शनिवार को इंदौर प्रेस क्लब का स्थापना दिवस समारोह था। यह क्लब का कौस्तुभ जयंती वर्ष है यानी साठ साल पूर्ण होने का वर्ष। हमारे लिए अत्यंत गौरव का क्षण था कि इस आयोजन में राज्यसभा के उप सभापति माननीय श्री हरिवंश जी (harivansh ji) समारोह में मौजूद थे। उनके अलावा हमारे अपने मालवा की माटी के गौरव वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता जी (alok mehta ji) और आईएनएच हरिभूमि के संपादक श्री हिमांशु जी द्विवेदी (himanshu dwivedi ji) की भी गौरवमयी उपस्थिति ने हमे कृतार्थ किया।
बहरहाल इस साल जो आयोजन हुआ वह ना केवल एतिहासिक है बल्कि इंदौर शहर में इस कार्यक्रम की याद सालों साल स्मृति में अंकित रहेंगी। पत्रकारिता की स्वर्णिम यात्रा पूर्ण कर चुके हमारे अग्रज न सिर्फ इंदौर बल्कि प्रदेश और देश के लिए भी गौरव के पात्र हैं। जिन वरिष्ठों का लेखन मेरी आयु के बराबर हो उनके सम्मान में कौन से शब्दों को इस्तेमाल करे मुझे यह भी ज्ञान नहीं है। जिन्हें पढ़ कर लिखना सिखा उनके बारे में क्या और कैसे लिखे। इंदौर का जाल सभागार भी निश्चित रूप से कृतार्थ हुआ जिसकी अग्रिम पंक्ति में वो कलमकार विराजमान थे। जिनका दिल इंदौर शहर के लिए, जनता के लिए और जनता के मुद्दों के लिए आज भी धड़कता है।
माता रानी के आशिर्वाद से मिला मौका –
प्रेस क्लब के स्थापना दिवस के साथ हमारे पुरोधा स्व. राजेंद्र माथुर जी का स्मरण दिवस भी 9 अप्रैल को रहता है लिहाजा प्रतिवर्ष उनकी स्मृति में प्रतिवर्ष एक व्याख्यान भी हम आयोजित करते है। अपने वरिष्ठों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का इससे अच्छा दुसरा कोई मौका ना था। हमारे नेतृत्वकर्ता अरविंद जी ने योजनाबद्ध तरीके से आयोजन को मुर्तरूप दिया। पचास वर्षो से जनपदीय मुद्दों से लेकर सामाजिक राजनैतिक, तात्कालिन मुद्दों और समस्याओं पर बैबाकी से कमल चलाने वाले वरिष्ठों का सम्मान करना हमारा परम दायित्व था। पर इस दायित्व को निभाने का मुहूर्त और उनके व्यक्तित्व के मुकाबिल अतिथि का चयन बड़ी चुनौती थी। माता रानी ने राह आसान कर दी। महाअष्टमी का दिन था और हमे मौका मिल गया अपने अग्रजों के चरणों को नमन करने का।
हमे गर्व है आप पर –
आदरणीय पद्मश्री अभय छजलानी जी, श्री विमल झांजरी जी, श्री कृष्णकुमार अष्ठाना जी, श्री उमेश रेखे जी, श्री महेश जोशी जी, श्री श्रवण गर्ग जी, श्री सुरेश ताम्रकर जी, श्री रवीन्द्र शुक्ला जी, श्री श्रीकृष्ण बेडेकर जी, श्री ब्रजभूषण चतुवेर्दी जी, श्री शशिकांत शुक्ल जी, श्री बहादुरसिंह गेहलोत जी, श्री विद्यानंद बाकरे जी, श्री कृष्णचंद दुबे जी, श्री चंद्रप्रकाश गुप्ता जी, श्री सतीश जोशी जी, श्री चंदू जैन जी, श्री गजानंद वर्मा जी, श्री दिलीप गुप्ते जी, श्री विक्रम कुमार जी, श्री मदनलाल बम जी ये वो लोग है जिन्होंने कभी हालात से समझौता नही किया। हमे गर्व है कि आपकी कलम आज भी बैबाकी से अनवरत चल रही है। आप मिसाल है हम और हमारे बाद के कलमकारों के लिए। हमने आपका सम्मान नहीं किया बल्कि आपकों को सम्मानित कर हम स्वयं कृतार्थ हुए है।