भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार के प्रमोशन में रिजर्वेशन के डंक ने राजस्व विभाग की आंख नाक, कान माने जाने वाले तहसीलदारों को डिप्रेशन में पहुंचा दिया है। 22 साल पहले नौकरी ज्वाइन करने वाले ये अधिकारी इस लम्बी अवधि में सिर्फ एक प्रमोशन पा सके हैं और सरकार की वोट की राजनीति का शिकार होकर पद और वेतनवृद्धि के लाभ से वंचित हैं। हालात यह हैं कि एक ही रूम में रहकर नायब तहसीलदार की ट्रेनिंग लेने वाले अधिकारी दो अलग कैडर में बंटने को मजबूर हैं। एक अफसर संयुक्त कलेक्टर बन गया है तो दूसरे तहसीलदार बनकर प्रमोशन की बाट जोह रहे हैं।
तहसीलदारों ने प्रमोशन के लिए पिछले तीन साल में मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री, राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव से लेकर कई मंत्रियों और विधायकों के दरवाजे खटखटाए और प्रमोशन की राह निकालने का अनुरोध किया। पिछले एक साल के अंतराल में पुलिस विभाग में निरीक्षकों को डीएसपी, सीएसपी, एसडीओपी बनाए जाने की तर्ज पर इन अधिकारियों ने कार्यवाहक पदोन्नति का प्रस्ताव भी दिया ताकि उनकी पदस्थापना और काम में बदलाव हो सके लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है।
इसका असर यह है कि पात्रता होने के बाद भी प्रमोशन से वंचित इन अधिकारियों में हताशा का माहौल है और ये डिप्रेशन में बीमार पड़ रहे हैं। सरकारी लापरवाही का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2015 में हुए प्रमोशन में 1998 में पीएससी परीक्षा से सिलेक्ट हुए तहसीलदारों में कुछ संयुक्त कलेक्टर बन गए हैं तो अधिकांश तहसीलदार की नौकरी करने को मजबूर हैं।
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वर्ष 2000 में ज्वाइन करने वाले इन तहसीलदारों का कहना है कि विजय मंडलोई, सत्यनारायण दर्रो, ज्योति ठाकुर समेत कई अधिकारी 2015 में प्रमोशन के बाद डिप्टी कलेक्टर बन गए थे जबकि पात्रता के बाद भी शासन द्वारा पद स्वीकृत नहीं किए जाने से इसी साल ज्वाइन करने वाले बाकी तहसीलदार प्रमोशन से वंचित रह गए। अप्रेल 2016 में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और तब से अब तक ये अधिकारी प्रमोशन की राह ताक रहे हैं वहीं जो अफसर प्रमोशन के बाद डिप्टी कलेक्टर बन गए थे वे अब संयुक्त कलेक्टर बनकर दो कैडर से ऊंचे वेतनमान और पद का लाभ ले रहे हैं।
राजधानी में पदस्थ एक तहसीलदार के अनुसार विजय मंडलोई उनके बैच के साथी अफसर थे और वे रूम में छह माह तक साथ रहे थे। साथ ही दोनों की ट्रेनिंग हुई लेकिन प्रमोशन के डंक ने उन्हें ज्वाइंट कलेक्टर के पद पर पहुंचा दिया और वे 22 साल में एक प्रमोशन पाकर तहसीलदार की नौकरी करने को मजबूर हैं।