“Startup Ecosystem on the way to determine the future economy of India” – Union Minister Dr. Jitendra Singh
(mediawala.in के लिए KIRAN KAPSE की विशेष रिपोर्ट)
केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय; राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय; प्रधानमंत्री कार्यालय और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्रालय के राज्य मंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत के भविष्य की अर्थव्यवस्था का निर्धारण करने जा रहा है और विश्व अर्थव्यवस्था के लिए भी एक प्रमुख स्तंभ के रूप में कार्य करेगा।
डॉ सिंह ने कहा, की भारत इस क्षेत्र में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इकोसिस्टम है और केवल आठ से दस दिनों में एक स्टार्टअप एक यूनिकॉर्न का आकार ले लेता है। उन्होंने कहा कि 2021 में 44 यूनिकॉर्न के बाद, 100 वा यूनिकॉर्न कुछ ही दिन पहले बना जिसका मूल्यांकन (valuation) 25 लाख करोड़ किया गया था। डॉ सिंह ने ऑडीटोरियम में मौजूद लोगों को याद दिलाया कि भारत के यूनिकॉर्न की औसत विकास दर अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और अन्य की तुलना में कई ज़्यादा है।
डॉ सिंह ने स्टार्टअप आंदोलन को बनाए रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया और उद्योग से तेजी से बढ़ते क्षेत्र में समान हितधारक बनने का आग्रह किया। उन्होंने सभी के लिए लाभप्रद प्रस्ताव के लिए स्टार्टअप, अनुसंधान, शिक्षा और उद्योग के एकीकरण पर भी जोर दिया।
डॉ सिंह ने नवोदित स्टार्टअप उद्यमियों को आईटी, कंप्यूटर और संचार क्षेत्रों के अलावा सबसे बेरोज़गार और सबसे अमीर कृषि क्षेत्र में भी काम करने की सलाह दी, जो हरित क्रांति के बाद एक बड़ी तकनीकी क्रांति की प्रतीक्षा में है। कृषि-तकनीक स्टार्टअप को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए डॉ सिंह ने कहा की कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक है क्योंकि भारत की 54% आबादी सीधे कृषि पर निर्भर करती है और इसका सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 20% हिस्सा है। उन्होंने यह भी कहा की जम्मू और कश्मीर में लैवेंडर की खेती के सीएसआईआर (CSIR) द्वारा प्रचारित अरोमा मिशन की सफलता की कहानी को अन्य राज्यों में अन्य उपयुक्त फसलों और वनस्पतियों और विशेष रूप से बांस क्षेत्र में दोहराने की आवश्यकता है।
“डॉ जितेंद्र सिंह ने ‘किसान ड्रोन’ को भी बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव को बढ़ावा देने के लिए ‘किसान ड्रोन’ को बड़े पैमाने पर अपनाया जाना चाहिए। इजरायल, चीन और अमेरिका जैसे देशों ने कई कृषि प्रथाओं को टेक्नॉलजी के माध्यम से बदल दिया है।”
डॉ जितेंद्र सिंह ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में डेयरी क्षेत्र को अधिक से अधिक ‘अमूल‘ की सफलता जैसी कहानियों की आवश्यकता है और भारत को दूध उत्पादों का सबसे बड़ा निर्यातक बनाने के लिए इनोवेटिव स्टार्टअप का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ऑस्ट्रेलिया में डेयरी क्षेत्र की सबसे बड़ी स्टार्टअप परियोजनाएं हैं और भारतीय उद्यमियों को इससे बेहतर नवीन प्रथाओं को सीखना और विकसित करना चाहिए।
हालांकि, मोदी सरकार द्वारा हाल के दिनों में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र को अनलॉक करने के बाद, इसरो के साथ पंजीकृत होने के लिए स्टार्टअप नैनो-सैटेलाइट, लॉन्च व्हीकल से लेकर ग्राउंड सिस्टम और अनुसंधान तक के लगभग 60 प्रस्ताव आए हैं।
डॉ सिंह ने कहा, जब से पीएम मोदी ने 2015 के अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में लाल किले की प्राचीर से “स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया” की घोषणा की थी, अब यह पूरे देश में बड़े पैमाने पर चल पड़ी है। केंद्र सरकार की ओर से टियर 2 और टियर 3 शहरों से और अधिक स्टार्टअप लाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी शृंखला में कुछ राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर स्टार्टअप को हर सम्भव सहायता देने में मदद कर थी है।
डॉ सिंह ने कहा, की यह सरकारी नौकरी की मानसिकता से युवाओं को मुक्ति दिलाने की मान्यता भी है। उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण और अर्ध-शहरी उद्यमों के लिए एक सक्षम वातावरण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है और उस पर कड़ी मेहनत कर रही है।
अपने सम्बोधन के अंत में डॉ सिंह ने बायो-टेक, डेयरी और कृषि-तकनीक क्षेत्रों में नवोदित और होनहार स्टार्टअप को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय से पूर्ण वित्तीय, तकनीकी सहायता का वादा भी किया। उन्होंने देश में युवाओं को लाभकारी रोजगार प्रदान करने के लिए उत्पाद विकास और विपणन और उत्पादों की बिक्री में मदद का भी वादा किया।