Protest Against Dr Khare’s Name : इंदौर से बीजेपी उम्मीदवार तय नहीं, डॉ खरे के नाम पर विरोध!

आज फिर नए सिरे से विचार होने की संभावना

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Pachmarhi
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Bhopal : बीजेपी के इंदौर के महापौर पद के उम्मीदवार को लेकर उलझन अभी सुलझी नहीं है। सोमवार को ऐसा लगा था कि यह मसला सुलझ गया और डॉ निशांत खरे का नाम फाइनल हो गया। मुख्यमंत्री भी जिस तरह दिल्ली गए थे, उससे लगा था कि अब कोई नया विवाद खड़ा नहीं होगा। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ और निशांत खरे के नाम पर आपत्ति आई। भोपाल में देर शाम हुई मीटिंग में उनके नाम के विरोध के बाद उनके विकल्प के बारे में सोचा जाने लगा। आज दोपहर फिर होने वाली मीटिंग में किसी नए नाम पर विचार संभव।

सूत्र बताते हैं कि पार्टी मीटिंग में एक बड़े नेता ने डॉ निशांत खरे के नाम पर आपत्ति उठाई और कहा उनकी जगह किसी पार्टी कार्यकर्ता को टिकट दिया जाना उचित होगा। बताते हैं कि उनका विरोध काफी सशक्त था। यही कारण है कि इस मीटिंग में अंतिम रूप से यह तय हुआ कि अब डॉ निशांत खरे की जगह किसी और के नाम पर विचार किया जाएगा।

वैसे भी देखा जाए तो डॉ निशांत खरे के नाम पर कहीं भी सहमति नहीं थी। उन्हें मुख्यमंत्री की व्यक्तिगत पसंद माना जा रहा था। वे न तो पार्टी कार्यकर्ता के रूप में इंदौर में जाने जाते हैं उनकी कोई पहचान ही है। ऐसी स्थिति में वे कांग्रेस उम्मीदवार संजय शुक्ला का मुकाबला कर पाएंगे इस बात में संदेह है।

इंदौर के स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं का भी कहना है कि इंदौर आईडीए का अध्यक्ष के रूप में इस तरह इंदौर से बाहर के आदमी को थोपा गया है, अब वही काम पार्टी महापौर पद के उम्मीदवार के लिए भी कर रही है। क्योंकि, डॉ निशांत खरे सागर के रहने वाले हैं और उन्हें जबरन इंदौर का महापौर पद के उम्मीदवार के रूप में थोपा जा रहा है। इस बात में भी संदेह है कि इंदौर की जनता उन्हें स्वीकार करेगी। इंदौर के एक बड़े नेता की डॉ खरे के नाम पर टिप्पणी थी कि पार्टी का यह फैसला कांग्रेस को तश्तरी में रखकर जीत सौंपने जैसा है।

सोशल मीडिया पर कमेंट
कल सोशल मीडिया पर भी डॉ निशांत खरे के नाम को लेकर काफी टिप्पणियां नजर आई। एक कमेंट था कि जब इंदौर को प्लास्टिक से मुक्त करने की कोशिश की जा रही है, भाजपा एक प्लास्टिक सर्जन को इंदौर का महापौर बनाने पर तुली है। कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए बीजेपी को कमेंट किया कि कोई उम्मीदवार नहीं मिल रहा है तो हमें टिकट दे दो।

सर्वे पर ही कार्यकर्ताओं को संदेह
भाजपा के सर्वे में डॉ निशांत खरे, पुष्यमित्र भार्गव और इस तरह के कुछ नाम को लेकर भी स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं को आपत्ति है। उनका कहना है यह पार्टी का फर्जी सर्वे है। किसी भी सर्वे में डॉ निशांत खरे और पुष्यमित्र भार्गव का नाम आना सर्वे की सत्यता की पोल खोलता है। क्योंकि, जिस तरह बूथ लेवल पर यह सर्वे किया गया था उसमें डॉ खरे और भार्गव का नाम पार्टी कार्यकर्ता क्यों लेंगे!

अब पार्टी का अंतिम फैसला क्या होता है, अभी इस पर संदेह का कुहासा छाया हुआ है। क्योंकि, सर्वे में जो नाम है उन्हीं में से किसी एक का नाम तय होना है। मुख्यमंत्री की पसंद डॉ निशांत खरे है और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की पसंद पुष्यमित्र भार्गव है। यह दोनों ही नाम ऐसे नहीं है जो कांग्रेस के उम्मीदवार का मुकाबला कर सकें। पार्टी भले ही उनके लिए कितना भी जोर लगा ले। लेकिन, भाजपा के लिए उनको जिता पाना आसान नहीं होगा।