सांप मर गया और लाठी भी नहीं टूटी, नशामुक्ति में साथ-साथ उमा-शिवराज …

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शराबबंदी एवं नशामुक्त मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के अभियान ने मंजिल पर पहुंचने के लिए राह बदल ली है। अब उमा दीदी के इस सपने में रंग भरने में भाई शिवराज, जनप्रतिनिधि, सामाजिक संगठन और नागरिक भागीदार बनकर अभियान को सफल बनाएंगे। नई राह शराबबंदी और नशामुक्ति के खिलाफ जनजागरण की है। अब न दीदी को अपनी ही सरकार के खिलाफ बिगुल फूंकना पड़ेगा और न ही शराबबंदी-नशामुक्ति के लिए आबकारी विभाग को बंद करवाना पड़ेगा। सीधी सी बात है कि जनजागरण से जिस तरह लोग स्वच्छ भारत अभियान के सहभागी बन रहे हैं।
उसी तरह जनजागरण से शराबबंदी-नशामुक्ति की राह खुलेगी। नगरीय निकाय जैसे भारी भरकम विभाग जिस तरह स्वच्छता के लिए भारी भरकम बजट के साथ दिन-रात एक करता है। उसी तरह हो सकता है सरकार 2023 विधानसभा चुनाव से पहले शराबबंदी-नशामुक्ति अभियान के लिए भी बजट और महकमे की व्यवस्था कर दे। जनप्रतिनिधि, सामाजिक संस्थाएं और नागरिक उसी तरह सहभागी बन जाएंगे, जिस तरह स्वच्छता अभियान में सहभागी बनते हैं। फिर उस दिन की कल्पना कर आनंद लीजिए कि शराब और नशा सामग्री की दुकानें सजी हैं और ग्राहक एक भी नहीं मिल रहा।
तब आदर्श स्थिति बनेगी और आबकारी विभाग भी बंद हो जाएगा, शराबबंदी और नशामुक्ति भी हो जाएगी और मध्यप्रदेश शराबबंदी वाले उन राज्यों की कतार में शुमार नहीं होगा, जहां सरकारी तौर पर शराबबंदी के बाद भी शराब जगह-जगह उपलब्ध है। यानि व्हाइट की जगह शराब का पूरा खेल ब्लैक में चल रहा है। राजस्व सरकार को मिलने की जगह अपराधियों और रिश्वत के रूप में दूसरी जेबों में चला जाता है। इससे बेहतर तो शराब बेचने की सरकारी व्यवस्था ही सही है।
इसी सोच पर अमल करते हुए दीदी उमा भारती और भाई शिवराज साथ-साथ आ गए हैं। जनजागरण अभियान चलेगा। सामाजिक संस्थाओं के लोग शामिल होंगे, जनता शामिल होगी और जनता के प्रतिनिधि प्रयास करेंगे। फिर जितने शराबी और नशाखोर स्वप्रेरणा से शराब और नशा से मुक्ति का संकल्प लेंगे, वही वास्तविक उपलब्धि के रूप में असल शराबबंदी और नशामुक्ति होगी। तो सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी।
खुद शिवराज ने 10 मार्च को ट्वीट कर बताया था कि आज वृक्षारोपण के पश्चात मेरी भेंट आदरणीय उमाश्री भारती जी के निवास पर उनसे हुई। शराबमुक्ति एवं नशामुक्ति के संबंध में उनकी सामाजिक चिंताएं हैं। शराबमुक्ति एवं नशामुक्ति के संबंध में आदरणीय दीदी की चिंता पर मैंने उनसे अनुरोध किया है कि मध्यप्रदेश में नशामुक्त समाज के निर्माण के लिए सरकार, जनप्रतिनिधियों, नागरिकों और सामाजिक संस्थाओं के साथ जनजागरण अभियान चलाएगी।आदरणीय दीदी इस अभियान में सहयोग करें ऐसा अनुरोध मैंने उनसे किया है ।
हम सब मिलकर एक स्वस्थ, सबल समाज के निर्माण और नशामुक्ति के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। और 11 मार्च को उमा भारती ने पुष्टि कर दी है कि शराबबंदी और नशामुक्ति का अभियान अब सरकार और भाई शिवराज के साथ जनजागरण के रूप में आगे बढ़ेगा। यानि कि सरकार से टकराव नहीं और सरकार ही प्रेमभाव से इस जिम्मेदारी का निर्वहन करेगी तो फिर चिंता करने की कोई बात ही नहीं है।
अब प्रदेश में शराबबंदी और नशामुक्ति हो पाएगी या नहीं, लेकिन इसके अभियान को तो अपना मुकाम मिल ही गया है। वरना हो सकता था कि अहिंसा और जनजागृति का अभियान हिंसा और जबर्दस्ती की भेंट चढ़ जाता। ऐसे में हश्र वही होता, जिस तरह महात्मा गांधी का अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसात्मक विरोध का अभियान असहयोग आंदोलन चौरी-चौरा कांड की हिंसा की भेंट चढ़ गया था। यह घटना फरवरी 1922 की थी।
और अब सौ साल बाद 2022 में उमा का शराबबंदी अभियान अगर बेकाबू होता तो अपनी ही सरकार की खिलाफत शायद सब की सेहत पर भारी पड़ती। ऐसे में भाई-बहन का जनजागरण फार्मूला मंजिल तक पहुंचने का श्रेष्ठतम समाधान है। आइए हम उम्मीद करते हैं कि जिस तरह स्वच्छ भारत अभियान में मध्यप्रदेश ने कीर्तिमान रचा है, उसी तरह शराबबंदी-नशामुक्ति अभियान में भी कीर्तिमान रचकर देश-दुनिया में आदर्श स्थापित करेगा। सांप भी मर जाए, लाठी भी न टूटे और उमा-शिवराज का यह सामाजिक सरोकार जन-जन को जागृत कर सके।