AMIT SHAH’s Bhopal Visit : दस घंटे की यात्रा में निशाने पर रहा ‘मिशन 2023’
हेमंत पाल की खास खबर
बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह की भोपाल यात्रा से पहले जो अनुमान लगाए गए थे, वो काफी हद तक सही निकले! गृह मंत्री की यह यात्रा आदिवासियों पर फोकस और उन्हें पार्टी के पक्ष में करने पर केंद्रित रही। इसके अलावा अमित शाह ने पार्टी संगठन को चुनाव के कुछ ऐसे गुर सिखाए जिन्हें आने वाले चुनाव आजमाया जाएगा। तेंदूपत्ता संग्राहकों का कार्यक्रम तो औपचारिक रहा, पर उसका मंतव्य सभी को समझ आया कि ये पूरी तरह चुनावी रणनीति का हिस्सा था, जिसके जरिए आदिवासी वोट बैंक को रिझाने की कोशिश की गई।
लेकिन, इससे भी ध्यान देने वाली बात यह रही कि आज के इस आयोजन में नरोत्तम मिश्रा को दूसरे मंत्रियों से कहीं ज्यादा तवज्जो दी गई। एयरपोर्ट पर आगमन से लगाकर करीब 10 घंटे के सभी कार्यक्रमों में अमित शाह और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा में कुछ ज्यादा ही नजदीकी देखी गई। यहाँ तक कि होर्डिंग और पोस्टरों में भी नरोत्तम मिश्रा का चेहरा छाया था! जबकि, न तो उनका तेंदूपत्ता संग्राहकों से सीधा वास्ता है और वे वन विभाग के मंत्री हैं। कहा तो यहाँ तक जा रहा कि कहीं नरोत्तम मिश्रा को अगले फेरबदल में आदिवासियों से जुड़ा कोई विभाग तो नहीं सौंपा जा रहा।
इसे महज संयोग नहीं कहा जा सकता कि अमित शाह के कार्यक्रमों में नरोत्तम मिश्रा को इतनी तवज्जो मिली। ये या तो पार्टी की केंद्रीय समिति की तरफ से कोई इशारा है, जिसमें कोई संदेश छुपा है। अमूमन ऐसा होता नहीं है। जिस विभाग का कार्यक्रम होता है, झंडा उसी विभाग के मंत्री के हाथ में होता है, पर आज ऐसा नहीं दिखा! पार्टी के लोगों, माहौल को समझने वालों और मीडिया ने जो समझा वो अनुमानों से अलग था। अमित शाह के साथ कई पोस्टरों और विज्ञापनों में मुख्यमंत्री नदारद दिखे और वहां नरोत्तम मिश्रा का चेहरा था। इसके अलावा भी मंच पर कुर्ता खींचने की एक ऐसी घटना हुई, जो अप्रत्याशित ही कही जाएगी। जिन्होंने उस पर गौर किया वे जरूर समझे होंगे कि उसके पीछे का इशारा क्या है!
अमित शाह ने पार्टी पदाधिकारियों और मंत्रियों के साथ भी अलग-अलग बैठक करके उन्हें चुनाव जीतने के नए फॉर्मूले बताए। इसलिए कि पार्टी के चाणक्य अब चुनाव लड़ने के पुराने तरीकों को बदलना चाहते हैं। उन्होंने संगठन और सत्ता दोनों को कुछ ऐसी बातें बताई, जिसका अगले विधानसभा चुनाव पर सीधा असर पड़ेगा। अमित शाह चाहते हैं कि सरकार के जनहित के कामकाज को पार्टी के ग्रामीण कार्यकर्ताओं तक पहुंचाए, ताकि वे जमीनी स्तर तक उसे पहुंचा सके। इसके अलावा बूथ लेबल पर पार्टी की रणनीति क्या हो, बूथ डिजिटलाइजेशन और ऐसी बहुत सी बातों पर फोकस किया गया जिसका सीधा वास्ता अगले विधानसभा और लोकसभा चुनाव से है।
जहां तक आदिवासियों पर पार्टी की रणनीति को फोकस करने का मसला है, तो वो अमित शाह के कार्यक्रम में साफ़ नजर आया। भाषणों में गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री के कामकाज की तारीफ की और राजस्व ग्राम वाले प्रयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश में ऐसा पहली बार किसी राज्य सरकार ने आदिवासियों को जंगल का मालिक बनाया। अमित शाह और शिवराज सिंह ने वन समितियों के सम्मेलन में हितग्राहियों को तेंदूपत्ता लाभांश का वितरित किया। भोपाल में आज जो हुआ और जो वादे किए गए, वो सब एक निर्धारित चुनाव रणनीति के तहत हुआ।
इसकी शुरुआत छह महीने पहले इसी जंबूरी मैदान पर नरेंद्र मोदी ने जनजातीय सम्मेलन में शामिल होकर की थी। जैसा कि सोचा गया था आदिवासियों के कुछ घोषणाएं भी की गई। तेंदूपत्ता तुड़ाई के अभी तक सौ गद्दी के 250 रुपए दिए जाते थे, अब उसमें 50 रुपए की बढ़ोतरी की गई। मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में कहा कि ये जल, जमीन, जंगल सब आपके हैं। सरकार ने जंगल आपको सौंप दिए, वन विभाग सहयोग करेगा। जंगल की लकड़ी जितने में बिकेगी, उसका 20% हिस्सा आदिवासियों को मिलेगा।
अमित शाह के करीब दस घंटे के इस भोपाल दौरे का सरकार और संगठन पर क्या प्रभाव पड़ेगा, अभी इसके स्पष्ट कयास लगाना आसान नहीं है। क्योंकि, इस दौरे से कई ऐसे संकेत मिले हैं, जिनके दूरगामी नतीजे सामने आ सकते हैं। लेकिन, ये दौरा मिशन 2023 और 2024 के लिए कई मामलों में महत्वपूर्ण है। चुनाव रणनीति के साथ ही पार्टी किन मुद्दों को आगे रखकर चुनाव लड़े, ये ज्यादा जरुरी है। परंतु, चुनाव की कमान किसके हाथ में होगी, पार्टी का अगला चेहरा कौन होगा यह सब बातें अभी भविष्य के गर्भ में है।
चर्चा में रहा पोस्टर
कुछ दिनों से विधायक रामेश्वर शर्मा अपने पोस्टरों और बयानों को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। अमित शाह के स्वागत में भी उन्होंने एक दिलचस्प पोस्टर लगाया, जो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुआ। रामेश्वर शर्मा ने इसमें अमित शाह की तुलना शेर से की। जिसमें लिखा था ‘भारत माता का लाल ,शेर आ रहा है भोपाल!’ लेकिन, आज ये बात भी चर्चा में रही कि विधायक को इस पोस्टर को लेकर पार्टी के किसी बड़े पदाधिकारी से लताड़ भी पड़ी! सच्चाई क्या है ये तो सामने नहीं आया, पर रामेश्वर शर्मा किसी कार्यक्रम में नजर नहीं आए!