
आज जंगल बुक की बात करते हैं और रूडियार्ड किपलिंग को याद करते हैं…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
आज अंग्रेजी वर्ष 2025 का दूसरा अंतिम दिन है। आज हम रूडियार्ड किपलिंग को इसलिए याद कर रहे हैं क्योंकि 160 साल पहले 30 दिसम्बर 1865 को उनका जन्म हुआ था। और इसलिए भी याद कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने प्रसिद्ध कृति जंगल बुक लिखी थी। कहानियों के इस संग्रह में मोगली नाम का एक पात्र भी था। मोगली का नाम भारत में बच्चा बच्चा जानता है। जंगल जंगल बात चली है, पता चला है, चड्डी पहनकर फूल खिला है, फूल खिला है… टीवी सीरियल का यह टाइटल सॉन्ग रुडयार्ड किपलिंग और जंगल बुक की याद दिलाता है।
जोसेफ रूडियार्ड किपलिंग (30 दिसम्बर 1865-18 जनवरी 1936) एक ब्रिटिश लेखक और कवि थे।ब्रिटिश भारत में बम्बई में जन्मे किपलिंग को मुख्य रूप से उनकी पुस्तक ‘द जंगल बुक’ (1894) (कहानियों का संग्रह जिसमें रिक्की-टिक्की-टावी भी शामिल है), किम 1901 (साहस की कहानी), द मैन हु वुड बी किंग (1888) और उनकी कविताएं जिसमें मंडालय
(1890), गंगा दीन (1890) और इफ- (1910) शामिल हैं, के लिए जाने जाते हैं। उन्हें “लघु कहानी की कला में एक प्रमुख अन्वेषक” माना जाता है। उनकी बच्चों की किताबें बाल-साहित्य की स्थाई कालजयी कृतियाँ हैं और उनका सर्वश्रेष्ठ कार्य एक बहुमुखी और दैदीप्यमान कथा को प्रदर्शित करते हैं।
19 वीं शताब्दी के अंत में और 20 वीं सदी में किपलिंग अंग्रेजी के गद्य और पद्य दोनों में अति लोकप्रिय लेखकों में से एक थे। लेखक हेनरी जेम्स ने उनके बारे में कहा है : “मेरी अपनी जीवन के ज्ञात लोगों में किपलिंग ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर प्रतिभा से परिपूर्ण व्यक्ति के रूप में प्रभावित किया है।” 1907 में उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया और वे अंग्रेजी भाषा के पहले लेखक बने जिन्हें ये पुरस्कार मिला और उसे प्राप्त करने वाले आज तक के सबसे युवा प्राप्तकर्ता हैं। दूसरे सम्मानों में उन्हें ब्रिटिश पोएट लौरिएटशिप और कई अवसरों पर नाइटहूड दी गई थी लेकिन इन सभी उपाधियों को ग्रहण करने से उन्होंने मना कर दिया था।
द जंगल बुक (1894) नोबेल पुरस्कार विजेता अंग्रेजी लेखक रुडयार्ड किपलिंग की कहानियों का एक संग्रह है। इन कहानियों को पहली बार कालीचरण 1893-94 में पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया था। मूल कहानियों के साथ छपे कुछ चित्रों को रुडयार्ड के पिता जॉन लॉकवुड किपलिंग ने बनाया था। रुडयार्ड किपलिंग का जन्म भारत में हुआ था और उन्होने अपनी शैशव अवस्था के प्रथम छह वर्ष भारत में बिताये। इसके उपरान्त लगभग दस वर्ष इंग्लैण्ड में रहने के बाद वे फिर भारत लौटे और लगभग अगले साढ़े छह साल तक यहीं रह कर काम किया। इन कहानियों को रुडयार्ड ने तब लिखा था जब वो वर्मोंट में रहते थे। जंगल बुक के कथानक में मोगली नामक एक बालक है जो जंगल मे खो जाता है और उसका पालन पोषण भेड़ियों का एक झुंड करता है, अंत मे वह गाँव में लौट जाता है।
पुस्तक में वर्णित कहानियां और 1895 में प्रकाशित ‘द सेकंड जंगल बुक’ में शामिल मोगली से संबंधित पाँच कहानियां भी वस्तुत: दंतकथाएं हैं, जिनमें जानवरों का मानवाकृतीय तरीके से प्रयोग कर, नैतिक शिक्षा देने का प्रयास किया गया है। उदाहरण के लिए ‘द लॉ ऑफ द जंगल’ (जंगल का कानून) के छंद में, व्यक्तियों, परिवारों और समुदायों की सुरक्षा के लिए नियमों का पालन करने की हिदायत दी गयी है। किपलिंग ने अपनी इन कहानियों में उन सभी जानकारियों का समावेश किया है जो उन्हें भारतीय जंगल के बारे में पता थी या फिर जिसकी उन्होनें कल्पना की थी। अन्य पाठकों ने उनके काम की व्याख्या उस समय की राजनीति और समाज के रूपक के रूप में की है। उनमें से सबसे अधिक प्रसिद्ध तीन कहानियां हैं जो एक परित्यक्त “मानव शावक” मोगली के कारनामों का वर्णन करती हैं, जिसे भारत के जंगल में भेड़ियों द्वारा पाला जाता है। अन्य कहानियों के सबसे प्रसिद्ध कथा शायद “रिक्की-टिक्की-टावी” नामक एक वीर नेवले और “हाथियों का टूमाई” नामक एक महावत की कहानी है। किपलिंग की हर कहानी की शुरुआत और अंत एक छंद के साथ होती है।
तो आओ आज रूडियार्ड किपलिंग और जंगल बुक की बात करते हुए एक बार इस किताब को पढ़ने का संकल्प लेते हैं। मोगली लैंड किसे कहते हैं यह समझते हैं। और वास्तव में पुस्तक के मूल भाव प्रेम में उतरते हैं…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





