New Delhi : आज एक जुलाई से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक (Single Use Plastic) से बनने वाले 19 तरह के उत्पादों पर प्रतिबन्ध लग गया। इसे प्लास्टिक के खिलाफ उठे कदमों का एक महत्वपूर्ण फैसला माना जा रहा है। विषेशज्ञों के मुताबिक, सिर्फ इन 19 उत्पादों पर बैन लगाने से बात नहीं बनेगी। इन छोटे फैसलों से प्लास्टिक कचरे में कमी लाना संभव नहीं है। सिंगल यूज प्लास्टिक हमारे लिए काफी नुकसानदायक है। यह न सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि इससे पर्यावरण को भी नुकसान है।
जो उत्पाद आज से बैन होने वाले हैं, उनमें प्लास्टिक की डंडियों वाले ईयर बड, बलून स्टिक, प्लास्टिक के झंडे, लॉलीपॉप की डंडी, आइसक्रीम की डंडी, थर्माकोल के सजावटी सामान, प्लेट्स, कप, गिलास कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे, मिठाई के डिब्बे पर लगने वाली पन्नी, निमंत्रण पत्र, सिगरेट पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक और पीवीसी बैनर शामिल हैं।
अन्य जगह पहुंचता है कचरा
प्लास्टिक को लेकर टॉक्सिक लिंक की एक स्टडी 2019 में सामने आई थी। इसमें बताया गया था कि दिल्ली में उपयोग होने वाला ज्यादातर सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट (कचरा) इन्फॉर्मल सेक्टर (रीसाइकलिंग प्लांट की जगह अन्य जगहों पर पहुंचने वाले कचरे) में जा रहा है। कई प्लास्टिक ऐसे हैं, जिन्हें कोई लेने को तैयार नहीं है। इनमें खाने के सामानों के पैकेट, नूडल्स के पैकेट, बिस्किट और चिप्स के मल्टी लेयर पैकेट आदि शामिल हैं।
इस सर्वे में यह भी पाया गया कि रीसाइकलिंग प्लांट दवाइयों और बिस्किट की पैकिंग के पाउच और ट्रे लेने के लिए भी तैयार नहीं होते। इनका महज 20 फीसदी हिस्सा ही रीसाइकलिंग प्लांट तक पहुंचता है। इस प्लास्टिक कचरे का दोबारा इस्तेमाल करना व्यवहारिक नहीं है। इसलिए यह राजधानी की लैंडफिल साइटों पर ही जाता है।
स्टडी के अनुसार, सिंगल यूज प्लास्टिक वेस्ट में शैंपू, बॉडी वॉश, पेन, पेट बॉटल, ट्यूब्स आदि की मात्रा काफी अधिक है। यह प्लास्टिक लैंडफिल साइट में पड़े-पड़े मिट्टी, पानी आदि को प्रदूषित कर रही है।