मौसम सभी अच्छे है और हर मौसम के बाद उनका आपस में क्रम जुड़ा होता है। मादक बसंत के बाद आगमन होता है गर्मियों का। गर्मियों में मनुष्य के साथ प्राणियों में भी आलस्य का भाव रहता है। दिन गर्म और रातें ठंडी रहती है। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही और गर्मी की तीव्रता का अनुमान लगाया जा रहा है।
भारत पाकिस्तान के आपसी संबंध भले ही समय-समय पर बनते और बिगड़ते रहे हों, पर प्रकृति के लिए ये सब बातें बेमानी है। राजनेता अपने दल और देश की जनता की खातिर समय-समय पर बयानों से दोनों पड़ोसी देशों के मध्य तनाव भी निर्मित कर देते है। पर, मौसम और प्रकृति के लिए ये सब से कोई लेना देना नहीं है। इस बार पूरा भारत भीषण गर्मी से तपता रहा। सूरज का घोड़ा सातववें आसमान पर उछाल भर रहा था। सूरज की सीनाजोरी भी कम नहीं हुई, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ा।
माना जाता है कि पाकिस्तान के जैकोबाबाद इलाके में पड़ने वाली गर्मी से भारत के मानसून की दिशा तय होना मानी जाती है। मौसम के जानकार भी अपने अनुमानों में जैकोबाबाद को शामिल करते हैं। इसलिए कि जकोबाबाद ‘ट्रॉपिक ऑफ कैंसर’ पर स्थित है। इस कारण यहां सूरज की सीधी किरणे पड़ती है। इस कारण जैकोबाबाद को सर्वाधिक गर्मी झेलनी पड़ती है। अरब सागर की आर्द्र हवाओं के कारण भी तापमान और ज्यादा अपना तीव्र रूप धारण कर बढ़ जाता है।
तीन साल पहले भी पाकिस्तान के इस स्थान का गर्मियों में तापमान 53 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। इस साल भी जैकोबाबाद में भीषण गर्मी का कहर रहा है जो भारत में अच्छे मानसून का सूचक माना जा रहा हैं। तपे पड़ौसी और फायदा मिले हमें, इसे भी कुदरत का ही करिश्मा कहा जाएगा।
दुनिया में सर्वाधिक गर्म स्थानों में अमेरिका की डेथ वेली को माना जाता है, जहां 1913 में 56.6 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड दर्ज किया गया था, जो अब तक का सर्वाधिक तापमान रहा है। इस वर्ष पाकिस्तान के जैकोबाबाद में गर्मी की अधिकता को देखते हुए हम भी शीतलता की ठंडी बयार का इंतजार करे और आशा करे की इस वर्ष मानसून देश पर मेहरबान रहेगा।