Silver Screen: अमिताभ ने मान लिया, अभिषेक ही उनके असली उत्तराधिकारी

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Silver Screen: अमिताभ ने मान लिया, अभिषेक ही उनके असली उत्तराधिकारी

अमिताभ बच्चन को सदी का अभिनेता कहा और माना जाता है। वे तीन पीढ़ियों के दर्शकों के पसंदीदा अभिनेता रहे।लेकिन, उनका बेटा अभिषेक बच्चन उनकी तरह अपनी पहचान नहीं बना सका। पिता की ही तरह कद-काठी के बावजूद उसके अभिनय में वो कशिश नहीं, जो दर्शकों के दिलों में उतर जाए। यदि अभिषेक के साथ अमिताभ का नाम नहीं जुड़ा होता तो संभव है कि वे ज्यादा सफल होते। लेकिन, अमिताभ का बेटा होने से दर्शक उनमें अमिताभ को ढूंढते हैं, जो उन्हें नहीं मिलता। अभिषेक की जिन फिल्मों को सफलता मिली, उसमें कोई एक्स-फैक्टर था, जो सफलता का कारण बना! यह भी देखा गया कि अमिताभ ने कभी अभिषेक के लिए सीढ़ी बनने की कोशिश नहीं की! शायद पहली बार अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘दसवीं’ का ट्रेलर रिलीज होने के बाद उनके अमिताभ बच्चन ने एक ट्वीट किया, जो काफी चर्चा में आया! इस ट्वीट में उन्होंने अभिषेक की तारीफ की।

अमिताभ ने ट्वीट में अपने पिता हरिवंश राय बच्चन की लिखी लाइनें लिखते हुए कहा ‘मेरे बेटे, बेटे होने से मेरे उत्तराधिकारी नहीं होंगे जो मेरे उत्तराधिकारी होंगे वो मेरे बेटे होंगे … हरिवंश राय बच्चन। अभिषेक तुम मेरे उत्तराधिकारी हो, बस कह दिया तो कह दिया।’ उन्होंने ‘दसवीं’ का ट्रेलर भी साथ में पोस्ट किया। अमिताभ के इस ट्वीट पर अभिषेक का जवाब था ‘लव यू पा। हमेशा और हमेशा।’ अमिताभ ने अपने ब्लॉग में मन की बातें लिखी हैं क्योंकि, किसी भी पिता के लिए अपने बच्चों की तरक्की और अपने नाम को रोशन करते देखना खुशी का पल होता है। अभिषेक का पिता कहलाना खुशी देता है। मैं बहुत गर्व से कहता हूं कि अभिषेक मेरे उत्तराधिकारी हैं। अलग रोल करने के लिए उनकी लगातार कोशिशें और इन्हें निभाना सिर्फ चैलेंज ही नहीं, बल्कि सिनेमा की दुनिया को आइना दिखाने जैसा है।

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विरासत सिर्फ धन, दौलत और कारोबार की ही नहीं होती! विरासत में बहुत कुछ शामिल होता है। बड़े कारोबारी घरानों में तो पिता पहले ही अपनी विरासत के उत्तराधिकारी का एलान कर देते हैं। लेकिन, धन, दौलत और कारोबार के अलावा भी एक विरासत होती है, जिसे बाद में संभाला और संवारा जाता है! ये होती है पद, प्रतिष्ठा और लोकप्रियता की विरासत। फ़िल्मी दुनिया में ये अभिनय की विरासत होती है जिसे बेटा या बेटी संभालते हैं। उस स्थिति में जब पिता अपने ज़माने का बड़ा अभिनेता हो। परदे की दुनिया में ऐसे कई उदाहरण है, जब बड़े सितारों के बेटे अपने पिता की अभिनय विरासत को नहीं संभाल सके और भीड़ में खो गए। ये फिल्म इतिहास का अहम् हिस्सा है। क्योंकि, ऐसे कलाकारों की कमी नहीं, जिन्होंने अपने जीवनकाल में अभिनय की ऊंचाई को छुआ, पर बाद में उनका बेटा पिता की पहचान तक को बरक़रार नहीं रख सका! ऐसे उदाहरण कम है, जब कोई अभिनेता बेटा अपने पिता से भी आगे निकला हो! याद किया जाए तो संजय दत्त, ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ ही संभवतः ऐसे अभिनेता हैं, जिन्होंने अपने पिता की पहचान को आगे बढ़ाया!

Silver Screen: अमिताभ ने मान लिया, अभिषेक ही उनके असली उत्तराधिकारी

फिल्मों में जो अभिनेता अपने करियर में बहुत ज्यादा ऊंचाई नहीं पा सके, पर उनकी अभिनय क्षमता की हमेशा तारीफ हुई, उनमें एक जैकी श्रॉफ भी है। उनकी पहली फिल्म ‘हीरो’ ने सफलता के नए आयाम गढ़े थे। उनकी पहचान रोमांटिक या दूसरे दर्जे के नायक की रही! वे उन नायकों में नहीं रहे जिनके अकेले के दम पर फिल्म सफल हो! लेकिन, उनका बेटा टाइगर श्रॉफ आज उनसे कहीं ज्यादा ऊंचाई पर है। अपनी पहली फिल्म ‘हीरोपंती’ से उसने सफलता की जो सीढ़ियां चढ़ना शुरू की, वो आज भी जारी है। आज के एक्शन हीरो में उसकी अलग ही पहचान है। अपने 8 साल के फिल्म करियर में ‘टाइगर’ ने वो ऊंचाई पा ली, जो हर किसी के लिए आसान नहीं होती। मार्शल आर्ट्स और डांस में तो दर्शक उसके मुरीद हैं। टाइगर को उन चंद नायकों में गिना जा सकता है, जिन्होंने अपने पिता की अभिनय विरासत को संभाला और उसे इतना आगे बढ़ाया कि उनके पिता को भी गर्व है। जैकी ने एक बार कहा भी था कि मैंने जैसा उसका नाम रखा, वो अब उसी के अनुरूप तेजी से काम करते हुए अपना नाम भी कमा रहा है।

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पिता की अभिनय विरासत को जिन अभिनेताओं ने आगे बढ़ाया, उनमें एक ऋतिक रोशन भी है। फ़िल्मी दुनिया में उनके पिता राकेश रोशन को कभी बड़ा कलाकार नहीं माना गया। उनका करियर भी लम्बा नहीं चला। वे अभिनेता से ज्यादा फिल्मकार के रूप में सफल हुए। परन्तु, बेटे ऋतिक रोशन ने एक्शन और डांस में जो कमाल किया उससे उनको पसंद करने वाला अलग ही दर्शक वर्ग बना! अपनी पहली फिल्म ‘कहो ना प्यार है’ की सफलता से वे हवा में नहीं उड़े और चुनिंदा फ़िल्में करते हुए आगे बढ़ते रहे। वे अपनी तरह के अलग अभिनेता है। बेटे के करियर को लेकर राकेश रोशन ने कभी प्रतिक्रिया नहीं दी, पर ‘वार’ फिल्म की सफलता से वे अभिभूत हो गए थे। उन्होंने कहा कि इस फिल्म ने अपना गोल हासिल कर लिया। राकेश रोशन ने फिल्म में ऋतिक रोशन के काम को देखने के बाद कहा था मुझे ऋतिक पर गर्व है। उसने अपनी सभी फिल्मों में अलग-अलग तरह के रोल अदा किए और उन्हें शिद्दत से निभाया। वो अपने किसी भी किरदार में कभी ऐसा नहीं लगा कि वो उसके लिए नहीं बना। बल्कि वो हर फिल्म के साथ सभी को हैरान करता हैं। इतने छोटे करियर में किसी और अभिनेता ने ऐसे रोल नहीं निभाए हैं।

सुनील दत्त बॉलीवुड सिनेमा के चहेते कलाकारों में एक रहे हैं। उनके बेटे संजय दत्त ने ‘रॉकी’ फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इस फिल्म में उनकी अदाकारी को दर्शकों ने खूब पसंद किया। सुनील दत्त उन कलाकारों में रहे जो अपने बेटे संजय को एक सफल अभिनेता बनाने में कामयाब हुए। सुनील दत्त अपने समय काल के बड़े कलाकार थे। उसी तरह संजय दत्त को भी सिनेमा में अपने बेहतरीन अभिनय की वजह से जाना जाता है। वे अभिनेता के साथ फिल्म निर्माता भी हैं। 1993 में हुए मुंबई बम ब्लास्ट की वजह से वे खासे चर्चा में रहे।

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उन पर गैर कानूनी तरीके से अपने पास हथियार रखने का आरोप भी लगा, वे जेल भी गए पर उनके करियर पर असर नहीं आया। संजय दत्त ने लगभग हर शैली की फिल्मों में काम किया। चाहे एक्शन फिल्म हो, काॅमेडी फिल्म हो या रोमांस। संजय दत्त का करियर बहुत उतार-चढ़ाव से भरा रहा। बाल कलाकार के रूप में संजय दत्त को पहली बार ‘रेशमा और शेरा’ में देखा गया था। लेकिन, अभिनेता के रूप में उनकी पहली फिल्म ‘राॅकी’ थी, जो उस समय की सुपरहिट फिल्म रही। इसके बाद उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दी। लेकिन, ‘खलनायक’ में निभाया गया उनका ‘बल्लू’ का किरदार आज भी ताजा है। ‘वास्तव’ में उनके अभिनय को काफी सराहा गया था।

धर्मेंद्र ने भी लम्बे समय तक दर्शकों के दिलों पर राज किया, पर उनके दोनों बेटे कुछ ख़ास नहीं कर सके। सनी देओल की कुछ फ़िल्में जरूर अच्छी चली, पर वे टाइप्ड होकर रह गए। जबकि, धर्मेंद्र के छोटे बेटे बॉबी देओल को असफल अभिनेता ही कहा जाएगा। ओटीटी पर ‘आश्रम’ में जरूर उनकी अभिनय प्रतिभा को पहचाना गया, पर अब बहुत देर हो चुकी है। यही कहानी सफल अभिनेता अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर की भी है। हर्षवर्धन अभिनय में हाथ आजमा चुके हैं। लेकिन, वे अपने पिता और बहन की तरह फिल्मी दुनिया में नाम नहीं कमा सके। उनकी पहली फिल्म ‘मिर्जया’ में उनके अभिनय की तारीफ तो हुई, लेकिन फिल्म नहीं चली। इसके बाद उन्हें ‘भावेश जोशी सुपरहीरो’ में देखा गया, पर इसका भी बुरा हाल हुआ।

Silver Screen: अमिताभ ने मान लिया, अभिषेक ही उनके असली उत्तराधिकारी

 

मनोज कुमार के बेटे विशाल और कुणाल दोनों ही एक्टिंग की दुनिया में फ्लॉप रहे। मिथुन चक्रवर्ती भी अपने बेटों का करियर बॉलीवुड में बनाना चाहते थे। लेकिन, उनकी इच्छा पूरी नहीं हुई। मिथुन के बेटे महाक्षय (मिमोह) ने 2008 में फिल्म ‘जिम्मी’ से दस्तक दी थी। लेकिन, फिल्म बड़ी फ्लॉप साबित हुई। इसके बाद हांटेड, रॉकी और इश्कदारियां और कॉमेडी फिल्म ‘तुक्का फिट’ में भी उन्हें देखा गया था। इनमें से एक भी फिल्म नहीं चल सकी। अपने ज़माने के सफल हीरो फिरोज खान के बेटे फरदीन खान भी उन्हीं फ्लॉप हीरो में हैं, जिन्होंने अपने पिता की अभिनय विरासत को बर्बाद कर दिया। विनोद खन्ना को नायक और खलनायक दोनों रोल में लोगों ने देखा, पर उनके दोनों बेटे अक्षय और राहुल परदे पर नहीं चल सके। अक्षय ने तो कुछ फिल्मों में अच्छा काम किया, किन्तु राहुल को लोग आज भी नहीं जानते।

राज कपूर ने भी अपने तीनों बेटों ऋषि कपूर, रणधीर कपूर और राजीव कपूर का करियर बनाने के लिए मेहनत की। पर, इन तीनों बेटों में ऋषि कपूर के हिस्से में सबसे ज्यादा हिट फिल्में रही। राजीव कपूर का एक्टिंग करियर तो असफल ही था। जबकि, रणधीर कपूर ने जरूर कुछ हिट फ़िल्में दी, पर उनका करियर ज्यादा लम्बा नहीं चला। जबकि, ऋषि कपूर का बेटा रणवीर कपूर ने अपनी पहचान तो बनाई, पर ऋषि की तरह ऊंचाई वक़्त लगेगा। राजेंद्र कुमार 60 के दशक के हिट कलाकार रहे हैं। उनके फिल्म करियर में कई सुपरहिट फिल्में दर्ज है। लेकिन, उनका बेटा सिर्फ एक हिट देकर गुमनामी में खो गया। कुमार गौरव का करियर फ्लॉप रहा।

1981 में आई पहली फिल्म ‘लव स्टोरी’ ने कमाल किया था, पर उसके बाद लगातार फ्लॉप होती फिल्मों ने उन्हें भुला दिया। हिंदी फ़िल्मी दुनिया के स्टार रहे देव आनंद का बेटा भी पिता कि विरासत को नहीं संभाल सका। सुनील आनंद ने कई फिल्मों में काम किया, लेकिन दर्शकों ने उन्हें नहीं स्वीकारा!

जितेंद्र भी अपने समय के सफल कलाकार थे। 80 के दशक में उन्होंने एक से बढ़कर एक हिट फिल्में दी। बाद में जितेंद्र के बेटे तुषार कपूर ने भी फिल्मों में काम किया, पर उनका एक्टिंग करियर सफल नहीं रहा। तुषार ने कई फिल्मों में काम किया है, लेकिन कभी अकेले के दम पर कोई हिट फिल्म नहीं दी। सनी देओल ने भी बेटे करण देओल के लिए मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने बेटे के लिए फिल्म ‘पल पल दिल के पास’ को डायरेक्ट भी किया। इसके बावजूद करण में ऐसा कोई जादू नहीं है, जो दर्शकों को बांध सके। यह फेहरिस्त अभी पूरी नहीं हुई! यही स्थिति खलनायकों और नायिकाओं की भी है। किसी भी नामचीन खलनायक और नायिका के बेटे और बेटी अपनी जगह नहीं बना सके।