MP: जाति, साम्प्रदायिक शिक्षा, शॉल-श्रीफल बांटने अब निजी संस्थाओं को नहीं मिलेगा सरकारी अनुदान

अशासकीय संस्थाओं को दिए जाने वाले अनुदान के नये नियम बने

1064
राज्य शासन लोगो

भोपाल: मध्यप्रदेश में अब किसी भी जाति या साम्प्रदायिक शिक्षा पर व्यय के लिए सरकार निजी संस्थाओं को कोई अनुदान नहीं देगी।अनुदान का उपयोग सम्मानित करने, स्मृति चिन्ह, शॉल-श्रीफल भेट करने जैसी गतिविधियों के लिए भी नहीं किया जा सकेगा। राज्य सरकार ने अशासकीय संस्थाओं को दिए जाने वाले अनुदान के नये नियमों में यह प्रावधान किया है।

प्रदेश में अशासकीय संस्थाओं को दिए जाने वाले सरकारी अनुदान के दुरुपयोग पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने कई कड़े प्रावधान कर दिए है। अशासकीय संस्थाओं को अब चार प्रकार का अनुदान दिया जाएगा। इसमें अनुरक्षण अनुदान, भवन अनुदान, उपकरण अनुदान, शिविर और आयोजन अनुदान शामिल होंगे। अनुदान लगातार तीन साल तक अस्तित्व में रहने वाले अशासकीय संगठनों को दिया जाएगा। अनुदान केवल ऐसे अशासकीय संगठनों और संस्थाओं को दिया जाएगा जो शिक्षा, प्रशिक्षण, अन्वेषण, यथार्थपूर्ण व धर्मनिरपेक्ष, धर्मनिरपेक्ष रुपक एवं प्रदर्शन कर्ताओं में प्रदर्शन आयोजित करने जैसे काम करते है।

शाल-श्रीफल के लिए नहीं कर सकेंगे उपयोग-इस अनुदान का उपयोग केवल संगठन की इच्छा से किसी भी व्यक्ति, कलाकार, सामाजिक कार्यकर्ता को सम्मानित करने, स्मृति चिन्ह, शॉल और श्रीफल भेंट करने जैसी फालतू गतिविधियों के लिए नहीं किया जा सकेगा।

संस्थान आर्थिक सक्षम तो नहीं मिलेगा अनुदान-
यदि किसी संस्थान की सभी स्रोतों से आय सक्षम अधिकारी की राय में सरकारी सहायता प्राप्त किए बिना इसे कुशलतापूर्वक चलाने के लिए पर्यापत है तो उस संस्था को अनुदान स्वीकृत नहीं किया जाएगा। किसी भी संगठन या संस्था द्वारा सहायता अनुदान का दावा अधिकार के रुप में नीं किया जाएगा।

जरुरी नहीं हर बाद अनुदान मिले-
प्रदेश में यदि किसी अशासकीय संस्था को एक बार अनुदान दिया गया हो तो वह आगे अनुदान प्राप्त करने का आधार नहीं होगा। प्राप्तकर्ता संस्था के पक्ष में सहायता अनुदान कोई स्थायी दावा नहीं होगा। ऐसे मामले में पत्रचार भी मान्य नहीं होगा और ऐसा करना माना जाएगा कि नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है।

अनुदान लिया तो जनप्रतिनिधि को बुलाना होगा-
सहायता प्राप्त संस्थाओं से अपेक्ष की जाएगी कि वे अपने कार्यक्रमों और गतिविधियों में संबंधित जन प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों को आमंत्रित करेंगे।

राजनीतिक दल के सदस्य न हो संस्था कर्मचारी-
जिन संस्थाओं को अनुदान दिया जाएगा उससे जुड़े अधिकारी और कर्मचारी ईमानदार और सदाचारी होना चाहिए। संस्था के कर्मचारियों की सेवा शर्तो में यह तय होगा कि वे किसी भी राजनीतिक दल या संगठन के सदस्य नहीं होंगे जो राजनीति में भाग लेता है। वह किसी भी विधानमंडल या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव में न तो किसी अन्य तरीके से सहायता करेगा न ही प्रचार करेगा या अन्यथा हस्तक्षेप करेगा। न ही वह इस संबंध में अपने प्रभाव का प्रयोग करेगा और न ही चुनाव लड़ेगा और न ही चुनाव में भाग लेगा। किसी को मत देने के का इशारा भी वे किसी रीति से नहीं करेंगे।

उपकरण , शिविर अथवा आयोजन के लिए मिलेगा अनुदान- किसी मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान को उपकरण अनुदान, कला या सांस्कृतिक संस्थान को उपकरण, फर्नीचर क्रय के लिए प्रयोजन के अनुुदान दिया जाएगा जिसमे पुस्तके, नक्शे, चार्ट, बिजली उपकरण, दृश्य-श्रव्य उपकरण, ध्वनि उपकरण, संगीत, वाद्य, कैमरा, रिकार्ड प्लेयर पर वास्तविक व्यय का 90 प्रतिशत अनुदान होगा। संस्था के प्रशिक्षण से जुड़े किसी शिविर अथवा आयोजन, किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए शिविर हेतु अनुदान दिया जाएगा।अनुदान की राशि सकल व्यय के 90 प्रतिशत या कुल शुद्ध घाटे जो भी कम हो के बराबर अनुदान होगा। अन्य संस्थानो के लिए खर्च का 75 प्रतिशत या शुद्ध घााटे के बराबर अनुदान होगा