Indore : प्रिंसेस बिज़नेस स्काय पार्क की आर्ट पैसेज गैलरी में पत्रकार, चित्रकार और कवि रवीन्द्र व्यास के चित्रों की प्रदर्शनी लगी हैं। इसमें उनके 26 चित्र और 10 कविताएं प्रदर्शित की गई हैं। मर्म कला अनुष्ठान और अंकित प्रस्तुत इस प्रदर्शनी में रवीन्द्र व्यास के जलरंग, एक्रिलिक और ऑइल में बनाए गए चित्रों को शामिल किया गया है। यह प्रदर्शनी 31 मई तक सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक देखी जा सकती है।
इन चित्रों को देखकर सहज कहा जा सकता है कि ये चित्र प्रकृति की विभिन्न छटाओं के सुंदर और कल्पनाशील चित्र हैं। इन चित्रों में उन्होंने बहुधा हरे रंगों को अलग अलग टोन में इस्तेमाल करते हुए प्रकृति के सुंदर रूपों को रूपायित किया है। ये मोहक भी हैं और एक सुकून देते हैं। एक तरफ ये चित्र प्रकृति के निहायत ही खूबसूरत रूपों को रचते हैं, दूसरी तरफ इन चित्रों में प्रकृति की सिम्फनी को भी महसूस किया जा सकता है।
प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर रवीन्द्र व्यास ने कहा कि जब मैंने अपनी एकल प्रदर्शनी की योजना बनाई थी, तब ख्यात कवि चंद्रकांत देवताले ने वादा किया था कि वे इसका उद्घाटन करेंगे और अपनी कविताओं का पाठ भी करेंगे। लेकिन, उनका निधन हो गया और मेरी यह इच्छा अधूरी रह गई। मैं अपनी यह चित्र प्रदर्शनी उनकी स्मृति को समर्पित करता हूं। उद्घाटन के मौके पर शहर के तमाम युवा-वरिष्ठ चित्रकार, साहित्यकार, क्रिएटिव फोटोग्राफर्स, कला और संगीत मर्मज्ञ मौजूद थे।
यह चित्र प्रदर्शनी बहुत ही सुंदरता और कल्पनाशीलता से यह बताती है कि चित्रकार ने सिर्फ प्रकृति के हसीन नज़ारों की ही संवेदनशीलता से नहीं रचा है बल्कि प्रकृति में गूंजती शांति और लय को रचने की कोशिश की है। उनके चित्रों में प्रकृति अपने तमाम रूपों और रंग-छटाओं के साथ मौजूद हैं। इसमें एक तरफ पहाड़ों का मौन अभिव्यक्त होता है तो नदियों और झरनों की कलकल करती ध्वनियों को सुना जा सकता है। कहीं कोहरे में प्रकृति का सुंदर मुखड़ा झांकता दिखाई देता है तो कहीं पड़ों के झुरमुट में बहती नदियों को देखा-महसूस किया जा सकता है। इसमें हरियाली है, वसंत के रंग हैं और प्रकृति के नाना रूप हैं।
चंद्रकांत देवताले की कविता की पंक्ति है ‘वसंत मेरी पृथ्वी की आंख है, जिससे वह सपने देखती है।’ इस चित्र प्रदर्शनी में शामिल खूबसूरत चित्र यही बताते हैं कि चित्रकार ने अपनी तरह से पृथ्वी को देखा यही सपना चरितार्थ करने की कोशिश की है। इन चित्रों को देखकर हरापन एक आत्मिक सुख और राहत देता है। ये चित्र खुशनुमा हैं, खूबसूरत हैं और प्रकृति के ख्वाब हैं। दर्शकों ने इन चित्रों को उदार मन से सराहा और कविताओं ने भी उनके मन का स्पर्श किया। इस प्रदर्शनी का संयोजन और परिकल्पना चित्रकार पंकज अग्रवाल और राजेश शर्मा की है। युवा चित्रकार राहुल सोलंकी और समीधा पालीवाल ने इसे बहुत ही कल्पनाशीलता से साकार किया है। स्वागत इतिहासकार राजेंद्र सिंह ने किया और संचालन चित्रकार राजेश शर्मा ने किया।