ग्वालियर संभाग के एक जिले के पुलिस कप्तान को जिले के मंत्री ने शायद लूट का लायसेंस दे दिया है। कप्तान साहब ने थाने नीलाम कर रखे हैं। वसूली के लिये थाना प्रभारियों को ताश के पत्तों की तरह फेंटते रहते हैं। मलाईदार थाने की रेट 5 लाख एकमुश्त और हर महिने की किश्त अलग। कप्तान साहब की कार्यशैली से पुलिस महकमे में गुस्सा बढ़ता जा रहा है। एसपी से दुखी एक आरक्षक ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कप्तान के जुल्म से परेशान होकर इच्छा मृत्यु मांगी है। कप्तान साहब के बारे में पूरे जिले में कहावत मशहूर हो रही है कि मंत्री मेहरबान तो एसपी पहलवान!
*तन्खा पर सबकी नजर!*
मप्र कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा पर आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस दोनों की नजर लगी हुई है। कांग्रेस में तन्खा ग्रुप 23 के सदस्य हैं। यानि गांधी परिवार से दूर हैं। उनका राज्यसभा का कार्यकाल इस साल जून में समाप्त हो रहा है। कांग्रेस उन्हें रिपीट करेगी, इसकी संभावना कम है। आप पार्टी ने पंजाब के सीएम के शपथ समारोह के लिये तन्खा को वीवीआईपी आमंत्रण भेजा था। दूसरी ओर ममता बैनर्जी ने सीबीआई के खिलाफ एक केस में तन्खा को वकील नियुक्त करके भविष्य के संकेत दे दिये हैं। तन्खा फिलहाल चुप्पी साधे हैं। मुखबिर का कहना है कि तनखा का राज्यसभा जाना तय है, लेकिन किस दल से जाएंगे यह तय नहीं है।
*मप्र के यह कैसे कैसे आईएएस!*
मप्र के वरिष्ठ आईएएस अश्विनी राय को पीएचई के प्रमुख सचिव की कुर्सी से हटे लगभग 8 वर्ष हो गये, लेकिन अधीक्षण यंत्री और प्रमुख अभियंता स्तर के अधिकारी अपनी गोपनीय चरित्रवली (सीआर) लिखवाने ग्वालियर से भोपाल तक उनके आगे पीछे घूम रहे हैं। मुखबिर का कहना है कि अश्विनी राय को विभाग से हटने के बाद सभी अफसरों की सीआर लिख देना चाहिए थी, लेकिन लंबे समय बाद भी वे सीआर लिखने में रूचि नहीं ले रहे। राय की पदस्थापना ग्वालियर राजस्व मंडल में है। जब भी वे भोपाल आते हैं, सीआर लिखवाने वाले उनके आसपास भटकते देखे जा सकते हैं। अभी भी लगभग 25 वरिष्ठ अभियंताओं की सीआर नहीं लिखी है।
*सलूजा- खरे में जमकर चले व्यंगबाण*
पांच राज्यों के चुनाव परिणाम के बाद सोशल मीडिया पर कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ओएसडी सत्येन्द्र खरे के बीच जमकर व्यंगबाण चले। खरे ने सलूजा की तुलना नवजोत सिंह सिद्धू से करते हुए उन्हें “झूठे सलूजा जी” तक लिख दिया। दरअसल चुनाव परिणाम आते ही सलूजा ने दावा कर दिया कि उप्र में शिवराज सिंह चौहान ने जहां जहां प्रचार किया, वहां भाजपा हारी है। खरे ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए सलूजा को चुनौती दी कि वे सीटों के नाम और वहां के परिणाम बताएं। सलूजा नहीं बता पाए तो खरे ने एक एक कर जीती हुई सीट की जानकारी देते हुए बताया कि शिवराज जी ने 22 सीटों पर प्रचार किया, इनमें 16 सीटों पर भाजपा जीती है। खरे ने सलूजा की तुलना नवजोत सिंह सिद्धू से करते हुए लिख दिया कि आप बड़बोलेपन (बड़ट्वीटपन) के शिकार हो गये हो और सोशल मीडिया में सलूजा की हर बात को झूठा साबित करते हुए “झूठे सलूजा जी” स्माइली के साथ लगातार पोस्ट करते रहे और उनकी चुनौती का तथ्य और व्यंग्य के साथ जवाब देते रहे।
*राज्यमंत्री हैं, लेकिन फाइल देखने तरस गये!*
मप्र के एक राज्यमंत्री के पास पूरे दो साल में बमुश्किल दस पन्द्रह फाइलें ही आई हैं। इनमें अधिकांश फाइलें विभाग के कार्यक्रम में राज्यमंत्री की उपस्थिति या विधानसभा में जबाव देने को लेकर आई हैं। हम बात कर रहे हैं सिंधिया खेमे के नेता, भिण्ड जिले की मेहगांव सीट से विधायक और प्रदेश के राज्यमंत्री नगरीय विकास एवं आवास विभाग ओपीएस भदौरिया की। बताते हैं कि राज्यमंत्री भदौरिया को दो साल बाद भी विभाग का कोई काम नहीं मिला है। नगरीय निकायों के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के ट्रांसफर का काम उन्हें सौंपा गया था। लेकिन स्थानीय संस्थाओं में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के एक शहर से दूसरे शहर में ट्रांसफर होते ही नहीं है। हालात यह है कि कई कई महीने तक एक भी फाईल राज्यमंत्री के पास नहीं आती। इन हालात को लेकर राज्यमंत्री तो खामोश हैं, लेकिन उनके समर्थकों में भारी गुस्सा है।
*इस आईएएस नियाज खान का क्या करें!*
इस सप्ताह मंत्रालय के सामान्य प्रशासन विभाग में रूटीन काम से ज्यादा चिन्तन आईएएस नियाज खान को लेकर चलता रहा। कश्मीर फाइल्स पर नियाज खान के ट्वीट के बाद मंत्री विश्वास सारंग ने नियाज खान के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी तो जीएडी ने नियाज खान के सभी ट्वीट का बारीकी से अध्ययन कराया। ऐसा कुछ नहीं पाया गया कि नियाज खान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई हो सके। हां नोटिस देकर शांत करने पर विचार जरूर हुआ है। प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई को कहा गया है कि नियाज खान को कंट्रोल में रखें। इधर नियाज खान रातोंरात देश दुनिया में चर्चित हो गये हैं। ट्वीटर पर उनके मात्र 800 फॉलोवर थे, वह अचानक 5000 से अधिक हो गये हैं।
*और अंत में….*
मप्र कैडर के आईपीएस राजेश चंदेल की कार्यशैली ऐसी है कि किसी भी सरकार में नेताओं और अफसरों के चहेते बन जाते हैं। भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य व भाजपा सरकार में महाधिवक्ता रहे रविनन्दन सिंह के दामाद होने के बाद भी कमलनाथ ने उन्हें शिवपुरी एसपी बनाया था। शिवपुरी में चंदेल ने अपनी कार्यशैली से ज्योतिरादित्य सिंधिया का दिल जीत लिया है। चर्चा है कि सिंधिया चाहते हैं कि चंदेल को ग्वालियर का पुलिस कप्तान बनाया जाए। ग्वालियर के एसपी अमित सांघी का प्रमोशन तय है। जैसे ही सांघी प्रमोट होंगे, चंदेल को ग्वालियर की कमान सौंपी जा सकती है।