Bagli News: त्वचा के रंग के दुर्लभ पत्थर से निर्मित श्रीछत्रपति हनुमानजी की प्रतिमा

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बागली से कुंवर पुष्पराज सिंह की रिपोर्ट

– लगभग 300 वर्ष पुराना मंदिर,
-किवदंती है कि हनुमानजी ने स्वयं प्रतिष्ठा स्थल चुना,
– रामायण काल की चार घटनाओं का विवरण देते है 9 फुट ऊंचे-साडे तीन,
फुट चौडे हनुमानजी,
– सच्चे भक्तों की मुराद पूरी करते है हनुमानजी,
– एक ही पत्थर पर घडी हुई है प्रतिमा ,
-मुस्लिम धर्मावलंबियों की भी आस्था का केंद्र भी है बागली के छत्रपति
हनुमान

बागली।  बागली के मुख्य बाजार में स्थित श्री छत्रपति हनुमानजी मंदिर क्षेत्रवासियों की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है।  त्वचा के रंग की आदमकद मूर्ति अपने आप में अनूठी और आकर्षण का केंद्र है।  साथ ही हनुमानजी की प्राण- प्रतिष्ठा से जुड़ी कहानी भी बहुत अद्भुत है।  जिसके अनुसार रियासत काल में लगभग 300 वर्ष पूर्व भगवान ने स्वयं अपने लिए प्रतिष्ठा स्थल चुन लिया था।  मंदिर हिन्दू धर्मावलम्बियों के साथ मुस्लिमों के लिए भी आस्था का केंद्र है।  बागली निवासी निसार शाह, भादर शाह और फारुख भाई जैसे कुछ नाम  मंदिर में नियमित पूजन और प्रार्थना करते है।

मंदिर में देश की कई नामचीन हस्तियों ने भी दर्शन किये है।

एक बार जहां रखी फिर हिली ही नहीं प्रतिमा
प्रतिमा के विषय में कहा जाता है कि रियासत काल में लगभग 250 से 300 वर्ष पूर्व राजस्थान का एक व्यापारी बैलगाडी में रखकर हनुमानजी की प्रतिमा को विक्रय के लिए ले जा रहा था। व्यापारी ने रात्रि विश्राम नगर में किया। बैलगाडी में रखी 9 फुट लंबी व साडे तीन फुट चौडी प्रतिमा को देखकर नगरवासी श्रद्धावनत हो गए और बागली रियासत के तत्कालीन राजा को प्रतिमा क्रय कर प्रतिष्ठा करवाने का निवेदन किया।

जिस पर राजाजी ने स्वयं आकर प्रतिमा को निहारा और व्यापारी से दाम बताने के लिए कहा। लेकिन व्यापारी ने प्रतिमा का सौदा अन्य किसी से होना बताया व प्रतिमा को विक्रय करने से इंकार कर दिया। व्यापारी ने रवानगी की तैयारी की लेकिन बैलगाडी अपने स्थान से एक इंच भी नहीं हिली। जिस पर राजाजी ने हाथी बुलवाकर हाथियों से भी बैलगाडी को खींचवाया। लेकिन बैलगाडी को आगे नहीं बढाया जा सका। जिस पर व्यापारी ने स्वर्ण मुद्राओं के बदले प्रतिमा का सौदा किया और बागली रियासत ने छत्रपति हनुमानजी मंदिर बनवाया।

तीन रूप बदलती है
मूर्ति पुजारी दीपक शर्मा बताते हैं कि सरकार की चमत्कारिक  मूर्ति होने से मेरी चार पीढ़ी सेवा में गुजर गई। सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी होती है। रियासत काल में पंडित श्रीराम शर्मा ने मंदिर का पूजन आरंभ किया था। पंडित शर्मा बताते है कि भगवान ने स्वयं अपना ठिकाना चुना था। बैलगाडी को आगे बढ़ाया नहीं जा सका और मंदिर यहीं पर निर्मित हुआ। उन्होंने यहभी बताया कि प्रतिमा का रंग प्राकृतिक रूप से त्वचा का है और यह लगातार निखरता  जा रहा है। यहां पर भगवान दिन भरमें तीन बार रूप बदलते है। सुबह के समय जहां भगवान के चेहरे पर बाल्यावस्था नजर आती है,  वहीं दोपहर में युवा अवस्था लिए हुए गंभीरता नजर आती है और शाम के समय बुजुर्ग अवस्था दिखाई देती है। जिसमें भगवान अभिभावक की तरह नजर आते है। पंडित शर्मा ने यह भी बताया कि यहां पर सच्चे भक्तों द्वारा सच्चे मन से की गई मुराद अवश्य पूरी होती है।रामायण काल की चार घटनाओं निहित है।

प्रतिमा में बागली के राजा राघवेंद्रसिंहजी  ने चर्चा करते हुए बताया कि हमारे दिवंगत पिताजी से  मिलने आने वाले अनेक विद्वानों को उन्होंने  भगवान के दर्शन करवाए और जिस दुर्लभ पत्थर पर प्रतिमा को उकेरा गया है उसके विषय में पुछा। जिस पर कुछ लोगों का मत यह था कि यह पत्थर भारत में तो कहीं नहीं मिलता है। वास्तव में यह पत्थर हमारे प्रदेश में नहीं मिलता है।यदि राजस्थान में मिलता भी हो तो मुझे लगता है कि अब इस पत्थर की खदानें बंद हो चूकी है। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान की प्रतिमा को एक ही पत्थर पर उकेरा गया

है। जिसमें रामायण काल की चार घटनाएं निहित है। भगवान के एक हाथ में संजीवनी पर्वत है। कंधों पर भगवान श्रीराम व लक्ष्मण बैठे है। भगवान की जंघा पर भरतजी द्वारा चलाए गए बाण का प्राकृतिक निषान है। साथ ही पैरों में पाताल लोक के राजा अहिरावण की आराध्य देवी है।

1990 तक कक्षा 5 के भूगोल में पढ़ाया गया इतिहास  
कक्षा पांचवी के भूगोल के पेज नंबर 18 पर हनुमानजी की मूर्ति के साथ उसका इतिहास भी पढ़ाया जाता रहा है। मंदिर के समीप रहने वाले महेश सोनी ने बताया कि मूर्ति करीब 300 साल से भी अधिक पुरानी है। हमारे पिता और दादा, परदादा इसकी बातें करते रहते थे। छत्रपति निकाला जाएगा।देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां दर्शन करने पहुंची हैंश्री छत्रपति हनुमानजी के दर्शन करने के लिए देश की बड़ी-बड़ी हस्तियां पहुंची है।  जिसमें मुख्य रूप से राजनीती और कला जगत से जुड़े नामचीन लोग शामिल थे।  कुछ प्रमुख लोगों में  पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमारी, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह, कैलाश जोशी, पार्श्वगायक मुकेश कुमार, शम्मी कपूर सहित कई बड़ी हस्तियों ने दर्शन किए हैं। हनुमान जयंती की पूर्व संध्या पर बाबा रामदेव ग्रुप ने सार्वजनिक रूप से छप्पन भोग लगाया। हनुमान जयंती पर नगर के मुख्य बाजारों से जुलूस निकला।