कौशल किशोर चतुर्वेदी की खास खबर
मध्यप्रदेश और भोपाल की बेटी जागृति अवस्थी ने यूपीएससी में सेकंड रैंक हासिल कर प्रदेश के साढे़ आठ करोड़ नागरिकों को गौरवान्वित किया है। देश में समग्र रूप से दूसरी रैंक और महिला अभ्यर्थियों में पहली रैंक हासिल करने वाली जागृति प्रदेश की पहली अभ्यर्थी हैं। ऐसे में प्रतिभाशाली बच्चों के लिए वह यूथ आईकॉन बन चुकी हैं। जागृति का मानना है कि लक्ष्य पाने के लिए कम से कम दो साल की कड़ी मेहनत, एकाग्रता और खुद पर भरोसा बहुत जरूरी है। हमने जागृति से की खास बातचीत।
– जीवन में आईएएस बनने का सपना कब संजोया था और सफलता पाने के लिए किस तरह तैयारी की।
– आईएएस बनने का सपना कहीं न कहीं मैंने बचपन से ही देखा था। मेनिट से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद बीएचईएल में नौकरी की। लेकिन मन नहीं लगा और नौकरी छोड़कर वर्ष 2019 से सिविल सर्विसेज की तैयारी में गंभीरता के साथ जुट गई।
– यूपीएससी में यह सफलता कितने प्रयासों में मिली और सफलता की सूचना सबसे पहले किससे मिली…कैसी प्रतिक्रिया रही?
– यूपीएससी में यह सफलता मुझे दूसरे प्रयास में मिली। रिजल्ट का मुझे बेसब्री से इंतजार था और मैंने खुद ही रिजल्ट देखा। अनुकूल परिणाम मिलने की उम्मीद थी, लेकिन बेहतर रैंक मिलना और ज्यादा सुखद रहा।
– आईएएस बनकर क्या प्राथमिकताएं तय की हैं, जिन कामों को पूरा करना है?
– मेरा मन है कि ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कुछ काम करूं। ताकि गरीबों के लिए कुछ बेहतर काम किया जा सके। समाज के अलग-अलग वर्गों से सीधे जुड़ने का अवसर इस सर्विस में मिलता है। इससे बेहतर काम करने के अवसर भी मिलते हैं।
– कभी कहा जाता है कि तंत्र यानि सिस्टम सड़ गल गया है। राजनेताओं के दबाव में ब्यूरोक्रेट्स को काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। क्या लगता है कि सोच और सिस्टम को बदलने की जरूरत है?
– सिस्टम में समय के साथ बदलाव आ रहा है। तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। पारदर्शिता बढ़ रही है। मेरी सोच यही है कि पॉलिटिकल आइडियोलॉजी के प्रेशर में काम नहीं करना पड़े बल्कि संविधान के अनुरूप समाज हित में बेहतर काम कर सकूं।
– सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगे?
– सफलता का श्रेय माता-पिता, शिक्षकों, परिवार और दोस्तों को है। खास तौर से मेरे पिता डॉ. सुरेश चंद्र अवस्थी और माता श्रीमती मधुलता अवस्थी को।
– यूपीएससी में सफलता पाने के इच्छुक अभ्यर्थियों के लिए क्या संदेश है?
– यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए पढ़ाई के घंटे तय करना मुश्किल है। इतना बड़ा एग्जाम है कि कम से कम दो साल तक 8-10 घंटे पढ़ाई जरूरी है। मैंने सोशियोलॉजी से एग्जाम में सफलता पाई है। इसके लिए समाज से दूरी बनानी पड़ी। मेरे घर में पढ़ाई-लिखाई का माहौल था। भाई मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। अभ्यर्थियों को यही संदेश है कि खुद पर भरोसा रखो और एकाग्रता के साथ मेहनत करो, फिर सफलता तो मिलती ही है।
– यूपीएससी में मध्यप्रदेश से सबसे बेहतर रैंक हासिल करने का रिकार्ड आपने बनाया है। क्या मध्यप्रदेश में नौकरी करने को प्राथमिकता दी है?
– शायद मध्यप्रदेश में अब तक सबसे बेहतर रैंक मैंने ही हासिल की है। मैंने मध्यप्रदेश कैडर को प्राथमिकता दी है। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश को प्राथमिकता दी है। उम्मीद है कि मध्यप्रदेश कैडर मिलेगा। जहां भी मौका मिलेगा, बेहतर काम करूंगी।