आखिर कब तक शर्मसार होती रहेगी मानवता…?

क्या मानव कभी शर्मसार नहीं होगा...?

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रीवा जिले की एक घटना है, जिसमें चार महिलाएं अपने परिवार की एक बुजुर्ग महिला का शव चारपाई पर रखकर ले जा रही हैं। यह वीडियो वायरल हुआ, तो चर्चा का विषय बन गया। रायपुर कर्चुलियान स्वास्थ्य केंद्र में सोमवार को महसुआ गांव निवासी 80 वर्षीय मोलिया केवट की मौत हो गई थी। इसके बाद परिवार की दो बेटियों और दो बहुओं ने शव वाहन की तलाश की। कर्मचारियों ने कह दिया कि अस्पताल में शव वाहन की व्यवस्था नहीं है। जब वाहन नहीं मिला तो महिलाएं चारपाई पर शव रखकर पैदल घर के लिए चल पड़ीं। और जब वीडियो वायरल हुआ, तब मानवता के शुभचिंतक सिर के बल खड़े होकर रूदन करने लगे कि मानवता शर्मसार हो गई है।
तो दूसरी घटना यह कि जब बाबा का चोला पहने एक शैतान ने रीवा में ही राजभवन में नाबालिग के साथ बलात्कार किया। और यह घटना सबके सामने आई। तब भी लोगों के मुंह से यही निकला कि यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। बुधवार को रीवा में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सख्त तेवर दिखे। मंच से ही एडीजी, कमिश्नर, कलेक्टर, एसपी को उन्होंने निर्देश दिए कि राजनिवास दुष्कर्म काण्ड से जुड़े सभी अपराधियों को जमींदोज कर दिया जाए। मध्यप्रदेश की धरती पर चाहे कोई भी हो, हमारी बेटियों पर बुरी नजर उठाएगा बख्शा नहीं जाएगा। पता लगाकर बताएं अपराधी के नाम। राजनिवास किसके कहने पर किसने आवंटित किया, उसे भी हम नहीं छोड़ेंगे..। खैर रीवा राजनिवास मे युवती के साथ दुष्कर्म वाले वाला महंत रामदास महाराज सिंगरौली में गिरफ्तार हो गया।
इसी तरह की सैकड़ों घटनाएं होती हैं, जिसमें मानवता को शर्मसार बताकर कलियुगी मानव पतली गली से रफूचक्कर हो जाता है। या फिर बड़ी-बड़ी गाड़ियों में कांच बंद कर मानवता के शर्मसार होने की गर्मी से बचने के लिए एसी चलाकर राहत महसूस करता हुआ आगे बढ़ जाता है।मानव बचकर निकलने में कामयाब हो जाता है और मानवता कभी सड़क पर, तो कभी चौराहों पर, तो कभी बंद कमरे में तो कभी फार्म हाउस में, कभी थानों में, तो कभी सरकारी कार्यालयों में, कभी निजी कार्यालयों में, तो कभी अस्पतालों या अन्य सैकड़ों स्थानों पर शर्मसार होती रहती है।
 हमने सोचा कि मानवता होती क्या है? खोजा तो मानवता पर लाखों पेज भर जाएं और मानवतावाद पर तो कई दिनों तक वर्णन किया जाए, तब भी व्याख्या पूरी न हो पाए। पर गागर में सागर भरने वाला मानवता का अर्थ यह समझ आया कि मानवता मानव का गुणधर्म है जिसके मूल तत्व सत्य, अहिंसा, प्रेम, करूणा, दया, त्याग, शुद्धता, नैतिकता, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा आदि हैं। तो चारपाई कंधों पर रखकर शव ले जाती 21 वीं सदी के सभ्य और विकसित समाज में यह दृश्य देखते हजारों मानवों में किसी को भी दया नहीं आई कि वाहन उपलब्ध नहीं करा सकते तो कम से कम महिलाओं की जगह खुद ही चारपाई को अपने कंधों पर उठा लें।
आखिर एक मानव का ही तो शव था। तो मानवता की मूर्ति बन वह शैतान सार्वजनिक तौर पर कितना आडंबर करता होगा कि समाज के प्रबुद्ध वर्ग को उसके सामने झुककर असीम आनंद की अनुभूति होती रही।और वह पिशाच बनकर आबरू लूटने में महारथ हासिल करता रहा। ऐसा महसूस हो रहा है कि दुनिया से प्रेम, करूणा, दया, त्याग, शुद्धता, नैतिकता, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा आदि का जनाजा ही निकला जा रहा है और तथाकथित मानव खुशियां मनाने में जुटा है। आखिर यह “मानव” कब शर्मसार होगा? शायद जवाब यही मिले कि कभी नहीं…! शर्मसार होने का ठेका “मानवता” को जो दे दिया है।