Vijay Stambh : खुले में ‘विजय स्तंभ’ एक हज़ार साल से पड़े, पर जंग नहीं लगी!
भाजपा नेताओं ने इसे किले में स्थापित करने की मांग उठाई
धार से छोटू शास्त्री की विशेष रिपोर्ट
Dhar : राजा भोज के काल के प्राचीन विजय स्तंभ यानी ‘लाट’ को उनके पुरातात्विक महत्व की दृष्टि से सुरक्षित करने और उचित स्थान देने की आवश्यकता है। इस लिहाज से मध्यप्रदेश शासन से पत्र व्यवहार कर यह अपेक्षा की गई है कि 1010 से 1055 के मध्य निर्मित इन ‘विजय स्तंभ’ को धार के ऐतिहासिक और प्राचीन किले में स्थापित किया जाए।
यह जानकारी पूर्व विधायक करण सिंह पवार जी ने दी।
उन्होंने बताया कि इस बारे में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर सहित सभी जिम्मेदारों से पत्र व्यवहार किया गया है। पूर्व कांग्रेस विधायक ने बताया कि यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। यह स्तंभ उसी प्रकार के लोह धातु से बने हैं, जिस प्रकार से दिल्ली के पिलर हैं। यह स्तंभ गत एक हज़ार साल से बाहर खुले में रखे हुए हैं। पर उसकी धातु निर्माण की विशेषताओं के कारण अभी तक उनमें जंग नहीं लगी।
दिल्ली के पिलर की ऊंचाई 20 फीट है। जबकि, धार स्थित विजय स्तंभ की ऊंचाई 41 फीट है। पवार ने शोधकर्ताओं के शोध का हवाला देते हुए बताया कि एक लॉट 10 फीट का मांडू में स्थित है। यदि इसे भी मिला लिया जाए तो 5 फीट ऊंचा स्तंभ हो जाता है। धार के किले के पश्चिम दिशा अथवा दक्षिण दिशा के किसी बुर्ज पर इसे स्थापित किया जाए तो राजा भोज का सम्मान का यह सही और उचित तरीका होगा।
उन्होंने बताया कि पूर्व काल में उपयुक्त संसाधन और मशीनों का अभाव था। इस वजह से इसे उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया नहीं जा सका।
वर्तमान में अत्याधुनिक क्रेन और विभिन्न मशीनें उपलब्ध है। जिससे कि स्तंभ स्थानांतरित करने में और व्यवस्थित करने में किसी प्रकार की असुविधा नहीं होगी। स्तंभ के विभिन्न भागों को आपस में जोड़ने के भी संसाधन आसानी से उपलब्ध है। शासन से हमारी अपेक्षा है कि विजय स्तंभ को किले में स्थापित करें और राजा भोज के कार्यों को प्रतिष्ठित करें। पत्रकार वार्ता के अवसर पर भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव यादव, सांसद छतर सिंह दरबार, भाजपा नेता अनंत अग्रवाल उपस्थित थे।