New Delhi : कांग्रेस नेतृत्व पर उठ रहे सवालों का जवाब सामने आ गया। अगले तीन महीने में AICC (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) संगठन चुनाव हो जाएंगे। नया अध्यक्ष भी सामने आ जाएगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद बदले हालात में कांग्रेस में पार्टी के भविष्य को लेकर चिंता है।
पंजाब में सत्ता खोने और उत्तर प्रदेश विधानसभा में बदतर प्रदर्शन के बाद पार्टी के बड़े नेताओं में चिंतन शुरू हो गया था। अधिकांश नेता चाहते हैं कि अगला पार्टी अध्यक्ष गांधी परिवार से अलग हो। पार्टी में ऐसी मांग उठाने वाले असंतुष्ट नेताओं को G23 नाम दिया गया था। पिछले दिनों इस ग्रुप के मुखिया गुलाम नबी आजाद ने सोनिया गांधी से भी लम्बी चर्चा की थी। तभी तय हो गया था कि पार्टी को नया अध्यक्ष मिलेगा और जो नया चेहरा सामने आएगा, वो गांधी परिवार से नहीं होगा। क्योंकि, राहुल गांधी का प्रयोग पहले हो चुका है और प्रियंका गांधी ने सारी कोशिशों के बाद UP विधानसभा चुनाव में कोई कमाल नहीं दिखा सकी।
G-23 की कोशिश भी है कि पार्टी को अब नया अध्यक्ष मिलना चाहिए, जो थोपा हुआ नहीं हो और बकायदा चुनाव से बने। इसके अलावा G-23 की और कोई मांग भी नहीं है। लेकिन, उसके लिए पार्टी की सदस्यता को सही करना जरूरी है। कांग्रेस के अंदर से रिसकर आने वाली ख़बरों के मुताबिक पार्टी का नया अध्यक्ष सारे अनुमानों से अलग कोई चेहरा होगा। संभव है कि वो युवा होगा और गुटबाजी से भी अलग होगा।
कांग्रेस के 23 नेता लम्बे समय से नेतृत्व के प्रति असंतोष व्यक्त करते आ रहे हैं। उनकी पार्टी में संगठन स्तर पर बदलाव की मांग है। इन 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर अपना मकसद भी बताया था। क्योंकि, शुरू में इन नेताओं पार्टी विरोधी बताने की कोशिश हुई थी, पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे पार्टी को ताकतवर बनाना चाहते हैं न कि उसे नुकसान पहुंचाने की कोई कोशिश कर रहे हैं।
हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी की कार्यसमिति में हुए फैसलों से भी G-23 असंतुष्ट था। पार्टी के नेतृत्व पर उंगली उठाने वाले गुलाम नबी आजाद ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात कर कुछ मुद्दे सुलझा लिए थे। कपिल सिब्बल भी राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं।
G-23 को संतुष्ट करने की कोशिश
कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आनंद शर्मा, विवेक तनखा और मनीष तिवारी से भी लंबी बातचीत की थी। सोनिया गांधी की कोशिश G-23 नेताओं के उठाए मुद्दों को हल कर के पार्टी में एकजुटता बढ़ाना है। सोनिया गांधी को यह संदेश भेजा गया है कि पार्टी के फैसले लेने के लिए चुनिंदा लोगों पर भरोसा करने के बजाय सामूहिक फैसला लेने के मॉडल को बनाना होगा। सोनिया ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण मिलने पर फोन करके बधाई भी दी थी। बताया जाता है कि बड़े फेरबदल अगस्त-सितंबर में होने वाले चुनावों के बाद ही होंगे।