Ratlam News: Narad जी की तरह बिना किसी से प्रभावित हुए संवाद करने वाला हो हर पत्रकार

रतलाम प्रेस क्लब के समारोह में PSC चेयरमैन राजेशलाल मेहरा

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Narad

Ratlam News: Narad जी की तरह बिना किसी से प्रभावित हुए संवाद करने वाला हो हर पत्रकार

रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

रतलाम: अगर कोई अपने सिद्धांतों के लिए शापित होना भी स्वीकार कर लोक कल्याण की बात कर सकता है, तो वह नारद (Narad) हैं।

साहित्य और समाज में जिस प्रकार व्यासजी की देन है वैसी ही लोक कल्याण वाली पत्रकारिता और संवाद स्थापित करने के मामले में महर्षि नारद (Narad) की देन है।

एक-दो अपवाद को छोड़ दें तो उन्होंने कभी क्रोध नही किया, कभी उनमें झुंझलाट नहीं देखी, हमेशा धैर्य ही दिखा।

नारद जी (Narad) बिना किसी से प्रभावित हुए संवाद करने में पारंगत थे। कौन सी बात कब, किससे कहनी है यह उन्हें पता था। हर पत्रकार को नारद जी (Narad) की ही तरह संवेदनशील और संवाद करने वाला होना चाहिए।

यह विचार मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के चेयरमैन राजेश लाल मेहरा ने व्यक्त किए। श्री मेहरा ‘विश्व संवाद केंद्र मालवा प्रांत’के बैनर तले आयोजित महर्षि नारद जयंती महोत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे।

रतलाम प्रेस क्लब भवन पर आयोजित महोत्सव की अध्यक्षता रतलाम प्रेस क्लब के अध्यक्ष मुकेश पुरी गोस्वामी ने की।विशेष रूप से डॉ. प्रकाश उपाध्याय मौजूद रहे।

डॉ. मेहरा ने कहा कि-नारद जी को हर बात सबसे पहले पता चल जाती थी क्योंकि वे भगवान के मन थे। पत्रकार को भी ऐसा ही होता है। उसे भी हर बात सब से पहले पता चल जाती है।

पत्रकार के पैरों के छालों से ही लोकतंत्र मजबूत और सुंदर होता है।यानी पत्रकार जितना भटकेगा और संवाद करेगा उतना ही कम समाज को भटकना पड़ेगा।

जो सुर-असुर, देव-दान-मानव से खुलकर संवाद कर ले वही नारद है, सच्चा पत्रकार है।

पत्रकारिता और चुनौतियां तो साथ-साथ हैं

पीएससी चेयरमैन प्रो.मेहरा ने पत्रकारिता की चुनौतियों के उदाहरण भी दिए।उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के वक्त पं. जुगल किशोर शुक्ला ने ‘उदन्त मार्तंड’ नाम से हिंदी का पहला अखबार प्रकाशित किया था।

संयोग यह कि जिस दिन इसका पहला अंक प्रकाशित हुआ उस नारद जयंती थी और मंगलवार था।आज भी नारद जयंती है और मंगलवार है। तब अखबार निकलाना और विचारों के संप्रेषण के मामले में अंग्रेजी हुकूमत द्वारा काफी क्रूरता की जाती थी।

उदाहरण ‘स्वराज’ समाचार अखबार में संपादक की नियुक्ति के लिए छपा एक विज्ञापन है।इसमें लिखा था संपादक चाहिए।

संपादन करने के एवज में मेहनताने के रूप में एक गिलास ठंडा पानी, बैठने के लिए एक कुर्सी और एक संपादकीय प्रकाशित होने पर 10 साल की जेल मिलेगी। जिसके यहां पयाम-ए-आजादी की कतरन भी मिल जाए तो उसके मुंह में गोमांस ठूंस दिया जाता था।

तब विचारों को संप्रेषित करने का काम पत्रकारों ने ही किया था। बड़े-बड़े साहित्यकार भी अखबारों से ही निकले हैं।

रतलाम से है गहरा नाता, यहीं से मिला था यह मुकाम

प्रो. मेहरा ने अपने उद्बोधन में कहा कि रतलाम ऐसा शहर है जो परायों को भी अपना बना लेता है।डॉ.मेहरा के अनुसार वे 1986-87 में वे बीएससी तृतीय वर्ष के विद्यार्थी थे और देवास में पढ़ते थे।

तब रतलाम में होने वाली एक वाद-विवाद प्रतियोगिता काफी महत्वपूर्ण मानी जाती थी।

उन्होंने भी उस प्रतियोगिता में भाग लिया था।

उन्होंने रतलाम की कालिका माता, मेहंदी कुई बालाजी, ऊंकाला के खड़े गणेशजी और बरबड़ हनुमान जी साथ ही यहां की लोक दीर्घा और लोक संस्कृति तो भी प्रणाम किया।

उन्होंने कहा रतलाम की पहचान सिर्फ सेव, सोना और साड़ी से ही नहीं है। यदि मालवा की मौलिक तासीर देखना हो तो रतलाम अवश्य आएं।

महर्षि नारद के संचार दर्शन के अनुसार होगी रतलाम की लोक कल्याणकारी पत्रकारिता- मुकेशपुरी गोस्वामी

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए रतलाम प्रेस क्लब के नव निर्वाचित अध्यक्ष मुकेश पुरी गोस्वामी ने महर्षि नारदजी के संचार दर्शन की व्याख्या की।

उन्होंने कहा नारद जी सृष्टि के पहले पत्रकार थे।जिस प्रकार उन्होंने अपने संचार दर्शन के माध्यम से लोक कल्याणकारी पत्रकारिता की वैसी ही पत्रकारिता रतलाम में रही है और आगे भी इसे बढ़ाने का प्रयास होगा।

गोस्वामी ने रतलाम की पत्रकारिता के बड़े लोगों द्वारा उनके जैसे छोटी उम्र के व्यक्ति को अध्यक्ष जैसी बड़ी जिम्मेदारी देने को अपना सौभाग्य बताते हुए सभी के प्रति कृतज्ञता भी ज्ञापित की।

रतलाम प्रेस क्लब की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने शाल ओढ़ाकर श्रीफल भेंट किया।

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इससे पूर्व मंचासीन प्रो. मेहरा एवं गोस्वामी का स्वागत साहित्यकार डॉ. प्रकाश उपाध्याय, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला, भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य महेंद्र गादिया, रतलाम प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजेश मूणत एवं सुरेंद्र जैन, पत्रकार सुरेंद्र छाजेड़, तुषार कोठारी, वैदेही कोठारी, विजय मीणा, राकेश पोरवाल, किशोर जोशी, राजेंद्र केलवा, हिमांशु जोशी, दिलजीत सिंह मान सहित अन्य ने किया।

प्रारंभ में मंचासीन अतिथियों ने महर्षि नारद जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित किया।मंचासीन अतिथियों का परिचय डॉ. रत्न दीप निगम ने दिया।

संचालन तथा आभार

कार्यक्रम का संचालन अदिति मिश्रा ने तथा आभार नीरज कुमार शुक्ला ने माना।

ये रहे मौजूद

सुरेंद्र छाजेड़, अजयकांत शुक्ला, अरविंद पुरोहित, डॉ. मुनीन्द्र दुबे, विवेक जायसवाल, सुरेंद्र सिंह भामरा, संस्कार कोठारी, पंकज भाटी सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन मौजूद रहे।