Samrat Prithviraj : ‘विक्रम’ के सामने चित हो गई अक्षय की ‘सम्राट पृथ्वीराज’

बॉक्स ऑफिस पर 'विक्रम' का कलेक्शन 'सम्राट पृथ्वीराज' से डबल

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Samrat Prithviraj : ‘विक्रम’ के सामने चित हो गई अक्षय की ‘सम्राट पृथ्वीराज’

 

Mumbai : शुक्रवार को दो फ़िल्में रिलीज हुई। अक्षय कुमार की ‘सम्राट पृथ्वीराज’ और कमल हासन की ‘विक्रम!’ दोनों बड़े बजट की फ़िल्में हैं, पर बॉक्स ऑफिस पर ‘विक्रम’ ने ‘सम्राट पृथ्वीराज’ को मात दे दी। एक बार फिर मुंबई की फ़िल्मी दुनिया पर दक्षिण भारी पड़ा। कयास भी लगाए जा रहे थे, कि फिल्म की शुरुआत धीमी हो सकती है। क्योंकि, एडवांस बुकिंग और फिर मॉर्निंग शो में टिकटों की बिक्री कम रही थी।
अक्षय कुमार की ‘सम्राट पृथ्वीराज’ के साथ 3 मई को कमल हासन की बिग बजट फिल्म ‘विक्रम’ ने परदे पर उतरी। दोनों फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के शुरुआती आंकड़े आ गए। पहले दिन अक्षय कुमार की फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ से कमल हासन की ‘विक्रम’ काफी आगे रही। ‘सम्राट पृथ्वीराज’ पहले दिन ही ‘विक्रम’ से पिछड़ गई।
अक्षय कुमार की फिल्म ने डबल डिजिट का आंकड़ा जरूर छू लिया, पर जैसा हाइप क्रिएट किया गया था, फिल्म में दर्शकों को वैसा कुछ नहीं दिखाई दिया। इस फिल्म ने पहले दिन देशभर में 12 से 14 करोड़ का कलेक्शन किया। फिल्म के भारी-भरकम बजट को देखें तो इसे कम से कम 20 करोड़ कमाना थे।

‘विक्रम’ की ओपनिंग बहुत आगे
दक्षिण के सितारे कमल हासन के ‘विक्रम’ में विजय सेतुपति और फहाद फासिल भी हैं। फिल्म का निर्देशन लोकेश कनगराज ने किया है। ‘विक्रम’ के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर नजर डालें तो ‘सम्राट पृथ्वीराज’ बहुत पीछे रह गई। कमल हासन की फिल्म ने पहले दिन ग्रॉस 40 से 50 करोड़ का बिजनेस किया। फिल्म ने जबरदस्त शुरुआत की है। ‘विक्रम’ के बारे में पहले से ही अनुमान लगाया जा रहा था कि इसकी बंपर ओपनिंग होने वाली है।                                                        IMG 20220604 WA0014                                                                                                                                                                       कहां चूकी ‘सम्राट पृथ्वीराज’

फिल्म का कथानक लचर है। निर्देशन बेहतरीन है। युद्ध वाले सीन का प्रस्तुतीकरण शानदार है। लेकिन, इस तरह के दृश्य उस समय काल की ऐतिहासिक फिल्मों के लिए नहीं होते। 360 डिग्री शॉट्स में तीर उड़ते चले जाते हैं। 24 हजार लोग मारे गए हैं, फिर भी युद्ध के मैदान में खून नहीं दिखता। ऐतिहासिक फिल्मों में ऐसे दृश्य समझ नहीं आते। 10वीं शताब्दी में राजकुमारियां लो-वेस्ट लहंगा भी नहीं पहनती थीं, पर इसकी हीरोइन वही पहनती है। उसके ब्लाउज के आउटफिट्स जैसे बॉलीवुड के पॉपुलर फैशन डिजाइनर के लेटेस्ट कलेक्शन के जैसे हैं।
कन्नौज की राजकुमारी और राजपूत प्रिंस के बीच लिखे गए लव लेटर में इश्क और मुबारक जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया गया। यह युद्ध और वीरता के बारे में एक फिल्म है, जिसमें दोनों के लिए कम नारेबाजी और अधिक लड़ाई की आवश्यकता होती है। डायलॉग भी प्रभावी नहीं हैं। फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है, लेकिन बीच में आते-आते कहानी लचर हो जाती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले ज्यादा दमदार नहीं है। गाने भी खास नहीं। क्लाइमेक्स ठीक है, पर तब तक फिल्म दर्शक के दिमाग से उतर जाती है।