श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट
पिछले दिनों मध्यप्रदेश मे डीजे और लाउडस्पीकर को लेकर सांप्रदायिक टकराव की गंभीर और चिंताजनक घटनाएँ हुई हैं.
ऐसे में मुझे यूपी के मुरादाबाद जिले के गाँव मे पाँच बरस पहले लाउडस्पीकर पर हिन्दुओं और मुसलामानों के समझदारी भरे फैसले की याद हो आई.
इस फैसले के मार्फत दोनों पक्षों ने सरकारों, पार्टियों और धर्म, समाज तथा संस्थाओं के रहनुमाओं को जबरदस्त सन्देश दिया था. तब गाँव के हिन्दुओं और मुसलामानों ने गाँव के मंदिरों और मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर उतार पुलिस को सौंप थे.
तब यह भी तय किया गया कि किसी भी धार्मिक आयोजन में इनका इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. सरकारें, पार्टियां तथा धर्म और संस्थाएं आदि ऐसी समझदारी क्यों नहीं दिखाते?
हिन्दुस्तान में ज्यादातर दंगा-फसाद की जड़ में मंदिर-मस्जिद और गिरजे-गुरूद्वारे तथा साल भर चलने वाले धार्मिक उत्सव होते हैं. हमारे देश में बहुतेरे धार्मिकस्थल सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दे चुका है की ऐसे सारे मंदिर-मस्जिद हटा दे.देश से ज्यादा वोटों की चिंता करने वाली कांग्रेस से लेकर भाजपा सब ने इस पर हाथ खड़े कर दिए थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए यूपी सरकार जरूर सारे धार्मिकस्थलों और सार्वजानिक स्थानों पर लाउडस्पीकर और अन्य सभी पब्लिक एड्रेस सिस्टम का अनधिकृत इस्तेमाल प्रतिबंधित कर चुकी है।