Wheat Exports : गेहूं के सीमित निर्यात को फिर मंजूरी, 17 लाख टन गेहूं बंदरगाहों पर पड़ा!
New Delhi : गेहूँ निर्यात पर लगे प्रतिबंध के 20 दिन बाद 4,69,202 टन गेहूं निर्यात को फिर मंजूरी दे दी गई। क्योंकि, लगभग 17 लाख टन गेहूं बंदरगाहों पर पड़ा है। मानसून जल्द आने की संभावना से इस गेहूं को नुकसान हो सकता है। इस गेहूं की यह शिपमेंट मुख्य रूप से बांग्लादेश, फिलीपींस, तंजानिया और मलेशिया को भेजी जाना है।
भारत का करीब 17 लाख टन गेहूं विभिन्न बंदरगाहों पर अटक गया, जिसके खराब होने की आशंका है। पिछले महीने निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से भारत ने विदेश के लिए 469,202 टन गेहूं के शिपमेंट की मंजूरी दी थी। नए फैसले के तहत गेहूं की यह शिपमेंट मुख्य रूप से बांग्लादेश, फिलीपींस, तंजानिया और मलेशिया भेजे जाएंगे। गेहूं के डीलरों ने कहा कि सरकार को सरकारी सौदे के लिए बंदरगाहों पर पड़े गेहूं के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए। गेहूं की कमी का सामना कर रहे कई देशों ने 15 लाख टन से अधिक गेहूं की आपूर्ति की मांग की है।
14 मई को उपजे हालातों और घरेलू कीमतों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर जाते देख गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। हालांकि, उन शिपमेंट्स को अपवाद के तहत निर्यात की अनुमति दी गई थी जो पहले से जारी किए गए क्रेडिट लेटर्स से भेजे जाने वाले थे। साथ ही उन देशों के लिए भी छूट दी गई थी जिन्होंने अपनी खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से मदद मांगी थी।
तुर्की ने गेहूं वापस भेजा
इस बीच तुर्की ने भारत से गए गेहूं की 56,877 टन की खेप 29 मई को लौटा दी। इस्तांबुल के एक कारोबारी ने द्वारा गेहूं में रूबेला वायरस पाए जाने की बात कही गई थी, जिससे तुर्की के कृषि मंत्रालय ने इस खेप को वापस कांडला बंदरगाह भेज दिया। जून के मध्य तक यह जहाज वापस आ जाएगा। भारत के खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि सरकार तुर्की के अधिकारियों से इस बारे में जानकारी मांगी है और निर्यातकों का दावा है कि इसके लिए सभी जरूरी मंजूरी ली गई थी।
अच्छी फसल की उम्मीद में गेहूं भेजा
प्रतिबंध लगने से पहले, निर्यातकों ने बड़ी मात्रा में बंदरगाहों पर गेहूं भेज दिया था। उस समय तक अच्छी फसल की पैदावार का अनुमान था। व्यापारियों को उम्मीद थी कि भारत इस साल 80 लाख से एक करोड़ टन या इससे भी अधिक के शिपमेंट को मंजूरी देगा। पिछले साल 72 लाख टन के निर्यात की अनुमति दी गई थी।
कांडला और मुंद्रा पोर्ट्स में सबसे ज्यादा गेहूं का भंडार फंसा है। इन दोनों बंदरगाहों पर करीब 13 लाख टन से अधिक गेहूं पड़ा हुआ है। सरकार को तुरंत निर्यात परमिट जारी करने की आवश्यकता थी। ऐसा इसलिए, क्योंकि बंदरगाहों पर गेहूं खुले में था। बारिश की चपेट में यह कभी भी आ सकता है। एक डीलर ने कहा कि गेहूं को बंदरगाहों से बाहर और आंतरिक शहरों में स्थानीय खपत के लिए ले जाना संभव नहीं था। इससे व्यापारियों को लोडिंग और यातायात लागत के कारण और भी ज्यादा नुकसान होगा।