Narmada Water Polluted : नर्मदा नदी का पानी पीने योग्य नहीं, रिपोर्ट में खुलासा

'कल्पिन वॉटरटेक' प्रयोगशाला में इसके वैज्ञानिक परीक्षण से कई चौंकाने वाले निष्कर्ष सामने आए

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Narmada Water Polluted : नर्मदा नदी का पानी पीने योग्य नहीं, रिपोर्ट में खुलासा

होशंगाबाद। नर्मदा का जल प्रदूषण अब प्राणघातक होता जा रहा है। एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि नर्मदा का पानी पीने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो सकती है। नर्मदा के पानी को घरेलू कार्यों के लिए भी अयोग्य बताया गया। मुंबई की ‘कल्पिन वॉटरटेक’ नाम की एक प्रयोगशाला में इसका वैज्ञानिक परीक्षण किया गया तो चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई।

सोशल एक्टिविस्ट कमला यादव ने राजघाट और कुकरा गांव से पानी के नमूने लेकर लैब में जांच के लिए भेजा था। IS-10500 के अंतरराष्ट्रीय निष्कर्षों के तहत जांच कराई गई तब यह पता चला कि यह पानी न तो पीने लायक है, और न ही घरेलू कार्यों के लिए उपयुक्त है। सिंचाई भी कुछ ही प्रकार की फसलों की हो सकती है। सभी प्रकार की खेती के लिए भी नर्मदा का पानी उपयुक्त नहीं है।

पश्चिम निमाड़ के बड़वानी, धार जैसे जिलों के लोग काफी वर्षों से ये कहते रहे हैं कि नर्मदा नदी के पानी का स्वाद और रंग पहले से बदला है और मैलेपन में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट का स्पष्ट निष्कर्ष है कि नर्मदा का राजघाट तीर्थ क्षेत्र का पानी, जहाँ हजारों तीर्थ यात्री, नर्मदा भक्त आते हैं और पानी पीते हैं, बड़वानी शहर (जो राजघाट-नमूना के स्त्रोत से मात्र 5 किमी दूरी पर स्थित है) के निवासी भी पी रहे हैं, वह पीनेलायक तथा घरेलू काम (नहाना, धोना आदि) के लायक भी नहीं है।

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कमला यादव ने बताया कि प्रयोगशाला में वैज्ञानिकों ने चार प्रकार के परिणामों की जांच की थी। इसमें रंग, मैलापन, गंध, स्वाद सही न होना बताया गया है। रिपोर्ट में पाया गया कि नर्मदा के पानी में कैल्शियम की मात्रा अधिक है और यह Hard Water यानी ‘कठोर पानी’ बताया गया। कैल्शियम की मात्रा अधिकतम 200 होनी चाहिए, जबकि नमूने में 306 यूनिट्स पाया गया। इससे पथरी की बीमारी, किडनी पर असर आदि होता है। नर्मदा जल में नाइट्रेट की मात्रा भी उच्च स्तर तक पहुंची है, जिसके कई सारे असर हैं। पानी में शैवाल से जल शुद्धि का कार्य करने वाले अन्य जलजीव खत्म हो रहे हैं।

यादव के मुताबिक इसका पानी पीने से स्वास्थ्य पर कई प्रकार का असर होता है, जिसमें खून की ऑक्सीजन रखने की क्षमता कम होना, ब्लू बेबी सिंड्रोम यानी बच्चों पर असर आदि शामिल है। पानी में नाइट्रेट का मात्रा 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होने पर थायराइड, श्वसन रोग, गर्भपात तथा पेट या मूत्रपिंड के कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा रहता है। लेकिन, जांच में पता चला कि नर्मदा के पानी में नाइट्रेट की मात्रा 45 मिलीग्राम प्रति लीटर है।

नर्मदा जल में अमोनिया की मात्रा भी 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुँच गई। इससे इंसानों पर तथा मछली पर गंभीर असर होता है। यह औद्योगिक अपशिष्ट पदार्थों से तथा मानवीय मल मूत्र से भी बढ़ती है। STP का निर्माण दीर्घ काल तक पूरा न करने से ही यह हुआ है, और बढ़कर 1ppm से अधिक होने पर गंभीर असर हो सकता है। जांच रिपोर्ट के अनुसार ‘कोलीफार्म बैक्टीरिया’ (रोग जीवाणु) भी नर्मदा के पानी में मिले। इसके साथ ‘ई-कोली बैक्टीरिया’ भी पाए गए हैं। यह सब स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह माने जाते हैं। इससे हैजा, टायफाईड, टीबी, पेट एवं आंतड़ियों की बीमारी, मेनिन्जायटिस (दिमागी बीमारी) आदि होने की आशंका बनती है।