरा, सीतामऊ, नाहरगढ़ से श्रद्धालु एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना के जागरण की दृष्टि से भी ऐतिहासिक बन गया।





