चुनाव की तैयारी संग सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निगाहें…

914
Long Live-in
मध्यप्रदेश में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियां भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने शुरू कर दी हैं। पर पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का मुद्दा भी दोनों दलों के दिल में बसा है। सुप्रीम कोर्ट में मॉडिफिकेशन के फैसले पर दोनों दलों की निगाहें भी हैं, तो हर फैसले का सम्मान करने की मंशा भी साफ है। क्योंकि दोनों ही दल पिछड़ा वर्ग को कम से कम 27 फीसदी टिकट देने की घोषणा पूरे मन से कर यह जता चुके हैं कि फैसले का सम्मान जरूरी और मजबूरी भी है, लेकिन प्रतिबद्धता पिछड़ा वर्ग के प्रति ही है।
पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनावों को लेकर भारतीय जनता पार्टी की तैयारियां चालू हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष साफ कर चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का सम्मान करते हुए पार्टी के कार्यकर्ता पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे और जीतकर इतिहास बनाएंगे। न्यायालय के निर्णय का पूरा सम्मान करते हुए पार्टी पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी से ज्यादा टिकट देकर अपनी प्रतिबद्धता खुलकर जाहिर करेगी। भरोसा यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की सरकारों ने अपनी विकास और जनहित की योजनाओं से गरीबों का जीवन बदलने का काम किया है, यही भरोसा इतिहास बनाने में तब्दील होगा। पार्टी केंद्र व राज्य सरकारों के कामों को लेकर जनता के बीच जाएगी और अपने मजबूत संगठन के आधार पर चुनाव लड़ेगी।
तो कांग्रेस का दावा है कि नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में कांग्रेस सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के नेतृत्व में पूरी रणनीति तैयार हो गई है। नाथ के नेतृत्व में कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव एवं पंचायत चुनाव में मजबूती के साथ तैयारी में जुट गई है। नगरीय निकाय चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन और अच्छे परिणाम आये इसकी जिम्मेदारी जिला अध्यक्षों एवं स्थानीय नेताओं को सौंपी गई है। प्रत्याशी चयन के लिए समिति का गठन किया गया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने नगर पालिका निगम, नगर पालिका तथा नगर परिषद के चुनाव को लेकर निर्देश जारी किये हैं। नाथ के निर्देशानुसार प्रत्येक नगर पालिक निगमों,नगर पालिका, नगर परिषद में 27 प्रतिशत ओ.बी.सी. नागरिकों को टिकट दिया जाना है।
कुल मिलाकर स्थितियां साफ हैं कि मध्यप्रदेश की पंचायत और नगरीय निकायों में चुने हुए प्रतिनिधियों का राज लौटेगा, तो अफसरशाही और जनप्रतिनिधियों के बीच शक्ति संतुलन बनेगा। और जनता हक के साथ अपने कामों को लेकर जनप्रतिनिधियों के सामने अपना पक्ष रख पाएगी। वहीं 2023 विधानसभा चुनाव का माहौल भी बन जाएगा। चुने हुए जनप्रतिनिधि अपने संगठन को सम्मान की निगाह से देखें या चुनाव में देरी करने के लिए मन ही मन आक्रोशित भी रहें, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का सम्मान मन से जरूर करेंगे।