उच्च शिक्षा के नाम पर पाकिस्तान जाने पर रोक, स्कैम उजागर

डॉ प्रकाश हिंदुस्तानी की विशेष रिपोर्ट

मुझे तो यह बात मालूम नहीं थी क्या आपको मालूम था कि भारत से उच्च शिक्षा के लिए भी सैकड़ों विद्यार्थी पाकिस्तान जाते हैं, जबकि विश्वभर के 164 देशों के विदेशी छात्र भारत में आकर पढ़ते हैं। अमेरिका, यमन, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान,  बांग्लादेश, सूडान, नाइजीरिया आदि  के छात्र यहाँ आकर पढ़ते हैं।

इन छात्रों में यहाँ  के बी-टेक,  बीबीए,  बीएससी, बीए, बी-फार्मा, बीसीए, एमबीबीएस, नर्सिंग और बीडीएस  के कोर्स लोकप्रिय हैं। सबसे ज्यादा विदेशी छात्र कर्नाटक में पढ़ाई कर रहे हैं।  फिर महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु,  हरियाणा, दिल्ली और तेलंगाना का नंबर आता है।

पाकिस्तान जाकर वे सीखते क्या हैं? पंचर बनाना सीखते हैं या बम बनाना?

अब पता चला है कि यह तमाम विद्यार्थी कश्मीर के होते थे और पाकिस्तान में इन लोगों को उच्च शिक्षा के नाम पर वजीफा मिलता है। उन्हें क्या-क्या सिखाया जाता था यह तो पूरी दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में पंचर बनाने के अलावा और कौन-कौन से धंधे जोर शोर से चलते हैं?

शुक्रवार को University Grants Commission (UGC) and All India Council for Technical Education (AICTE) ने बाकायदा एक एडवाइजरी  जारी की और कहा कि भैया, अब ‘उच्च शिक्षा’  के लिए पाकिस्तान जाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि अगर आप पाकिस्तान गए तो आपको भारत में न तो नौकरी करने दी जाएगी और न ही धंधा करने दिया जाएगा।

अधिसूचना में भारतीय नागरिकों और विदेश में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को यह ताकीद दी गई कि वे उच्च डिग्री के लिए पाकिस्तान ना जाएं।  अगर उन्होंने पाकिस्तान की कोई ऐसी डिग्री ली हुई है और वह भारत के नागरिक बन गए हैं, तब  भी  विभागीय मंजूरी के बाद ही  डिग्री को मान्यता मिलेगी।

AICTE के प्रमुख अनिल सहस्रबुद्धे ने साफ कहा है कि अपनी गाढ़ी  खून-पसीने की कमाई ऐसी वाहियात जगह पर जाकर खर्च करने की जरूरत नहीं है।  ऐसी  डिग्री की  भारत में कोई उपयोगिता नहीं है।

अगर आप ऐसी डिग्री लेकर आए हैं और परिस्थितियों के कारण वर्ष भारत की नागरिकता भी मिल गई तो भी आपको यहां की एक परीक्षा पास करनी ही पड़ेगी।

ऐसी ही सलाह यूजीसी के चेयरमैन जगदीश कुमार  ने दी है।  उन्होंने  साफ-साफ यह भी कहा  है कि इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा भी है।

दरअसल कश्मीर में हुर्रियत कान्फ्रेंस नामक गिरोह का नेता सैयद शाह गिलानी थे। वे  पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन का रैकेट चलाते  थे।

पता चला है कि पाकिस्तान के कुछ मेडिकल कॉलेजों में पिछले दो दशक से कश्मीर के विद्यार्थियों के लिए कोटा आरक्षित था और गिलानी जम्मू कश्मीर के विद्यार्थियों को वहां के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में एडमिशन के नाम पर वसूली कर रहा था।

जम्मू-कश्मीर के जो विद्यार्थी जो डॉक्टर बनना चाहते हैं और जिनके अभिभावक हर साल 10 से 12 लाख रुपए खर्च करने को तैयार होते थे, वे गिलानी के झांसे में आ जाते थे।

पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने पिछले दिनों भारत के जम्मू कश्मीर राज्य के 1600 विद्यार्थियों के लिए स्कॉलरशिप देने की घोषणा की थी।

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कोरोनावायरस के कारण कोई भी विद्यार्थी पिछले वर्ष पाकिस्तान के इन मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई के लिए नहीं पहुंचा था।

स्कॉलरशिप के नाम पर जिन विद्यार्थियों को भर्ती किया जाता था, वे  वही विद्यार्थी होते थे जिन्हें हुर्रियत कान्फ्रेंस या दूसरे अलगाववादी नेताओं के संगठन सिफारिश करते थे।

जांच एजेंसियों को यह बात पता चली है कि अलगाववादी नेताओं की सिफारिश पर जिन विद्यार्थियों को पाकिस्तान के मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन मिला, उनमें से अनेक विद्यार्थी सुरक्षा बल के अधिकारियों और जवानों के बच्चे भी थे।  जाहिर है अलगाववादियों के प्रति उनका रुख नरम रहता होगा।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।