भोपाल :प्रदेश में आदिवासियों द्वारा तैयार की जाने वाली ताड़ी को हेरिटेज मदिरा का स्वरूप दिलाने के लिए सरकार ने अब तक 45 लाख रुपए खर्च किए हैं। यह राशि डिंडोरी और अलीराजपुर जिलों में खर्च की जा रही है जहां पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हेरिटेज शराब का उत्पादन कराया जा रह है। इसके लिए आदिवासियों के समूह को ट्रेनिंग दिलाने के बाद शराब उत्पादन के लिए 15 अप्रेल की डेडलाइन तय की गई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चार माह पहले ऐलान किया था कि आदिवासियों के परम्परा के मुताबिक उन्हें शराब बनाने की छूट दी जाएगी। सीएम के निर्णय के बाद कैबिनेट ने इसे मंजूरी दे दी है और आबकारी नीति में एक अप्रेल से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए हेरिटेज मदिरा के निर्माण को छूट का समावेश किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार पायलट प्रोजेक्ट वाले जिलों में आबकारी अफसरों को स्व सहायता समूहों के माध्यम से शराब बनाने की ट्रेनिंग दिलाने का काम किया जा रहा है जिसमें उन्हें यह बताया जा रहा है कि किस तरह से हेरिटेज शराब का निर्माण किया जाएगा और उसमें किन पदार्थों का उपयोग कितनी मात्रा में किया जा सकेगा? सरकार करेगी ब्रांडिग
अलीराजपुर के जिला आबकारी अधिकारी बृजेश कोरी बताते हैं कि अभी सरकार ने धान की भूसी, लकड़ी या गैस का उपयोग कर हेरिटेज शराब बनाने की शुरुआत करने की परमिशन दी है। यह शराब टैक्स फ्री रहेगी। इसकी बिक्री के लिए रतलाम के अंगूर से बनने वाली शराब की तर्ज पर आउटलेट तैयार किए जा सकते हैं या फिर शराब दुकानों में रखवाकर इसकी बिक्री कराई जा सकती है। यह आने वाले दिनों में फाइनल होगा। सरकार आदिवासियों की इस शराब की ब्रांडिंग कराएगी।
*एक समूह में 40 प्रतिशत महिला जरूरी*
शराब तैयार करने के लिए जो स्व सहायता समूह तैयार किए जा रहे हैं, उनका खर्च सरकार उठा रही है। हेरिटेज शराब के लिए आवश्यक सभी पदार्थों की उपलब्धता सरकार ही करा रही है। इन समूहों के लिए एक शर्त यह भी तय की गई है कि समूह में कम से कम चालीस प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी होगी।