दत्तीगांव के पलटवार का इंतजार
धार जिला भाजपा के अध्यक्ष मुख्यमंत्री से मिले तो यह बात सामान्य होती! किन्तु वही जिला अध्यक्ष अपनी ही सरकार के मंत्री का चिट्ठा खोल आए तो बात छोटी नहीं होती। पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री जिले में आए थे, वहां जिले की समस्याओं को लेकर उद्योग मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और भाजपा जिला अध्यक्ष राजीव यादव के बीच सामान्य किंतु मन फटने वाली बात हुई थी। इसके अगले एपीसोड में राजीव यादव ने भोपाल पहुंचकर मुख्यमंत्री से जिले के राजनीतिक हालात पर न सिर्फ चर्चा की, बल्कि यह जानकारी भी रिसकर आई कि राजीव यादव ने वहां दत्तीगांव के खिलाफ जमकर न सिर्फ जहर उगला बल्कि जिले में उनके भाई की कार्यशैली से भी मुख्यमंत्री को अवगत भी करा आए।
यानी अब दोनों के बीच संबंध मधुर होने के बजाए कटुता बढ़ती दिखाई दे रही है। राजीव यादव ने तो अपना काम कर दिया, अब लोग दत्तीगांव के पलटवार का इंतजार कर रहे हैं।
*उद्यान अधिकारी पर उठ रहे सवाल*
उद्यान विभाग के अधिकारी की जमावट को सलाम कहना होगा! क्योंकि, वे जिस पद के लायक नहीं है, उन्होंने उस पद पर पोस्टिंग करवा ली। किसी ने ठीक कहा है कि जिस सरोवर में हंस नहीं आते, वहां कव्वे ही अपने आपको हंस समझ लेते है। ऐसा ही मामला धार के उद्यान विभाग के प्रभारी उप संचालक नीरज सावलिया का है! वे मूलतः वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी हैं, पर अपनी जुगाड़ प्रवृत्ति के कारण वे धार में उप संचालक पद पर नवाजे गए। विभाग के कर्ताधर्ताओं की बुद्धि पर तरस आ रहा है कि सावलिया जो कि सिर्फ वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी है, उसके बाद सहायक संचालक पद पर प्रभारी के रूप में पोस्टिंग पा सकते हैं। किंतु, ये उपसंचालक बन बैठे, जो शासन के नियमों के न सिर्फ विपरीत है बल्कि इस कैडर के अधिकारियों के लिए सिर पकड़ने जैसा वाकया है। हालांकि, सावलिया की इस पोस्टिंग को लेकर अब दिल जले पीछे लग गए हैं। नियम-कायदों को इकट्ठा करके मामला विभाग के मुखिया तक पहुंचाया जा रहा है। अब देखना है कि अपने मिजाज से जनता के लिए प्रतिबद्ध रहने वाली तेज तर्राट विभाग की संचालक निधि निवेदिता इस मामले में अपना मिजाज कितना तेज रखती हैं।
*गरीबदास का अमीर बनने का फार्मूला!*
सरकारी महकमे का कामकाज और गोलमाल एक-दूसरे के पर्यायवाची शब्द हो गए है। आए दिन किसी विभाग में कोई अधिकारी भ्रष्टाचार करे, तो कोई खास बात नहीं मानी जाती। लेकिन, धार के डीएफओ जिनका नाम गरीबदास बरबडे लेकिन इन्होंने काम अमीरों से बड़ा कर दिया। गरीबदास को अलीराजपुर डीएफओ का एक सप्ताह का चार्ज क्या मिला, उन्होंने वहां के तीन करोड़ रुपए के आपत्ति लगे बिलों का पेमेंट कर दिया। अब विभाग के आला अधिकारियों को गरीबदास का अमीरदास बनने वाला ये फार्मूला चुभने लगा है। लेकिन, हर हरकत पर नजर रखने वाले बताते हैं, कि साहब बिल्कुल निश्चिंत हैं। उन्होंने अलीराजपुर से मिली लक्ष्मी देवी के भोपाल तक दर्शन करवा दिए। इसलिए अब साहब को कोई दिक्कत नहीं है। अब समझ आया गरीबदास के अमीर बनने का आसान राज!
*गौतम की गुगली तो चलेगी*
जब से यह खबर बाहर आई कि जिला कांग्रेस अध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम बदनावर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे तो धार विधानसभा के दावेदार कुलदीप सिंह बुंदेला, धीरज दीक्षित, हितैष ठाकुर, मनोज चौधरी की बांछे खिल गई। लेकिन, कहने वाले यह भी कह रहे हैं कि गौतम भले ही बदनावर से कुश्ती लड़े पर धार के टिकट के फैसले में मर्जी उनकी ही चलेगी। अंदरखाने की खबर बताती है कि धार में मुंह धोकर टिकट की जुगाड़ करने वालों के अलावा भी कुछ नाम हैं जिन पर विचार हो सकता है।
आगे जो भी हो, लेकिन बदनावर के दावेदार शरद सिसोदिया, अभिषेक टल्ला मोदी, मनीष बोकडिया, कमल पटेल, टिंकू बना, सुनील सांखला जरूर बालमुकुंद गौतम की दावेदारी से मायूस होंगे। अभी तो यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कहीं ख़ुशी-कहीं गम के वातावरण में गौतम कैसे अपने दांव फिट करते हैं।
*सुधीर की ठंडी हुई अकड़ और पुलिस!*
सेंट टेरेसा भूमि घोटाले का मास्टरमाइंड और मूंछ पर ताव देकर धार पुलिस को छकाने वाला सुधीर जैन का रुतबा अब हाशिये पर आता दिखाई दे रहा है। क्योंकि, मौजूदा न्यायालय के निर्णय के बाद उसे अब गिरफ्तार होना ही पड़ेगा। यह आदेश आने से सुधीर की चिलम भरने वालों की कॉलर जरूर नीचे हो गई, जो सुधीर की गिरफ्तारी नहीं होने से हवा में थे। इस पूरे मामले में यह अच्छा रहा कि सुधीर के लाख बचने की कोशिशों के बावजूद न्यायालय ने उसे कोई रिलीफ नहीं दिया। इससे लोगों का कानून पर से विश्वास कायम रहा। नहीं तो सुधीर ने अपनी ठसक में कोई कमी नहीं रखी थी।
फिलहाल तो सुधीर की गर्मी से उत्साहित उसके समर्थक मायूस हैं, पर पट्ठों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट अभी बाकी है। लेकिन, यह नहीं भूलना चाहिए कि अब सुधीर रूपी गेंद आदित्य वाले प्रताप के पाले में हैं, जिनके हाथ में बेट भी है और गेंद भी।
*आचार संहिता और संजय की आराधना*
पीथमपुर के भाजपा नेता संजय वैष्णव की उम्र बहुत ज्यादा नहीं है, पर उनके अनुभव की कोई बिसात नहीं! राजनीति के इस कम उम्र के खिलाड़ी ने कई बार बड़े-बड़े गोल दाग दिए। दो दशको से पीथमपुर की जनता पर उनका एकछत्र राज है। खास बात यह कि सामने आने वाली चुनौतियों को बिना हल्ला किए उनका निपटारा करने में इनका कोई सानी नहीं! एक ताजे मामले में इनकी गंभीरता और चातुर्यता ने झंडे गाड़ दिए। मामला सामूहिक विवाह के आयोजन का था और तैयारी अंतिम चरण तक पहुंच गई थी। बैंड बाजे वाले साजिंदों के साथ तैयार थे। घराती और बाराती भी उत्साहित थे। आने वाले नेताओं का उत्साह भी चरम पर था। किंतु अकस्मात पंचायत चुनाव की घोषणा ने ऐसा झटका दिया कि लगने लगा, अब दुल्हन की मेहंदी बगैर शादी के सूख जाएगी। सेहरा बांधे दूल्हे भी मायुस थे। विवाह के मंगलाचरण की संभावना धूमिल हो गई थी। लेकिन, हमेशा की तरह समस्या को अवसर में बदलना संजय वैष्णव से अच्छा कोई नहीं जानता! लिहाजा कलेक्टर के फरमान ने भी मायूसी के यज्ञ में आहुति का काम किया कि अब यह शासकीय स्वरूप में सामूहिक विवाह नहीं होगा। इसमे ग्रामीण क्षेत्र के जोड़े भी सम्मिलित नहीं होंगे। तभी संजय ने सारी आशंकाओं को धूमिल करते हुए निर्णय लिया की यह विवाह संस्था आराधना के माध्यम से होगा। खास बात यह रही की यह सामूहिक विवाह वैसा ही शानो शौकत से सम्पन्न हुआ जैसा आचार संहिता लगने के पहले सोचा गया था। यानी की संजय की आराधना ने एक बार फिर लोगों का दिल जीत लिया।
*मूंग वितरण अभियान की हवा निकली*
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण द्वारा बच्चों की सेहत सुधारने के लिए दिए जाने वाले मूंग ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। धार जिले में मूंग की घटिया क्वालिटी ने इस पूरे अभियान और सरकार की नीति और नीयत पर सवाल खड़ा कर दिया। दरअसल, धार जिले में मूंग वितरण का कार्यक्रम जगह जगह जोर-शोर से चल रहा है। इस योजना से भाजपा सरकार की वाहवाही होती और इसकी सफलता का गुब्बारा और ऊंचाई पर जाता। लेकिन, उसके पहले सकी हवा निकल गई। हवा निकलने का मामला भी धार के माथे ही आया। हालांकि, इसमें जिला प्रशासन की कोई भूमिका नहीं रही। मूंग सप्लायर ने इस योजना में घटिया मूंग भेजकर पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। धार जिले में कहने को कांग्रेस के पांच विधायक है, किंतु एक भी विधायक की आँखों में खराब मूंग नहीं दिखे। लेकिन, कलेक्टर पंकज जैन ने तत्काल जांच बैठा दी। उन्होंने उन सारे खाद्यान्न की गुणवत्ता की जांच करवा दी, जिसकी इस तरह सप्लाय होती है।
दुमछल्ला
आजकल राजगढ़-सरदारपुर के लोगों में एक रिटायर्ड नायब तहसीलदार का खौफ कुछ ज्यादा ही छाया हुआ है! आखिर लोग इस अदने से कर्मचारी से इतना क्यों डरते हैं। अब सप्ताह भर आप सोचिए कि ये कर्मचारी कौन है और लोगों के डर का कारण क्या है! इस बार बस इतना ही, अगली बार बताएंगे कि ये कौन है और लोग क्यों उससे भयभीत है!