जब एसडीएम ने कलेक्टर का हाथ थामा!
सहभागिता से सुपोषण को लेकर शहर की आंगनवाडियों के लिए खाद्यान और खिलौने एकत्रीकरण रैली कलेक्टर सोमेश मिश्रा की अगुवाई में नकाली गई। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की तरह कलेक्टर हाथ ठेलागाडी लेकर तो नहीं निकले लेकिन, ट्रेक्टर ट्राली पर जरूर सवार हो गए।
कलेक्टर के साथ एसडीएम एलएन गर्ग भी ट्राली पर चढ गए! चलती ट्रेक्टर ट्राली में सवार लडखडाते कलेक्टर साहब को एसडीएम साहब हाथ थामकर सहारा दे देते! एसडीएम की कार्य शैली और व्यवहार से वाकिफ एक अधिकारी ने सहज भाव और दबी जुबान में कह दिया, एसडीएम साहब, कलेक्टर साहब को वल्लभ भवन न पहुंचा दे!
कमीशनबाज नेता ने सप्लायर की मदद से खिंचे हाथ!
जिस खेल सामग्री घोटाले की गुंज मुख्यमंत्री के कानों तक पहुंची थी उस घोटाले के सप्लायर आरोपी को भारी मशक्कत के बाद हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिल गई लेकिन, उसके साथ ही अन्य व्यापारियों के लिए यह घटना एक सबक के रूप मे सामने आई। जो व्यापारी अपना काम निकालने के लिए नेताओं को हिस्सेदारी और कमिशन देकर अपना काम निकलवाते है, परेशानी के समय नेता भी अपने हाथ खिंच लेते है!
ऐसा ही वाकया खेल सामग्री सप्लायर के साथ हुआ! प्रशासन और पुलिस से परेशान सप्लायर जब मदद की गुहार लेकर नदिया के पार नेताजी के पास पहुंचा! नेताजी को माल तो मिला नही था ऐसे में वो मदद क्यों करते! नेताजी ने आंखे फेरते हुए मदद करने से पिछे हट गए! क्योंकि इस घोटालें की आंच नेताजी के दामन पर भी लग चुकी थी!
भाजपा ने खुरापाती और दागी को दिए पद!
पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा होने के बाद से ही प्रदेश भाजपा कार्यालय से संगठन और प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों की घोषणा शुरू हो गई। जिलें और नगर के कई भाजपाईयों को रेवडी बांटने जैसे पदों को बांटने का काम शुरू हो गया! पद मिलते ही सोशल मीडिया पर नियुक्ति पत्र पोस्ट करने से लेकर बधाई देने वालों की बाढ आ गई। युवा नेताओं ने भी अपनें चार पहिया वाहनों पर पदों से सुशोभित बडी-बडी तख्तीयां लगा दी!
नगर पालिका चुनाव में पिछली बार भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ और कांग्रेस के समर्थन मे खुलकर काम किया था। माना जा रहा है कि पार्टी ने ऐसे असंतुष्ट और खुरापाती भाजपाईयों को चुनाव से ठीक पहले पद देकर डेमेज कंट्रोल का काम किया है! जब कि इन नेताओं को दिए गए पद किसी जिम्मेदारी जैसे काम के नहीं है! फिर भी जुगाडु नेता अपनी रोटियां सेंक ही लेंगे!
भाजपा-कांग्रेस के लिए वर्चस्व की लडाई होंगे स्थानीय चुनाव!
त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा होते ही भाजपा और कांग्रेस दोनो राजनीतिक दलों के नेताओं में वर्चस्व बनाए रखनें की चुनौती सामने आ गई है! जिलें की ग्राम पंचायतों में कांग्रेस समर्थित सरपंचों की संख्या अधिक है और जिला मुख्यालय की नपा पर भी कांग्रेस काबिज है! ऐसे में कांग्रेस को अपना वजूद बनाए रखने के लिए भरसक मेहनत करनी होगी! लेकिन सत्तारूढ भाजपा भी अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव कर नपा और पंचायतो पर अपना बहुमत हासिल करने में कोई कसर नहीं रखेगी! हालांकि दोनो ही दलों में अभी कोई मजबूत नेतृत्व उभरकर सामनें नहीं आया है! फिर भी इस बार के चुनाव के परिणाम आगामी विधानसभा सीटों को प्रभावित करेंगे!