Jabalpur : मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में OBC के 27% आरक्षण की वैधानिकता को चुनौती देने वाली सभी 61 याचिकाओं की सुनवाई बुधवार 27 अप्रैल को न्यायमूर्ति शील लागू एव मनिन्दर सिंह भट्टी की खंडपीठ के समक्ष अंतिम सुनवाई के लिए नियत है।
मध्यप्रदेश शासन द्वारा अभी तक हाईकोर्ट में कुण्टीफेविल दाखिल नही किए गए, जो कि आरक्षण को साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के परिपालन में आवश्यक है। इसका डाटा पेश करने के बारे में विशेष अधिवक्ताओं द्वारा शासन को कई बार सूचित किया जा चुका है, फिर भी डाटा पेश नहीं किया जा सका है । यदि शासन हाईकोर्ट में इम्पेरिकल/कुण्टीफेविल डाटा प्रस्तुत नहीं किया जाता तो OBC का बढ़ा हुआ 13% आरक्षण निरस्त हो सकता है। शासन की तरफ से नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक शाह पक्ष रखेंगे।
सरकार ने पिछली सुनवाई में OBC आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27% आरक्षण किए जाने का आधार बताने के लिए सरकार ने हाईकोर्ट से एक महीने की मोहलत मांगी है। सरकार की और से जस्टिस एमएस भट्टी और जस्टिस शील नागू की डबल बेंच में कहा गया कि वह OBC को लेकर कुछ महत्वपूर्ण डाटा पेश करना चाहती है। ये डाटा पिछड़ा वर्ग आयोग ने तैयार किया है। OBC आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में 61 याचिकाएं दायर हैं। सभी पर एक साथ सुनवाई चल रही है।
रिपोर्ट पेश करने की मोहलत मांगी
पिछली सुनवाई में सरकार की तरफ से बताया गया था कि प्रदेश में OBC की जनसंख्या 2011 की जनगणना के आधार पर 50% से अधिक है। इस वर्ग की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सहित कई बिंदुओं पर विस्तृत डाटा तैयार करने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने हर जिले में जाकर OBC काे लेकर विस्तृत डाटा तैयार किया है, इस डाटा को पेश करने के लिए हमें मोहलत चाहिए। कोर्ट ने सरकार की मांग स्वीकार करते हुए 27 अप्रैल को डाटा पेश करने को कहा था।
61 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई
MP में ओबीसी वर्ग को 27% आरक्षण देने के खिलाफ हाईकोर्ट में 61 याचिकाएं दायर हैं। इस पर लंबे समय से सुनवाई चल रही है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से दायर की गई SLP पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को आदेश दिया था कि OBC आरक्षण संबंधित सभी याचिकाओं पर जल्द से जल्द सुनवाई कर फैसला तय करे।
2019 से लंबित है ये मामला
2018 में कमलनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार ने 2019 में कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर राज्य में OBC का आरक्षण 14% से बढ़ाकर 27% करने का फैसला किया था। बाद में राज्य विधानसभा ने भी इसे मंजूरी भी दे दी थी। मामला आगे बढ़ता, उससे पहले ही मप्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा में बैठने वाले छात्रों ने फैसले को हाईकोर्ट में 50% से अधिक आरक्षण को लेकर इंदिरा साहनी केस का हवाला देते हुए चुनौती दी। इस पर कोर्ट ने स्टे दे दिया। तब से ही मामला न्यायालय में विचाराधीन है। कोर्ट ने फिलहाल 14% ही OBC आरक्षण को बरकरार रखा है।