Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: बड़े शहरों की बड़ी राजनीति से खड़ी हुई मुश्किलें

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Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: बड़े शहरों की बड़ी राजनीति से खड़ी हुई मुश्किले

इस बात को आसानी स्वीकार किया जाए या नहीं, पर ये सौ फीसदी सच है कि नगर निकाय चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बड़े शहरों में आरामदायक स्थिति में दिखाई नहीं दे रहे है। बड़े नेताओं को आपसी खींचतान ने ऐसे हालात पैदा कर दिए कि पार्टी बैकफुट पर आ गई। इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और सागर में जबरदस्त खींचतान मची है। इंदौर और भोपाल में कमजोर उम्मीदवार ने ये स्थिति बनाई तो बाकी के तीन शहरों में बड़े नेताओं के बीच तेरा-मेरा उम्मीदवार को लेकर मनमुटाव नजर आ रहा है। अंदरखाने की खबरें बताती है कि इस बार पार्टी में सबकी सहमति से उम्मीदवारों का चयन नहीं होने से ये सब हुआ। इंदौर और ग्वालियर में तो कई बड़े नेता सुप्तावस्था में हैं और जो दिखाई दे रहे हैं वो फोटो तक सीमित हैं।

Vallabh Bhawan Corridors to Central Vista: बड़े शहरों की बड़ी राजनीति से खड़ी हुई मुश्किलें

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को इस बात का एहसास है और वह पुरी ताकत से अपने पार्टी के महापौर को जिताने के लिए एडी चोटी का जोर लगा रहे है। कांग्रेस की दृष्टि से देखा जाए तो उसके पास खोने को कुछ नहीं है, जो मिल गया वो उसकी उपलब्धि ही होगी।

पूरे चुनाव प्रचार में कांग्रेस के कुछ नेता नदारद क्यों रहे!

प्रदेश में नगर निकाय चुनाव का माहौल है। आज चुनाव प्रचार का आख़िरी दिन भी निकल गया। मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। भाजपा की तरफ से कई नेता प्रचार में लगे हैं, पर कांग्रेस के प्रचार की कमान प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अकेले संभाल रखी है। कांग्रेस के अधिकांश नेता परिदृश्य से बाहर हैं। यहां तक कि दिग्विजय सिंह भी प्रचार से दूर होकर केवल भोपाल तक सीमित हैं।

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सवाल उठता है कि कांग्रेस की ये कोई रणनीति है या इसके पीछे कोई नाराजी! असल कारण तो सामने नहीं आया, पर जो दिखाई दे रहा उसके पीछे कोई न कोई सच्चाई जरूर है। दिग्विजय सिंह के तो कई जगह कार्यक्रम भी तय हो गए और मीडिया में भी आ गए थे, पर वे नहीं गए। दिग्विजय सिंह अकेले नहीं हैं, कांग्रेस में सज्जन वर्मा जैसे वरिष्ठ नेता भी हैं जो मीडिया के सामने आपा खोकर संयम खो देते हैं। सामान्य दिनों में तो इसका ज्यादा असर नहीं होता, पर चुनाव के समय कोई उम्मीदवार रिस्क लेना नहीं चाहता। जबकि, कमलनाथ की बात अलग है, उन्हें कभी भाषा की मर्यादा लांघते नहीं देखा गया।

आखिर इस IAS अफसर को मिली मनपसंद पोस्टिंग

भारतीय प्रशासनिक सेवा के 2008 बैच के अधिकारी विकास नरवाल अंततः उस पोस्टिंग को प्राप्त करने में सफल रहे जिसके लिए वे पिछले कई माहों से प्रयासरत थे। जी हा विकास नरवाल कोच्चि पोर्ट के वाइस चेयरमैन बन गए है।

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उनकी यह पद स्थापना प्रति नियुक्ति पर हुई है। इस संबंध में कुछ माह पूर्व भी केंद्र सरकार ने आदेश जारी किए थे लेकिन तब राज्य शासन ने उन्हें रिलीव नहीं किया था। माना जा रहा था की अब वे इस पद पर पदस्थ नहीं हो पाएंगे लेकिन मैरिन इंजीनियर विकास ने जिद नहीं छोड़ी और लगातार लगे रहे।
उन्होंने फिर केंद्र सरकार स्तर पर कोशिश की और इस बार जब आदेश हुए तो राज्य सरकार ने भी उन्हें कार्य मुक्त करने में देर नहीं की। प्राप्त जानकारी के अनुसार आज उन्होंने कोच्चि में इस पद पर ज्वाइन भी कर लिया है।

तिर्की और अगनानी केंद्र में ही बने रहेंगे

मध्यप्रदेश कैडर के 1987 बैच के अधिकारी अजय तिर्की और 1994 बैच के अधिकारी डॉ मनोहर अगनानी लाख कोशिश के बावजूद भी अपनी होम स्टेट में वापसी नहीं कर पा रहे हैं। मनोहर अगनानी भारत सरकार के स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय में ही फिलहाल बने रहेंगे। वे इस मंत्रालय मे अपर सचिव हैं ।बताया जाता है कि डाक्टर अगनानी की काम पर पकड़ के कारण मंत्रालय भी उन्हें छोडने के मूड में नहीं है।

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इसी प्रकार अजय तिर्की के मामले में ना तो केंद्र सरकार और ना मध्य प्रदेश सरकार कोई रुचि ले रही है।
इसलिए यह माना जा रहा है की वह भी अभी केंद्र में ही बने रहेंगे।

NDRF के विस्तार की प्रक्रिया जल्दी

एन डी आर एफ के विस्तार की प्रक्रिया जल्दी शुरू हो सकती है। बताया जाता है कि बल के काडर रिव्यू का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है और जल्द ही इसके मंजूर होने की संभावना है। प्रस्ताव के मंजूरी मिलते ही बल की फील्ड इकाइयों की संख्या में दोगुनी बढोत्तरी हो सकेगी और डी आई जी से नीचे के स्तर तक संख्या बढेगी।

IRS और IT अधिकारियों के व्यापक फेरबदल की संभावना

आई आर एस-आई टी के अधिकारियों के व्यापक फेरबदल की संभावना है। माना जा रहा है कि 5 जुलाई को होने वाली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में 80 अधिकारियों की पदोन्नति होंगी। इन सभी अधिकारियों की नयी पदस्थापना आदेश अगले कुछ दिनों में जारी हो सकते हैं। इसी के साथ कई अधिकारियों के इधर-उधर होने से इनकार नहीं किया जा सकता।