फरवरी में ही भेज दिया गया था डीजीपी के लिए प्रस्ताव

38 अफसर थे मुखिया की रेस में, 6 साल बाद होगी डीजीपी फेयरवेल परेड

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Sudhir Saxena Will Be New DGP of MP:

भोपाल: प्रदेश पुलिस के नए मुखिया के लिए यूपीएससी को प्रस्ताव फरवरी में ही राज्य शासन की ओर से भेज दिया गया था। इस प्रस्ताव के आधार पर ही प्रदेश सरकार के अनुरोध पर सुधीर सक्सेना की सेवाओं को गृह मंत्रालय ने प्रदेश को वापस की है। प्रस्ताव के तैयार होने के दौरान ही वर्ष 1987 बैच के आईपीएस सुधीर सक्सेना ने डीजीपी बनने के लिए अपनी सहमति दी थी। इसी आधार पर डीओपीटी ने तत्काल प्रभाव से उनकी सेवाएं प्रदेश को वापस कर दी।

सूत्रों की मानी जाए तो नए डीजीपी के लिए 25 फरवरी को प्रस्ताव भेजा गया था। प्रस्ताव में वर्ष 1987 बैच से लेकर वर्ष 1992 बैच तक के अफसरों के नाम शामिल है। इनमें सात अफसरों के नाम नहीं हैं। ये वे अफसर हैं जिन्हें रिटायर होने के 6 माह से कम का वक्त बचा है। जबकि तीन अफसर एक ही बैच के ऐसे हैं जिनका बैच तो 30 साल पुराना है, लेकिन उनकी सर्विस तीस साल की नहीं हो सकी। हालांकि प्रस्ताव के बाद यूपीएससी से अभी पैनल राज्य शासन के पास नहीं आया है।

कम से कम दो साल के लिए बनेंगे डीजीपी-
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के तहत प्रदेश में विवेक जौहरी को दो साल डीजीपी के पद पर रहने का मौका मिला था। इसी तरह सुधीर सक्सेना को भी कम से कम इस पद पर दो साल रहने का मौका मिलेगा। विवेक जौहरी का दो साल के कार्यकाल से पहले रिटायरमेंट था, इसलिए उनके लिए सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाइन का हवाला देकर दो साल तक पद पर बने रहने का आदेश जारी किया गया था। जबकि सक्सेना का रिटायरमेंट नवम्बर 2024 में होना है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाइन का पालन तो होगा, लेकिन इसके लिए अलग से कोई आदेश जारी करने की जरुरत शासन को नहीं पड़ेगी। सक्सेना शुक्रवार की शाम को डीजीपी का पदभार ग्रहण करेंगे।

दूसरे नंबर के अफसर हैं, पर प्रस्ताव में पहला नाम-
प्रदेश पुलिस कॉडर में सुधीर सक्सेना दूसरे क्रम के अफसर हैं। उसने सीनियर वर्ष 1986 बैच के पुरुषोत्तम शर्मा हैं, शर्मा निलंबित चल रहे हैं। इसलिए उनका नाम नए डीजीपी के प्रस्ताव में शामिल नहीं किया गया था। सक्सेना वर्ष 1987 बैच के पहले क्रम पर है। प्रस्ताव में भी उनका पहला नाम था। इसलिए उनका इस पद के लिए सबसे मजबूत दावा शुरू से ही माना जा रहा था।

ये नाम नहीं प्रस्ताव में-
बताया जाता है कि इस प्रस्ताव में अरुणा मोहन राव, राजीव टंडन के नाम नहीं हैं। दोनों डीजी रैंक के अफसर हैं, लेकिन इनको रिटायर होने में 6 महीने से कम का वक्त बचा है। वहीं यूसी षडंगी प्रतिनियुक्ति पर है और वे भी जुलाई में रिटायर होने वाले हैं। इन तीन अफसरों के अलावा वर्ष 1992 बैच के अफसर सीबीआई में प्रतिनियुक्ति पर ज्वाइंट डायरेक्टर पंकज श्रीवास्तव, एडीजी इंटेलीजेंस आदर्श कटियार और एडीजी पीटीआरआई जी जर्नादन ने अपनी नौकरी 1993 में ज्वाइन की थी, इनकी नौकरी को तीस साल पूरे नहीं हुए, इसलिए इन तीनों अफसरों को नाम भी इस प्रस्ताव में शामिल नहीं है। निलंबित चल रहे पुरुषोत्तम शर्मा का नाम भी प्रस्ताव में नहीं भेजा गया।

6 साल बाद होगी फेयरवेल परेड-
डीजीपी का चार्ज देने से पहले विवेक जौहरी मोती लाल नेहरू स्टेडियम में डीजी फेयरवेल परेड की सलामी लेंगे। इस आयोजन के बाद वे पुलिस मुख्यालय पहुंचेंगे। इससे पहले प्रदेश में सुरेंद्र सिंह को 30 जून 2016 को यह सलामी दी गई थी। वे डीजीपी के पद से रिटायर हुए थे। उनके बाद डीजीपी बने ऋषि कुमार शुक्ला और वीके सिंह को सलामी का अवसर नहीं मिला। दोनों अफसर डीजीपी के पद से हटने के बाद रिटायर हुए थे। इसलिए इन दोनों को यह सलामी नहीं दी गई थी।