इंदौर से कीर्ति राणा की खास खबर
Indore: मध्य भारत की खेल पत्रकारिता में वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमट एक सुखद संयोग के प्रामाणिक हस्ताक्षर भी बन गए हैं। करीब तीन दशक से पत्रकारिता करने के साथ ही विभिन्न खेल संगठनों से जुड़े कुमट ने ‘नेहरू स्टेडियम से लॉर्डस तक’ किताब लिखी है। इसका लोकार्पण 13 मार्च को सुबह 11.30 बजे केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया करेंगे।
संयोग यह कि जब सिंधिया के पिता माधवराव केंद्रीय मंत्री थे तब उन्होंने कुमट द्वारा हर साल निकाले जाने वाली क्रिकेट वार्षिकी का इंदौर में ही लोकार्पण किया था। उन्होंने यह किताब स्व माधवराव सिंधिया को समर्पित की है।
स्वदेश, नईदुनिया, नवभारत में खेलों पर लिखने के बाद 1983 से दैनिक भास्कर में 18 वर्ष स्पोर्ट्स एडिटर रहने के दौरान कुमट के नाम एक रिकार्ड यह भी है कि लगातार पांच विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेंट कवर करने वाले मध्य प्रदेश के एकमात्र खेल समीक्षक हैं।
यशराज मार्कट्रेड इंडिया एलएलपी इंदौर से ही प्रकाशित उनकी इस किताब को लेकर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने लिखा है कि आपके लंबे अनुभव और आसान शब्दावली में अपनी बात कहने वाली शैली पाठकों को पसंद आएगी।
भारत-पाक विश्व कप (1987), आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड ((1992), भारत (1996 में), इंग्लैंड (1999) और दक्षिण अफ्रीका (2003) पांच
विश्वकप क्रिकेट टूर्नामेंट, 1986 में इंग्लैंड का दौरा, भारतीय टीम के साथ दो बार पाकिस्तान में, शारजहां में मैच कवर करने, दक्षिण अफ्रीका और वेस्ट इंडीज जाने वाले पहले इंदौरी रहे हैं। मैच कवर करने के साथ ही 9 हजार से अधिक लेखों का निचोड़ उनकी इस किताब में है।
उनकी इस किताब में सचिन तेंदुलकर, गावस्कर, इमरान खान, नेल्सन मंडेला, क्लाइव लॉयड, सुभाष गुप्ते, गेरी सोबर्स आदि के साक्षात्कार शामिल हैं।स्पोर्ट्स एडिटर आर मोहन (हिंदू), क्रिकेटर मदनलाल, संदीप पाटिल, समीक्षक हर्षा भोगले, अयाज मेमन, विजय लोकपल्ली, जी राजारमन, सुधीर अग्रवाल (भास्कर), राजीव रिसोड़कर, प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव और राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त बीपी सिंह आदि ने उनकी लेखन शैली पर अपनी राय जाहिर की है।
वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी नहीं देते मुफ्त में साक्षात्कार
बीबीसी हिंदी सर्विस के लिए लंबे समय तक लिखते रहे कुमट बताते हैं जब उन्हें विदेश जाने के मौके मिले तो यह देखकर ताज्जुब हुआ कि वेस्ट इंडीज के खिलाड़ी बगैर पैसा लिए किसी भी अखबार को साक्षात्कार नहीं देते।इसके विपरीत भारतीय खिलाड़ी न सिर्फ निशुल्क इंटरव्यू बल्कि खातिरदारी की भी उदारता दिखाते हैं।
पीछे पड़ पड़ कर लिखवाते थे जगदाले से
केपी कॉलेज देवास से 1972 में प्रोफेसर से शुरुआत करने के साथ ही इंदौर के कॉलेजों में पढ़ाते रहने के साथ ही दैनिक भास्कर में अखबारी नौकरी भी करते रहे. तब खेल डेस्क पर उनकी भारी भरकम टीम में सीमांत सुवीर, नगीन बारकिया, अनिल त्यागी, राजीव रिसोड़कर, सुधीर आसनानी, अनिल वत्स, सुभाष सातालकर हुआ करते थे। कुमट बताते हैं मैच पर टिप्पणी के लिए सीमांत स्कूटर पर बैठा कर संजय जगदाले को लेकर आते थे, वो लिखने में कतराते थे, कहते कि मैं बोलता जाता हूं तुम लिख लो।पीछे पड़ पड़ कर उनसे लिखवाना शुरु किया।
शहर के ये नाम भी चर्चित रहे हैं
कुमट के साथ ही क्रिकेट पर लिखने वालों में इंदौर के ही स्व प्रभाष जोशी, सुशील दोषी, सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी, प्रकाश पुरोहित, स्व सुरेश गावड़े, प्रकाश पुरोहित को देश में पहचाना जाता है।