National Children’s Commission took cognizance : सन्मति स्कूल के खिलाफ शिकायत दर्ज, जांच के आदेश

कलेक्टर से सात दिन में जांच प्रतिवेदन मांगा गया

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Indore : राष्ट्रीय बाल आयोग ने सन्मति स्कूल में पढ़ने वाले 100 से अधिक स्टूडेंट्स को भयाक्रांत करने, मानसिक प्रताड़ना देने तथा परीक्षा परिणाम बिगाड़ने की नीयत से बंधक बनाने का मामला पंजीबद्ध किया है।

जानकारी में बताया गया कि गत 4 मार्च को वार्षिक परीक्षा का परिणाम षड्यंत्र पूर्वक बिगाड़ने के उद्देश्य से बोर्ड द्वारा निर्धारित परीक्षा समय में स्कूल के मेस हाल में 2 धंटे तक बंधक बनाकर रखा गया था।

राष्ट्रीय बाल आयोग ने शिकायतकर्ता दिलीप कौशल को भेजे पत्र में मामले को गंभीरता से लेते हुए शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12(1)(सी) तथा बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 13 एवं 14 में लेते हुए शिकायत पंजीबद्ध कर जांच शुरू की है।

सन्मति स्कूल प्रशासन के विरुद्ध शिकायत की जांच कलेक्टर इंदौर करेंगे।

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राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (भारत सरकार) नई दिल्ली के रजिस्ट्रार अनु चौधरी ने इस संबंध में कलेक्टर / जिला अधिकारी को पत्र भेजकर शिकायत पंजीबद्ध होने का संज्ञान देकर जांच करने तथा प्रतिवेदन 7 दिन में भेजने को कहा है। इस निर्देश की प्रति शिकायतकर्ता दिलीप कौशल को भी भेजी गई है।

पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने इस बारे में बताया कि 4 मार्च को जब वार्षिक परीक्षाएं चल रही थी, तब इंदौर के रेसीडेंसी क्षेत्र के सन्मति हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रबंधक सुनील शाह और प्रिंसिपल अर्चना शर्मा के निर्देशों पर वाईस प्रिंसिपल आदिति अरोरा एवं अन्य स्टाफ द्वारा 3 मार्च को स्कूल में अध्यनरत 100 से अधिक स्टूडेंट्स को भयाक्रांत कर मानसिक प्रताड़ना दी गई।

उन्हें परीक्षा से वंचित करने के उद्देश्य से स्कूल के मेस हाल में बंधक बनाकर रखा गया और परिजनों से बात नहीं करने दी गई। कुछ परिजनों के संपर्क करने पर स्कूल प्रबंधकों द्वारा चर्चा तक नहीं करने दी गई।

परेशान परिजनों ने स्कूल प्रबंधक तथा अदिती अरोरा की ADM पवन जैन से और जिला शिक्षा अधिकारी से कराना चाही, पर अदिति अरोरा ने चर्चा नहीं कर अभद्रता की।

कौशल ने बताया कि 100 से अधिक स्टूडेंट्स को परीक्षा के समय पर स्कूल के मेस हाल में दो घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया जिस कारण उन्हें विलम्ब से परीक्षा दी। इस वजह से बच्चे भयभीत हो गए और ठीक से परीक्षा नहीं दे पाए।

बच्चों को धमकाया गया कि पढ़ाई में कमजोर होने पर स्कूल से निकाल दिया जाएगा या फिर उसी कक्षा में पढ़ने को विवश किया जाएगा।