छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट
छतरपुर: सेवा और सेवक का भाव मालिक को न सिर्फ प्रभावित करता है बल्कि जब सेवा निष्ठा और लगन से की जाए तो मालिक भी अपना धर्म निभाने से कतई संकोच नहीं करता।
ऐसे ही एक सेवक आदिवासी की बिटिया की शादी में भदौरिया परिवार के पेशे से इंजीनियर और डाक्टर भाईयों ने पारिवारिक सदस्यों का धर्म निभाया है।
दोनों भाईयों के पिता ने कन्यादान तो किया ही एक पिता की तरह अन्य रस्में भी निभाकर समाज में अनूठी मिसाल पेश की है।
पन्ना जिले के अमानगंज क्षेत्र के सुदूर ग्राम महुआडांणा में रहने वाले गुठालु आदिवासी और अम्मी आदिवासी की 8वें नंबर की संतान रश्मि (सीता) का विवाह छतरपुर मुख्यालय से 40 किमी दूर गुलगंज के पास पिपरिया गाँव के मोहन सिंह राजगौड़ के बेटे के साथ सम्पन्न हुई।
बिटिया रश्मि उर्फ सीता कुछ वर्षों से छतरपुर शहर के हृदय रोग विशेषज्ञ एवं केन मेडिकल सेंटर के संचालक डॉ. शैलेन्द्र भदौरिया के दिल्ली स्थित निवास में उनके बच्चे की देखभाल करती थी।
गुठालु का परिवार मजदूरी करके ही अपने परिवार का पेट पालता है। 10 बच्चों का परिवार पालना इतना आसान भी नही था लिहाजा उनकी बेटी रश्मि हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र भदौरिया के बच्चों की देखभाल करने लगी।
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अब जब सीता की शादी की बात आई तो गुठालु और उसके परिवार ने डॉक्टर शैलेन्द्र भदोरिया को बताया। डॉ. भदौरिया और उनके परिवार ने तनिक भी देर किए बिना आदिवासी बिटिया की शादी का बीड़ा उठाया।
●दूल्हे की तलाश में स्वयं दिखाई परिवार ने रूचि..
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र भदौरिया ने अपने अग्रज पेशे से इंजीनियर योगेन्द्र भदौरिया और पिता से बात की। भदौरिया परिवार ने आपसी सहमति बनाई और विवाह में सहयोग करने का बीड़ा उठा लिया।
बता दें कि भदौरिया भाईयों का ननिहाल गुलगंज में है लिहाजा इस पुनीत कार्य में उनके मामा कृष्ण प्रताप उर्फ कृष्णा दाऊ ने भी सहयोग किया और दूल्हे की तलाश शुरू की।
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उन्होंने पिपरिया निवासी मोहन सिंह के छोटे बेटे के साथ शादी की चर्चा शुरू की। औपचारिक रूप से वर-वधू ने एक दूसरे को देखा और रिश्ता पैराडाइस कॉलोनी स्थित डॉ. शैलेंद्र भदौरिया के निवास पर तय हो गया।