
Court Dismissed the Claim : शासकीय भूमि पर कब्जा मामले में न्यायालय का फैसला, वादी का दावा किया खारिज, भूमि को माना शासकीय!
Ratlam : जिले की रावटी तहसील के ग्राम बिलड़ी में स्थित लगभग 100 बीघा वन भूमि को न्यायाधीश सुश्री नेहा सावनेर की न्यायालय ने शासकीय भूमि मानते हुए लगाएं गए दावे को खारिज कर दिया हैं। शासकीय अधिवक्ता संजीव सिंह चौहान ने बताया कि वादी कैलाश पिता अमरचंद पोरवाल व उसके 2 पुत्रों सोहन व अंकित पत्नी सुभद्रा तथा पुत्रवधू गंगा समस्त निवासी ग्राम बिलड़ी की और से एक वाद स्थाई निषेधाज्ञा हेतु मध्य प्रदेश शासन द्वारा कलेक्टर तथा वन मंडल अधिकारी जिला रतलाम के विरुद्ध पेश किया गया था। जिसमें वादी द्वारा सर्वे क्रमांक 524, 525, 526, 527, 528, तथा सर्वे क्रमांक 533, 387/1, 486/3 कुल 100 बीघा से अधिक भूमि के संबंध में घोषणा एवं प्रतिवादीगण के विरुद्ध स्थाई निषेधाज्ञा जारी करने हेतु प्रस्तुत किया गया था। वादी गण द्वारा उक्त भूमि पर लगभग 70- 80 वर्षों से अपना कब्जा होना बताया गया था तथा उक्त भूमियों पर कृषि कार्य करना और अपने परिवार का भरण पोषण करने का अभिवचन पेश किए गए थे वर्ष 2019 में वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा सर्वे क्रमांक 533 की भूमि पर प्रतिवादीगण के द्वारा कब्जा किए जाने के संबंध में एक प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था।
इसके पश्चात वादीगण द्वारा एक वाद न्यायालय में प्रस्तुत किया था। प्रतिवादी द्वारा उपरोक्त समस्त भूमि वन विभाग की भूमि होना बताते हुए मध्य प्रदेश शासन के स्वामित्व की बताया था, वादीगण द्वारा फर्जी पट्टे के आधार पर दावा प्रस्तुत किया था। प्रकरण का विचारण प्रथम व्यवहार न्यायाधीश वरिष्ठ खंड सैलाना जिला रतलाम की न्यायाधीश सुश्री नेहा सावनेर की न्यायालय में हुआ था जहां पर वादी एवं प्रतिवादीगण द्वारा अपने-अपने साक्ष्य एवं दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए थे, प्रतिवादीगण द्वारा समस्त भूमियों के दस्तावेज न्यायालय में प्रदर्शन कराए गए थे। जहां पर वादी एवं प्रतिवादी के अंतिम तर्क श्रवण करने के पश्चात न्यायालय द्वारा सर्वे क्रमांक 533 /2 533 /3, 533/4, 533/5,533/ 6 533/7 533 /8 व 533/ 9, 533/10 एवं सर्वे क्रमांक 486/3 एवं सर्वे क्रमांक 387/1 की लगभग 19.97 हेक्टेयर (100 बीघा) पर वादीगण का कोई कब्जा नहीं मानते हुए वादीगण का वाद निरस्त किया गया है। प्रकरण में वन विभाग की और से वन परिक्षेत्र अधिकारी श्रीमती पुष्पलता मोरे तथा मध्य प्रदेश शासन की और से तहसीलदार महमूद अली द्वारा अपना पक्ष और दस्तावेज प्रस्तुत किए थे। वन विभाग और मध्य प्रदेश की और से पैरवी शासकीय अधिवक्ता संजीव सिंह चौहान के द्वारा की गई!





