Yogi Adityanath 2 से 2024 पर नजर, अखिलेश बनना चाहते किंगमेकर
उत्तर प्रदेश में Yogi Adityanath और उनके मंत्रिमंडल की आज शाम दोबारा ताजपोशी के साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव का गणित साधने की तैयारी भी भाजपा ने कर ली है। दूसरी ओर, समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भाजपा का खेल बिगाड़ने के लिए सांसदी से इस्तीफा देकर विधायकी को कुबूल कर लिया है। अखिलेश को लगता है कि 2024 में वे किंगमेकर बन सकते हैं।
भाजपा ने न केवल राज्य में चुनावी समीकरण को सही तरह से साधा बल्कि मोदी और योगी की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में कामयाबी भी पाई। अब, योगी-2 सरकार में मंत्रिमंडल गठन से लेकर बुलडोजर वाले टेम्पो को बरकरार रखने के साथ ही भाजपा संकल्प पत्र के चुनावी वायदों को जमीन पर उतारने की चुनौती सामने है। 24 मार्च को विधानमंडल दल का नेता चुने जाने के बाद बुलडोजर बाबा योगी आदित्यनाथ ने सुशासन और विकास की प्रक्रिया को पांच वर्षों के Yogi Adityanath अनुभव के आधार पर आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जता कर भाजपा नेतृत्व के लक्ष्य पर मुहर लगा दी है। योगी ने यह भी कहा कि प्रदेश में जातिवाद नहीं राष्ट्रवाद चलेगा।
उप्र में ऐसा लगभग 37 साल बाद हो रहा है, जब कोई मुख्यमंत्री लगातार दूसरी बार सत्ता की बागडोर संभालने जा रहा है। ऐसे में भाजपा की रणनीति यही है कि पीएम नरेंद्र मोदी भी तीसरी बार देश की बागडोर संभालें। इसलिए राजधानी लखनऊ में आज शाम होने वाले शपथ ग्रहण में क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण का पूरा ध्यान रखा जाएगा। पूर्वांचल और पश्चिमी उप्र से लेकर अवध और बुंदेलखंड तक के क्षेत्रीय जनाधार वाले नेताओं को मौका दिया जाएगा। पिछड़े वर्ग की जातियों में जाट, गुर्जर, कुर्मी, कुशवाहा, मौर्य, सैनी, शाक्य, यादव, लोधी और राजभर समाज के नेताओं को प्रतिनिधित्व के साथ ही दलित वर्ग में पासी, जाटव, कोरी, धोबी, खटीक एवं वाल्मीकि समाज के विधायकों को भी वरीयता दिए जाने के संकेत हैं। सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला लागू करने में सवर्ण वर्ग के नेताओं को भी मौका देने की तैयारी है। तय है कि इस कवायद में युवाओं और महिलाओं की पूरी भागीदारी होगी।
माना जा रहा है कि प्रदेश के गरीबों को मिलने वाला फ्री राशन चुनाव में गेम चेंजर साबित हुआ है। अब योगी-2 सरकार के सामने गरीबों के लिए पहले से ज्यादा भोजन की व्यवस्था करने की चुनौती है। भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा भी है कि प्रदेशभर में मां अन्नपूर्णा कैंटीन बनाई जाएगी, जिसमें बेहद कम दाम पर गरीबों को खाना मिलेगा। इसी तरह, सरकार बनते ही 60 साल से ऊपर की महिलाओं को प्रदेश में कहीं भी रोडवेज बस से यात्रा फ्री रहेगी। हालांकि, सरकारी आदेश जारी होने के बाद ऐसा संभव हो सकेगा। उज्ज्वला योजना के तहत जिन भी घरों में गैस सिलेंडर मुफ्त में मिलता रहा है, उन्हें अब साल में दो और सिलेंडर मुफ्त में मिला करेंगे- पहला होली और दूसरा दीवाली पर। कॉलेज जाने वाली मेधावी लड़कियों को राज्य सरकार फ्री में स्कूटी देगी। राज्य सरकार मानक तय करेगी कि कौन सी लड़की मेधावी की श्रेणी में आएगी।
भाजपा के गेम चेंजर अभियान में विधवा और निराश्रित महिलाओं को अब डेढ़ हजार रुपये हर महीने पेंशन में मिला करेंगे, पहले ये एक हजार रुपये प्रति माह था। यही नहीं, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों को भी अब हर महीने डेढ़ हजार रुपये पेंशन मिला करेगी। किसानों के सिंचाई बिजली बिल को योगी सरकार ने चुनाव से पहले ही आधा कर दिया था, लेकिन अब पांच सालों के लिए सिंचाई की बिजली फ्री रहेगी। सरकारी विभागों में सभी खाली पद भरे जाएंगे- इस वादे पर सही तरीके से अमल किया गया तो यूपी में सरकारी नौकरियों की भरमार हो जाएगी।
योगी सरकार ने लव जिहाद के लिए नया कानून बनाया था, जिसे उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून 2021 नाम दिया गया था। इसमें दोषी पाये जाने वाले आरोपियों को एक साल से लेकर दस साल तक की सजा का प्रावधान था। योगी सरकार 2.0 में इस कानून के दोषियों को कम से कम दस साल की सजा का कानून बनाया जाएगा। योगी सरकार 2.0 बनने के बाद सभी ऑटो रिक्शा और टैक्सी चालकों का स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा। उन्हें आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपये तक का हेल्थ इन्श्योरेंस मिलेगा। निषादों को नाव की खरीद पर 40 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। एक लाख रुपये तक की नाव पर ये सब्सिडी मिलेगी।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत भाजपा के लिए खासकर 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए विशेष मायने रखती है। 80 लोकसभा सीटों वाला यह राज्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार तीसरा कार्यकाल सुनिश्चित करने के लिए पार्टी के अभियान की नींव रखने और उसे गति देने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। हालांकि, लोकसभा चुनाव राष्ट्रीय मुद्दों पर लड़ा जाता है। ये मुद्दे राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर महंगाई और रोजगार से संबंधित होते हैं। मतदाता केंद्र सरकार की नीतियों और उनके कामकाज को ध्यान में रखकर वोट करता है। फिर भी उत्तर प्रदेश के चुनाव के नतीजों को कोई भी राजनीतिक पार्टी और विश्लेषक नकार नहीं सकता।
सियासी पंडितों का मानना है कि 2019 में जो स्थिति भाजपा की रही कमोबेश यही स्थिति या उससे बेहतर स्थिति 2024 में देखने को मिलेगी। वे मानते हैं कि लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की छवि का बहुत फायदा मिलेगा। भाजपा के जनकल्याण वाले और विकास के कार्य, जिनका फायदा उसे विधानसभा चुनाव में मिला, आगे भी जारी रखना पड़ेगा। उत्तर भारत के मतदाताओं ने डबल इंजन की सरकारों पर जो विश्वास जताया है, उसने उन्हें 2024 के आम चुनाव में आगे बढ़ने के लिए अजेय बना दिया है।
उत्तर भारत में कांग्रेस के हाशिये पर जाने से भाजपा के लिए 2024 में कोई मजबूत चुनौती नहीं रह गई है। आर्थिक हालात या बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चुनौतियों के बावजूद पीएम मोदी जरूरत पड़ने पर अपनी गरीब-समर्थक नीतियों और हिंदुत्ववादी राजनीति के बलबूते मतदाताओं के रूझान को बदलने की क्षमता रखते हैं। विपक्ष के किसी मजबूत राष्ट्रीय चेहरे, मीडिया समर्थन और चुनावी गठबंधन के बिना तो कम से कम अगले लोकसभा चुनाव में मोदी को चुनौती देना मुश्किल नजर आता है। यही नहीं, विपक्षी नेताओं के बीच आंतरिक विरोधाभासों के कारण कोई विश्वसनीय तीसरा मोर्चा बनने के आसार भी नहीं है, जो पीएम मोदी के ही पक्ष में है।
दूसरी ओर, विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों में सपा भले ही सत्ता की रेस में काफी पिछड़ गई लेकिन 2017 के 47 की तुलना में इस बार 111 सीटें जीत कर वह काफी मजबूत होकर उभरी। जबकि, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की जमान खिसक गई, उसे इस चुनाव में सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा। चुनाव में सपा के पक्ष में मुस्लिम ध्रुवीकरण का लाभ भी मिला। इन्हीं कारणों से अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से लोकसभा की सदस्यता छोडने में ही पार्टी की भलाई समझी। समाजवादी पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश यादव राज्य में पार्टी का नेतृत्व करते हुए संगठन को मजबूत बनाने का काम करेंगे, जिससे 2024 में किंगमेकर वाली भूमिका में आ सकें।
झूठ बोले कौआ काटेः उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती सरकार ही दोबारा सत्ता संभाल रही है। ऐसे में पूर्व से जारी योजनाओं-परियोजनाओं के साथ चुनावी वादे से जुड़ी नई योजनाओं व फंड के लिए हाथ काफी बंधे होंगे। जानकार बताते हैं कि एक साथ सभी फंड के लिए बजट बंदोबस्त की जगह, प्राथमिकता तय कर चरणबद्ध तरीके से आने वाले बजट में गठन का विकल्प आजमाना पड़ सकता है। यह भी एक सच्चाई है कि कोविड महामारी के दबाव से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उबर नहीं पाई है। रूस-यूक्रेन महायुद्ध के दुष्परिणाम भी अर्थतंत्र पर दिखने लगे हैं। ऐसे में महंगाई, रोजगार और सुशासन जैसे मुद्दों से निपटना बड़ी चुनौती होगी। देखना होगा कि योगी-2 सरकार किस तरह 2024 का रोडमैप अगले 5 वर्षों में तैयार करती है और अखिलेश यादव मुख्य विपक्षी दल के मुखिया के रूप में प्रदेश के मतदाताओं को कितना भरोसे में ले पाते हैं?
ये भी गजबः देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश के चर्चित ‘बुलडोजर’ का खौफ चुनाव में जहां विपक्ष का काल बना, उस ‘बुलडोजर’ का खौफ अपराधियों में बदस्तूर कायम है। प्रतापगढ़ में दुष्कर्म के आरोपित युवक का समर्पण इसका गवाह है। योगी-2 सरकार अस्तित्व में आने से पहले पुलिस ने गिरफ्त से दूर आरोपित के घर के सामने रात को बुलडोजर खड़ा कर दिया। फिर क्या था, घर ढहाये जाने के डर से आरोपित अगली सुबह खुद पुलिस के सामने पहुंच गया था। कुछ ऐसा ही गोंडा में भी हुआ। जहां गल्ला व्यवसायी के अपहरण के मामले में वांछित 25 हजार रुपये के इनामी गौतम सिंह ने 15 मार्च को छपिया थाने में समर्पण किया था। आरोपित गौतम अपने भाई के साथ थाने पहुंचा था और उसके हाथ में एक तख्ती थी, जिस पर लिखा था कि मैं आत्मसमर्पण कर रहा हूं मुझे गोली मत मारो।
शाहजहांपुर में 16 मार्च को कुख्यात सुनील उर्फ टुईया हाथ में अपराध से तौबा करने की तख्ती लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा और भविष्य में फिर कोई अपराध न करने की कसम खाई। ऐसे ही सहारनपुर में 15 मार्च को 12 हिस्ट्रीशीटर बदमाशों ने एक साथ चिलकाना थाने पहुंचकर भविष्य में कोई अपराध न करने की कसम खाई। 16 मार्च को सहारनपुर के ही थाना गागलहेड़ी में आठ हिस्ट्रीशीटर अपराधियों ने फिर किसी अपराध से तौबा की। वहीं 15 मार्च को मेरठ पुलिस ने ढाई लाख के इनामी बदमाश बदन सिंह उर्फ बद्दो व उसके साथियों द्वारा पार्क में किये गये अवैध निर्माण को ढहाकर बदमाशों को कठोर कार्रवाई का सीधा संदेश भी दिया।