अलग माटी से बने थे राज कपूर (Raj Kapoor),मध्य प्रदेश से रहा है गहरा संबंध

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राज कपूर (Raj Kapoor) भारतीय सिनेमा का अनोखा व्यक्तित्व थे। वे अलग माटी से बने थे। अपने निवास पर बरसों पार्टियां आयोजित की। वे फिल्मी कलाकारों के साथ होली मिलन कार्यक्रम करते थे। मध्य प्रदेश से उनका गहरा संबंध रहा है।

1960 के दशक में सागर जिले में फिल्म तीसरी कसम के फिल्मांकन के लिए फिल्म यूनिट आई हुई थी. राज कपूर जी वहीदा रहमान के साथ ग्रामों में अनेक दृश्यों की शूटिंग में शामिल हुए थे. सागर के गीतकार स्वर्गीय विट्ठल भाई पटेल ने इस फिल्मांकन का समन्वय और संयोजन किया था.

वे अतिथि कलाकारों को आसपास के स्थान दिखाते थे। उन्हें पूरा हर संभव सहयोग भी करते थे। इसी कनेक्शन की वजह से बाद में 1973 में रिलीज हुई ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया की जोड़ी वाली फिल्म बॉबी के लिए गीतकार के रूप में विट्ठल भाई पटेल पूरी दुनिया के सामने आ गए, जब उनके लिखे गीत झूठ बोले कौवा काटे .. और ना मांगू सोना चांदी.. को अपार लोकप्रियता मिली.

दो जून को राज कपूर जी की पुण्यतिथि थी। यह भी बताना प्रासंगिक होगा कि उनकी ससुराल रीवा के मल्होत्रा परिवार में थी।श्रीमती कृष्णा कपूर तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी करतार नाथ मल्होत्रा साहब की बेटी थी जो रीवा में निवास करते थे। जबलपुर में प्रेम नाथ जी का एंपायर सिनेमा रहा है। प्रेमनाथ राज कपूर के साले थे। मध्य प्रदेश से इन कलाकारों का इस तरह जीवन भर का संबंध रहा ।

अलग माटी से बने थे राज कपूर,मध्य प्रदेश से रहा है गहरा संबंध

राज कपूर ने विदिशा के लोगों को चमकाने किया था हवाई फायर

फिल्म तीसरी कसम से जुड़ा एक किस्सा जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त संचालक श्रीप्रकाश दीक्षित बताते हैं।फिल्म के निर्माता गीतकार शैलेन्द्र थे जिनकी इस फिल्म के फ्लाप हो जाने से अवसाद के कारण जान तक चली गई थी.उनके निधन के बाद तीसरी कसम को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर फिल्म ने ठीक ठाक कारोबार कर लिया था।फिल्म की ज्यादातर शूटिंग बीना और आसपास हुई थी।जब शूटिंग खत्म होने पर पूरी फिल्म की यूनिट पंजाब मेल ट्रेन से मुंबई वापस लौट रही थी तब लोगों को यह बात पता चली और विदिशा स्टेशन पर भारी भीड़ जमा हो गई थी।

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एसी डिब्बे के गेट पर आकर राजकपूर भीड़ से रूबरू हुए। फिल्म के रसिकों ने खूबसूरत अभिनेत्री वहीदा रहमान को गेट पर लाने की मांग की।ऐसा ना होने पर भीड़ ने पथराव कर डिब्बे की विंडोज के कांच फोड़ डाले थे। बताते हैं तब राजकपूर जी ने लोगों को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायर भी किया था।जैसे तैसे ट्रेन रवाना हुई थी और रायसेन जिले के स्टेशन सांची में रुक कर डिब्बे में मरम्मत और सुधार किए गए थे.तब दीक्षित जी के पिताजी के रेल्वे में नौकरी में थे। दीक्षित परिवार विदिशा रेलवे स्टेशन से सटे क्षेत्र में ही रहता था।इस वजह से प्रकाश दीक्षित जी पूरी घटना का चश्मदीद गवाह बन सके।

सागर में मोती नगर थाने के पास तिराहे पर जब राज कपूर ने बांटी थी ट्रक वालों को मदिरा

राज कपूर जी श्री विट्ठल भाई पटेल के परिवार में विवाह के अवसर पर 70 के दशक में सागर आए थे। वे बहुत खुश थे यहां आकर। तीसरी कसम फिल्म की यादें सागर जिले से जुड़ी थीं।वे राधेश्याम भवन में ही रुके थे। जब बारात का समय था उन्होंने खुशी में कई कैरेट मदिरा के बुलवाए थे और मोती नगर तिराहा क्षेत्र के आसपास भोपाल नाके वाले एरिया में अनेक ट्रक चालकों को खुशी में बांटे थे। गांधीवादी नेता विट्ठल भाई जी मदिरापान नहीं करते थे लेकिन अपने मित्र राज कपूर को यह सब करने से रोक भी नहीं सके क्योंकि आनंद का अवसर था।

फिल्म दूल्हा दुल्हन में राज कपूर ने एक भूमिका की थी जिसमें वे बेस्ट की बस में नायिका साधना के साथ सफर करते हुए बताते हैं कि देखो बम्बई में यह डब्बे वाले उन सब लोगों के लिए खाना लेकर जा रहे हैं जो दफ्तर में टिफिन साथ नहीं ला पाते हैं। अपनी नौकरी को लंबा समय देने के कारण वह सुबह खाना बनने का इंतजार नहीं कर सकते और घर का खाना खाना उनकी मजबूरी भी है। ऐसे लोगों के लिए यह टिफिन ऑफिस तक पहुंचाए जाते हैं।

तब नायिका भोलेपन से कहती है कि यह सब लोग नौकरी तो खाने के लिए ही करते हैं और इन्हें खाने का ही वक्त नहीं मिलता । अजीब बात है। राज कपूर नायिका को ऐसे श्रमजीवी लोगों के जीवन की कठिनाइयां बताते हैं । वे समाज के ऐसे वर्ग जो मेहनत मजदूरी करके पेट पालते हैं उनके प्रति सहानुभूति और सहयोग की भावना रखते थे। यह उनकी अनेक दूसरी फिल्मों में भी अभिनय और संवादों से अभिव्यक्त हुआ है। राज कपूर ऐसी आम जनता से हमदर्दी वाली भूमिकाएं बहुत सहज भाव से कर लेते थे।