मांगी इच्छा मृत्यु, चौंकाने वाले तथ्य सामने आए,अब होगा निलंबन

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मांगी इच्छा मृत्यु, चौंकाने वाले तथ्य सामने आए,अब होगा निलंबन

खरगोन :खरगोन जिले की जनसुनवाई में उस समय सनसनी फैल गई थी, जब एक सरकारी कर्मचारी ने वेतन नहीं मिलने का हवाला देते हुए इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली। मामला संवेदनशील होने के कारण प्रशासन हरकत में आया, लेकिन अब जांच पूरी होने के बाद जो सच्चाई सामने आई है, उसने पूरे प्रकरण की दिशा ही बदल दी है।
दरअसल, मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में पदस्थ रेडियोग्राफर मुकेश हिरवे ने 23 दिसंबर 2025 को कलेक्टर की जनसुनवाई में आवेदन देकर दावा किया था कि उसे पिछले छह महीनों से वेतन नहीं मिला है। आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए उसने इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी। इस आवेदन के बाद मामला मीडिया और प्रशासन दोनों के लिए चर्चा का विषय बन गया।

हालांकि, जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराई गई जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दौलत सिंह चौहान ने बताया कि मुकेश हिरवे का जिला स्तरीय स्थानांतरण नीति वर्ष 2025 के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र महेश्वर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कसरावद किया गया था। नियमानुसार उसे रिलीव भी कर दिया गया था और उसकी लास्ट पे सर्टिफिकेट (LPC) भी संबंधित कार्यालय को भेज दी गई थी।

इसके बावजूद, कर्मचारी ने बार-बार सूचना दिए जाने के बाद भी नए पदस्थापना स्थल पर आज तक अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि वह लगातार छह महीने से अनुपस्थित है। शासन के नियमों के अनुसार, स्थानांतरण स्थल पर जॉइन किए बिना वेतन का भुगतान संभव नहीं है।

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डॉ. चौहान ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि नियमों के विरुद्ध वेतन आहरण की मांग करना और जनसुनवाई जैसे मंच पर इच्छा मृत्यु की मांग करना न केवल अनुचित है, बल्कि यह गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। लगातार अनुपस्थिति और कर्तव्यों के प्रति लापरवाही को देखते हुए मुकेश हिरवे के निलंबन का प्रस्ताव रीजनल जॉइंट डायरेक्टर, इंदौर को भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट से कलेक्टर भव्या मित्तल को भी अवगत करा दिया गया है।
अब जांच में सच्चाई सामने आने के बाद यह मामला प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि कर्मचारी की अनुशासनहीनता के रूप में दर्ज हो गया है। जल्द ही इस पर अंतिम कार्रवाई होने की संभावना है।