दर्शनशास्त्र से स्वर्ण पदक विजेता शिवराज के 63 साल बेमिसाल …

सांसद-विधायक का पंच और बतौर सीएम पंद्रह साल...

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आज मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर चौथी पारी खेल रहे शिवराज सिंह चौहान 63 साल के हो गए हैं। यह 63 साल बेमिसाल रहे हैं। राजनीति को करियर बनाने की मंशा शुरू से थी। छात्र राजनीति से शुरुआत हुई। राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत थे और सेवा करने की इच्छा थी, तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य बन गए। जनता के हितों की लड़ाई लड़ी, विरोध-प्रदर्शन का हिस्सा भी बने और अगुआई भी की। पुलिस की लाठियां खाईं। शरीर से इकहरे बदन के शिवराज पर लाठियां भारी भी पड़ी, लेकिन हौसला लाठियों पर हजार गुना भारी पड़ा। मीसाबंदी में जेल गए।
पता चला भी और नहीं भी कि यह सब करते-करते ही 1990 में 31 साल की उम्र में बुधनी विधानसभा से विधायक बनकर विधायिका के अंग बन गए। कारवां जो शुरू हुआ, तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। दोस्त बनाया तो दोस्ती दिल से निभाई और कोई दुश्मनी निभाने पर उतारू ही हो गया तो भी सहजता-सरलता के साथ अपनी मंजिल पर आगे बढ़ते गए। दो साल ही नहीं हुए थे कि सांसद बने और विधायिकी से इस्तीफा देना पड़ा। पार्टी के उदारवादी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले, सहज-सरल ह्रदय और शीर्ष नेता अटल बिहारी वाजपेई ने विदिशा सीट से इस्तीफा दिया और उत्तराधिकारी के रूप में संसदीय यात्रा शिवराज की शुरू हो गई। एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि 2004 में पांचवी बार लोकसभा के सदस्य बन गए। संभावना बनी, लेकिन अटल के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में काम करने का संयोग नहीं बन पाया।
किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। सांसद रहते हुए भी शिवराज का मन मध्यप्रदेश में रमा था, सो मध्यप्रदेश में एक बार फिर धमाकेदार एंट्री हो गई। और 2005 में 29 नवंबर को सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जो बैठे, तो फिर 16 दिसंबर 2018 तक मध्यप्रदेश की जनता रूपी भगवान के मंदिर में पुजारी बनकर सेवा करने के भाव में रमे रहे। और 2018 में विधायकी का पंच मारने वाले शिवराज जब सीएम की कुर्सी से उतरे, तब भी साफ कह दिया कि मध्यप्रदेश छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। जनता की लड़ाई लड़ते रहेंगे और साबित भी किया। पंद्रह माह की कांग्रेस सरकार में न कदम रुके और न शिवराज थके। वक्त ने फिर करवट बदली और शिवराज को पंचक में ही चौथी पारी शुरू करनी पड़ी।
और 13 साल 17 दिन पहली तीन पारी में मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे शिवराज सिंह चौहान को चौथी पारी के दो साल पूरा करने में भी 17 दिन ही बचे हैं। यानि 5 मार्च 2022 को 63 साल के हो चुके शिवराज के मुख्यमंत्री के रूप में भी 15 साल पूरे हो चुके हैं। और 63 साल पूरा कर चुके शिवराज जब 26-27 मार्च को कान्हा में अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ गुफ्तगू करेंगे, तब तक भाजपा नेता के बतौर सर्वाधिक समय तक सीएम रहने का रिकार्ड भी उनके नाम दर्ज हो चुका होगा। छत्तीसगढ़ में लगातार 15 साल 11 दिन मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह का रिकॉर्ड शिवराज 17 मार्च को ही तोड़ देंगे। तो किसान पुत्र शिवराज बिगेस्ट अचीवर हैं, सीएम के बतौर लंबी और बेहतर पारी खेलने के लिए।
भोपाल के बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र से स्नातकोत्तर की शिक्षा स्वर्ण पदक के साथ पूरी करने वाले शिवराज का सामाजिक दर्शन भी अद्वितीय है। विकास का दर्शन भी लाजवाब है। मध्यप्रदेश में 15 साल मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने मध्यप्रदेश में सामाजिक कायाकल्प कर यह साबित किया है। बेटियों को बेटों के बराबर लाने का संकल्प पूरा करने में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। लाखों बेटियां लाड़ली लक्ष्मी बन चुकी हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का असर है कि महिला-पुरूष लिंगानुपात में आश्चर्यजनक सुधार हुआ है। बेटियां शिक्षित हो रही हैं। अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं।
गरीबों-मजदूरों के उत्थान और किसान कल्याण का दर्शन प्रभावी साबित हुआ है। महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम बढ़ाए हैं और महिला स्वसहायता समूह के जरिए लाखों महिलाओं की जिंदगी संवर रही है। हॉकर्स योजना हो या फिर स्वरोजगार संबंधी अन्य योजनाएं, प्रयास यही है कि गरीब उत्थान का असर दिखे। गरीबों के मकान, इलाज और राशन की चिंता भी शिवराज सरकार ने की है। तो बेहतर शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर आधारभूत संरचना, सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई, कानून व्यवस्था, शहरी एवं ग्रामीण विकास और जन-जन का उत्थान के प्रयास रंग ला रहे हैं। यह सब शिवराज की प्रदेश को बीमारू राज्य से विकसित राज्य बनाने की सोच की एक झलक हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में 45 साल हो रहे हैं। तो विवाह के बाद धर्मपत्नी साधना सिंह के साथ 30 साल हो रहे हैं। उनके दो पुत्र कार्तिकेय और कुणाल हैं। बड़े बेटे कार्तिकेय राजनीति के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं और पिता शिवराज के निर्वाचन क्षेत्र की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं।
छोटे बेटे भी पिता के साथ मंच पर दिखने लगे हैं। दर्शन शास्त्र के उत्कृष्ट विद्यार्थी शिवराज के कामकाज, व्यवहार और आचार-विचार में दर्शन की छाप साफ दिखती है और प्रभावी भी है। आलोचना करने के लिए हजारों यदि-किन्तु हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के गठन के बाद सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले दुबले-पतले, इकहरे बदन के शिवराज के काल की उपलब्धियों की बराबरी में फिलहाल दूसरा कोई मुख्यमंत्री नहीं है। इसकी गवाही समग्र मध्यप्रदेश, मध्यप्रदेश का विकास, मध्यप्रदेश के लोग दे रहे हैं। एक निष्पक्ष दृष्टा के रूप में कोई भी व्यक्ति इस बात से मुंह नहीं मोड़ पाएगा।
अब बात दर्शन की हो रही है तो शिवराज की दृष्टि यह है कि लोग पेड़ लगाएं। मुख्यमंत्री के रूप में रोज एक पेड़ लगाने के संकल्प का एक साल वह पूरा कर चुके हैं और यात्रा जारी है। सोच यह है कि गांव-शहर का गौरव दिवस मनाया जाए, जिसमें स्थानीय लोगों के साथ बाहर बस गए लोग अपने मूल से जुडें और विकास में सहभागी बनें, बेटी के विवाह भी मिलजुलकर करने की परंपरा के साथी बनें, बेटे-बेटी की पढाई में जरूरत के मुताबिक सामूहिक सहभागिता हो, कुपोषण को दूर करने सबकी सहभागिता से गांव-शहर का अन्नागार बने, सरकारी जमीन की कमी होने पर गांव-शहर के विकास के लिए लोग जमीन दान करने का काम भी उत्साह से करें और नशामुक्ति का सभी प्रण लें, स्वच्छता का संकल्प लें और बडों का सम्मान करें। ताकि रामराज्य की झलक मध्यप्रदेश में शिवराज्य में दिखे और आदर्श स्वर्णिम ह्रदय प्रदेश मिसाल बन जाए। तो शिवराज की अपराधमुक्त, विकसित, वैभवशाली मध्यप्रदेश बनाने की यात्रा जारी है। जन्मदिन की बधाई मुख्यमंत्री शिवराज।