Court Verdict : युवती का अपहरण कर दुष्कर्म करने वाले को 10 वर्ष का सश्रम कारावास, अर्थदंड लगाया!

जानिए पूरा प्रकरण?

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Ratlam News: नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले को हुआ 10 वर्ष का कठोर कारावास

Court Verdict : युवती का अपहरण कर दुष्कर्म करने वाले को 10 वर्ष का सश्रम कारावास, अर्थदंड लगाया!

Ratlam : न्यायालय राकेश कुमार शर्मा, लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 ने युवती से दुष्कर्म करने वाले आरोपी राजु (31) पिता वहरिंग निनामा निवासी- जाम्बुवानिया पुलिस थाना बाजना जिला रतलाम को भादंसं की धारा 366 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500 रूपए का अर्थदंड एवं भादंसं की धारा 376 (2) (एन) 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाते हुए आरोपी को को जेल भेजा। प्रभारी अभियोजन अधिकारी श्रीमती आशा शाक्यवार ने बताया कि 10 जून 2023 को पीड़ित युवती के पिता ने बाजना थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि मैं सुबह से ही मेरे खेत पर गया था। मेरी पत्नी व पुत्री घर पर ही थे। जब मैं खेत से वापस घर आया तो मुझे मेरी लडकी घर में दिखाई नहीं दी तो मैंने मेरी पत्नी से पूछा कि लड़की कहा हैं तो उसने कहा कि अभी तो यही थी। इसके बाद मैंने और मेरी पत्नी ने आसपास रहने वाले और रिश्तेदारों से पुछताछ की तब पता चला कि मेरी लड़की को कोई अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया हैं।

मामले में पुलिस द्वारा बाजना थाना पर अपराध क्रमांक 218/2023 धारा 363 भादंवि का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया और नाबालिग को दस्तयाब कर उसके और माता-पिता के बयान लिए और आरोपी के विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कर युवती का मेडिकल परीक्षण कराया गया जप्त किए गए प्रदर्शो को जांच हेतु एफएसएल भेजा गया न्यायालय में गवाहों के बयान से आरोपी के विरूद्ध अपराध सिद्ध पाए जाने पर आरोपी को 20 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार किया गया। पुलिस द्वारा संपूर्ण अनुसंधान उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध धारा 363,366 क्रमांक 376(2)(एन), भादंवि एवं धारा 5एल/6, पॉक्सो एक्ट का अभियोग पत्र तैयार कर विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय द्वारा विचारण के दौरान प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर नाबालिग को 18 वर्ष से कम उम्र की श्रेणी में पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत नहीं माना किन्तु अभियोजन की घटना और साक्ष्य के आधार पर आरोपी राजु द्वारा युवती के साथ किए गए अपहरण, बलात्कार कि घटना को सिद्ध पाते हुए अभियोजन की और से प्रस्तुत मौखिक साक्ष्य, दस्तावेजी साक्ष्य एवं वैज्ञानिक (एफ.एस.एल/डीएनए) रिपोर्ट को प्रमाणित मानते हुए आरोपी को दोषसिद्ध किया गया। प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्रीमती गौतम परमार विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई!