Indore ‘Gaurav Diwas’ : सुमित्रा महाजन ने इंदौर के जन्मदिन की तारीख बताई

मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा 'इस तारीख का महत्व क्यों ज्यादा!'

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इंदौर। शहर के जन्मदिन को ‘गौरव दिवस’ (Gaurav Diwas) के रूप में मनाने की राज्य सरकार की घोषणा का अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला। प्रशासन ने भीड़ भरी बैठक भी कर ली और समिति बनाक उसकी सलाह भी ले ली! फिर भी अभी इसमें उलझन बरक़रार है। पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन (Former MP Sumitra Mahajan) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर 20 जनवरी को इंदौर का जन्मदिन मनाने का सुझाव दिया है। जबकि, समिति ने 31 मई का दिन तय किया था।

सुमित्रा महाजन ने शहर के कई इतिहासकारों व साहित्यकारों से लंबी चर्चा के आधार पर ही यह तारीख तय की (This date was fixed only on the basis of long discussions with historians and litterateurs) है। ताई ने साथ ही में जिस दिन राजबाडा की नींव रखी गई थी, उस दिन भी जन्मदिन मनाने का सुझाव दिया। जबकि, पिछले दिनों मुख्यमंत्री 31 मई को इंदौर का जन्मदिन मनाने की घोषणा कर चुके हैं।                                                                            IMG 20220316 WA0047

सुमित्रा महाजन ने लिखा है कि सूबेदार मल्हारराव होलकर ने करीब 300 साल पहले अपनी बहू अहिल्या बाई को पुत्र खांडेराव के साथ शिक्षा-दीक्षा दी थी। यह वह समय था, जब महिलाओं की शिक्षा एवं बराबरी के बारे में सोचा नहीं जाता था। मुगलों से हिंदुस्तान को मुक्त कराने के लिए छत्रपति शिवाजी ने पराक्रम दिखाया और दक्खन में स्वराज्य की स्थापना की। उसी तरह पेशवा के नेतृत्व में मालवा एवं आसपास के क्षेत्र में होलकर, शिंदे और पंवार ने मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी।

1728 में तिरला (अमझेरा) में मल्हारराव होलकर और पंवारों के नेतृत्व में लड़े गए युद्ध में मुगलों को हराया था। इसके बाद 20 जनवरी 1734 ई को पेशवा ने मालवा सहित इंदूर की खासगी जागीर मल्हारराव होलकर की पत्नी गौतमा बाई होलकर के नाम की थी। यही वह दिन था, जब इंदौर पूरी तरह से मुगलिया सल्तनत के आधिपत्य से मुक्त हुआ था। इसलिए इसी दिन इंदौर का जन्मदिन मनाया जाना चाहिए। 20 जनवरी 1734 का ऐतिहासिक महत्व एवं गौरव इंदौर के लिए उसी प्रकार है, जैसे देश के लिए 15 अगस्त 1947 है।

इस सनद से मालवा में सूबेदार मल्हारराव होल्कर और उनके बाद अहिल्याबाई होलकर ने मालवा में सुशासन की नींव रखी। महाजन के मुताबिक, 1741 में इंद्रेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार और 1747 में राजवाड़ा के प्रथम चरण की शुरुआत हुई। वर्तमान इंदौर के व्यावसायिक, औद्योगिक, सामाजिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक व कृषि उन्नयन की शुरुआत 20 जनवरी 1734 को होलकरों को खासगी जागीर मिलने के बाद ही हुई है। इसलिए 20 जनवरी को इंदौर का ‘गौरव दिवस’ मनाया जाना चाहिए।