मध्यप्रदेश में “डाटर्स ” के नाम रहा मंगलवार …जब मामा शिवराज ने भांजियों को दिया भरपूर सम्मान और प्यार…

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कौशल किशोर चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट

भोपाल: दुनिया “डाटर्स डे” भले ही सितंबर के चौथे रविवार को मनाती हो लेकिन मध्यप्रदेश में सरकार ने “डाटर्स डे” भरपूर उत्साह के साथ सितंबर के चौथे मंगलवार को मनाया। जब ओलंपिक हॉकी मेंं भारत को गौरवान्वित करने से एक कदम चूककर मैदान पर ही रो-रो कर सुबकने वाली महिला हॉकी की प्रतिभाशाली बेटियों को मामा शिवराज सिंह चौहान ने न केवल भरपूर सम्मान और प्यार दिया बल्कि व्यस्तता भरे क्षणों से समय चुराकर बेटियों का दिल खोलकर स्वागत-सत्कार भी किया। टोक्यो ओलंपिक में उनके खेल की जी खोलकर सराहना भी की और भरोसा भी जताया कि प्रतिभाशाली बेटियां अगले ओलंपिक में गोल्ड मेडल भी जीतेंगी। उदारता, विनम्रता, सहजता और सरल ह्रदय से मामा ने भांजियों की तारीफ में कहा कि इन बेटियों ने देश के लोगों का दिल जीत लिया। देश के दिल मध्यप्रदेश में इन्हें सम्मानित कर हम अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हैं।

मंगलवार का दिन मुख्यमंत्री ने इन बेटियों के लिए ही रिजर्व रखा था। बाकी कामों के लिए समय जरूर निकाला लेकिन अपनी बेटियों को भरपूर समय देने के बाद ही। दोपहर में अपने निवास पर बेटियों के साथ भोजन भी किया। उनकी बहादुरी और कौशल के साथ खेल प्रदर्शन की खुलकर प्रशंसा भी की। वैसे तो मामा ने भांजियों के साथ अपनी भावनाओं को उसी दिन साझा किया था और सम्मानित करने का फैसला सुना दिया था, जिस दिन देश की सवा सौ करोड़ से ज्यादा आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहीं यह गोल्डन इलेवन टीम की गौरव बनी बेटियों की आंखों से मोती झर-झर बहकर टोक्यो ओलंपिक के मैदान को तर कर रहे थे। लेकिन वह दिन सितंबर का चौथा मंगलवार ही बना, जब इन बेटियों पर करीब साढे़ आठ करोड़ की आबादी वाले ह्रदय प्रदेश ने अपना दिल खोलकर ही रख दिया।

और इस सम्मान-प्यार की वास्तविक हकदार बेटियां सुश्री रानी रामपाल कप्तान, सविता उप कप्तान, दीप ग्रस एक्का उप कप्तान, वंदना कटारिया, पी. सुशीला चानू, नवजोत कौर, नमिता टोप्पो, मोनिका, निक्की प्रधान, गुरजीत कौर, ई. रजनी, नवनीत कौर, नेहा, लालरेमसियामी, रीना खोखर, उदिता, सलीमा टेटे, शर्मिला देवी और निशा ने मामा के साथ भोजन भी किया, पौधा भी रोपा और मंच भी साझा किया। इन खिलाड़ियों में वंदना कटारिया और ई. रजनी मध्यप्रदेश राज्य महिला अकादमी के एसोसिएट मेम्बर रही हैं। इन दोनों ने राष्ट्रीय स्पर्धा में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व भी किया है। तो रीना खोखर, मोनिका और पी. सुशीला चानू मध्यप्रदेश राज्य महिला हॉकी अकादमी से ट्रेनिंग ले चुकी हैं।

बेटियां मामा से प्यार और सम्मान पाकर भावविह्वल हुईं और दिल से धन्यवाद कहे बिना नहीं रह पाईं। भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी सुश्री नवजोत कौर और सविता ने कहा कि यह हर किसी को पता है कि सीएम सर बेटियों को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए उनके साथ हैं। खेल के प्रति मुख्यमंत्री जी का विशेष लगाव है। मध्यप्रदेश के जितने भी स्पोर्ट्सपर्सन हैं वह बहुत लकी हैं। मैं महिला हॉकी टीम की तरफ़ से मामाजी को धन्यवाद देती हूँ।भारतीय महिला हॉकी टीम की कमान संभाल रही सुश्री रानीराम पाल ने कहा कि यह बाकी स्टेट के लिए यह बहुत बड़ा मैसेज है। मुख्यमंत्री शिवराज के बेटियों के प्रति प्यार की सराहना करते हुए रानी ने कहा कि अगर हर राज्य में इस तरह के मुख्यमंत्री होंगे तो लड़कियां स्पोर्ट्स में बड़ी संख्या में आ सकती हैं।

तो मामा शिवराज भी बेटियों के प्रति अपने प्यार और कर्तव्य पूर्ति की पूरी कहानी रानी को सुनाए बिना नहीं रह पाए। उन्होंने कहा कि बेटा-बेटी में भेदभाव दूर होना चाहिए। मैं सोचता था कि कुछ ऐसा हो कि बेटा-बेटी बराबर रहें। 2005 में जब मैं मुख्यमंत्री बना तब मैंने लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई। हमने तय किया बेटी मध्यप्रदेश में लखपति पैदा होगी। बेटी जैसे ही पैदा होगी मैं उसके अकाउंट पैसे डालूंगा, फिर इसे पढ़ाई से जोड़ दिया। फिर मुझे लगा शादी में बेटी की दिक्कत है तो उसकी भी व्यवस्था की। मैंने मप्र में यह तय कर दिया कि बेटा-बेटी के पैदा होने से पहले ही, गर्भवती बहन को 4000 रुपए ताकि वो ढंग से खाना खा सके, और जन्म लेने के बाद 12000 रुपए हम दें। फिर बेटी स्कूल जाये, तो किताबें, स्कूल दूर है तो साइकिल, स्कूल ड्रेस, स्कॉलरशिप देने गांव की बेटी योजना बनाई।

मैंने दिल से सभी बेटियों को योजनाओं से जोड़ दिया, मेरे दिल में यह बात थी कि यह भेद नहीं होना चाहिए कि बेटा कुलदीपक है, और बेटियां बोझ। मेरा दिल से बेटियों से लगाव है, उनके कल्याण के लिए कई स्कीम बनाते चला गया। जब मैनें देखा कि ह़ॉकी की बेटियां परेशानी में हैं तो मैंने तुरंत मदद की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा, अब स्थिति बदल रही है बेटा बुढ़ापे में आपकी सेवा करेगा या नहीं इस बात की मैं गारंटी नहीं दे सकता। लेकिन, बेटी जब तक जिंदा रहेगी उसकी हर सांस मां बाप के लिए चलेगी। बेटियों के बिना दुनिया नहीं चल सकती। देश भी तब तक आगे नहीं बढ़ सकता जब तक बेटा-बेटी के बीच का फर्क खत्म नहीं होगा।

तो मामा ने हॉकी में सुनहरे भविष्य के लिए भी मध्यप्रदेश में वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मुहैया कराने का संकल्प भी करने में देर नहीं की। मामा बोले कि खेल के लिए मां-बाप पहले डांटते थे कि कहां जिंदगी बर्बाद कर रहे हो, लेकिन बेटियों तुमने ऐसा मान बढ़ाया कि अब हर मां बाप चाहता है कि बच्चा खेलें। खुशी जताते हुए मामा ने कहा कि, अभी हम टैलेंट सर्च के माध्यम से बच्चों को खोज रहे थे तो, मध्यप्रदेश में हजारों बच्चे आ गए। हम खेलेंगे, और मां बाप भी कहने लगे, मामा ले जाओ खिलाओ। खेल के प्रति दृष्टिकोण बदल गया है।

बेटियों ने जहां टोक्यो ओलंपिक में पदक न जीतकर देश-दुनिया में परचम फहरा दिया था, तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री और बेटियों के मामा शिवराज ने भी मंगलवार को यह जता दिया कि बेटियां ही असल पूंजी हैं, जो घर को भी खुशियों से भर सकती हैं और देश-दुनिया में भी। मध्यप्रदेश के इस “डाटर्स डे” पर सभी माता-पिता गर्व कर सकते हैं, जिनके घर में बेटी है तो वह भी जिनके घर को बहू के रूप में बेटियां रोशन कर रही हैं। शुक्रिया हॉकी की प्रतिभाशाली बेटियां और शुक्रिया शिवराज, जो मध्यप्रदेश के चौथे मंगलवार को यादगार बना दिया।